अनुग्रह के साधारण साधन की सेवकाई
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1 नवम्बर 2024एक साक्षी के रूप में बच्चों को अनुशासित करना
क्या आपने देखा है कि हमारी संस्कृति में कई विवाद परिवार और बच्चों के आस-पास घूमते हैं? सबसे अधिक चर्चित विषयों में लिंग पहचान; बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े निर्णय; बच्चे किस लिंग, सर्वनाम या नाम का उपयोग करना चाहते हैं इसके बारे में माता-पिता को सूचित करने की स्कूल की जबाबदेही, और बच्चों को किस स्नानघर या लॉकर कक्ष का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए; सम्मिलित हैं।
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि परिवार और बच्चे ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ हमारी संस्कृति के शीघ्रता से परिवर्तित हो रहे मूल्य प्रतिबिंबित हो रहे हैं। पारिवारिक जीवन और बच्चों के पालन-पोषण के लिए ये चुनौतियाँ ख्रीष्ट की देह के लिए एक अवसर प्रदान करती हैं। मसीही विश्वास के लिए फलप्रद, खुशहाल बच्चों वाले सुव्यवस्थित परिवारों से अधिक सामर्थी पक्षसमर्थक की कल्पना करना कठिन है।
मसीही विश्वास की सुंदरता के कई तत्व को जब जीकर दिखाए जाते है, तो यह देखने वाले संसार के लिए साक्षी बन जाते हैं।
मुखियापन (नेतृत्व)
बच्चों को अधिकार के अधीन आनन्द से जीना सिखाना एक मूलभूत पाठ है। जब बच्चे माता-पिता का आदर करते हैं और उनकी आज्ञा मानते हैं, तो परमेश्वर भरपूर आशीष देने की प्रतिज्ञा करता है। उनके साथ अच्छा होता है और वे लंबे जीवन का आनंद लेते हैं (इफिसियों 6:1–3)। माता-पिता के रूप में, हमें अधिकार के अधीन जीवन जीने के लिए एक प्रेरक तर्क देना चाहिए। इसलिए हम अपने बच्चों को स्मरण दिलाते हैं कि स्वर्ग में एक परमेश्वर है जो अच्छा है। महान प्रेम में, उसने उन्हें एक परिवार में रखा है। उसने उन्हें ऐसे माता-पिता दिए हैं जो उनसे प्रेम करते हैं। पिता और माता का आदर करना और उनकी आज्ञा मानना एक आशीष है। यह सत्य माँगों और धमकियों के माध्यम से नहीं सिखाया जाता है। यह सीखा जाता है जब पारिवारिक जीवन में हमारे बच्चों के लिए परमेश्वर के मार्गों की सुंदरता और अच्छाई को सामने रखा जाता है।
पालन-पोषण
अधिकांश पालन-पोषण का परामर्श इस बात पर केन्द्रित होता है कि बच्चों को आप कैसे तैयार करें वह करने के लिए जो आप चाहते है कि वे करें। दिया गया परामर्श व्यवहारवाद पर आधारित होता है—बच्चे क्या कहते हैं और क्या करते हैं, इसे कैसे प्रबंधित और नियंत्रित किया जाए। यद्दपि, बाइबलीय पालन-पोषण इस सत्य से आरम्भ होता है कि सभी व्यवहार हृदय से प्रेरित होते हैं। यह हृदय के अतिप्रवाह से ही होता है जो मुँह से निकलता है (लूका 6:45)। हृदय की चौकसी पूरे यत्न के साथ की जानी चाहिए क्योंकि जीवन का मूल-स्त्रोत वही है (नीतिवचन 4:23)। मसीही माता-पिता केवल व्यवहार को प्रबंधित करने के लिए प्रोत्साहन और निरुत्साहन से चिंतित नहीं होते हैं, परन्तु वे यह भी चाहते हैं कि बच्चे हृदय के उन समस्याओं को समझें जो व्यवहार को प्रेरित करते हैं। अपने बच्चों को उनके हृदय के मनोभाव को समझने में सहायता करें। गर्व बनाम विनम्रता, क्रोध बनाम शान्ति देनेवाला, लोलुपता बनाम उदारता, स्वयं के प्रति प्रेम बनाम दूसरों के प्रति प्रेम – ये सभी हमारे बच्चों के पालन-पोषण के लिए प्राथमिकता हैं। मसीही माता-पिता जो अपने बच्चों को उनकी प्रेरणाओं को समझने में सहायता करते हैं, वे अपने बच्चों के साथ एकजुटता में खड़े हो सकते हैं। प्रत्येक माता-पिता जानते हैं कि मानव हृदय में स्वार्थ कैसे काम करता है। हम जानते हैं कि उन पापपूर्ण नियतों को क्षमा और शुद्धिकरण के लिए ख्रीष्ट के पास कैसे लाया जाए। हमें अपने बच्चों के लिए पश्चाताप और विश्वास की सुसमाचारीय विनम्रता का आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। व्यवहारवाद के माध्यम से अपने बच्चों को नियंत्रित करने के लिए सुसमाचार की आशा और सामर्थ्य की आवश्यकता नहीं होती है। परन्तु बच्चों को उनके हृदय की प्रेरणाओं को समझने में सहायता करना से स्वाभाविक रूप से क्रूस, क्षमा की आवश्यकता और सुसमाचार की प्रतिज्ञाओं के अनुग्रह और सशक्तिकरण की ओर ले जाता है।
भण्डारीपन
मत्ती 25 में तोड़ों का दृष्टांत, भण्डारीपन और जवाबदेही के महत्व को सिखाता है। स्वामी ने अपने सेवकों को अपनी संपत्ति सौंपी और एक लंबी यात्रा पर चला गया। लौटने पर, उसने अपने सेवकों से इस अपेक्षा के साथ लेखा लिया कि उन्होंने उन्हें सौंपी गई संपत्ति का लाभकारी निवेश किया होगा। यह कहानी हमारे बच्चों को प्रभावित करने के लिए एक अद्भुत सीख है। परमेश्वर ने उन्हें दान, योग्यताएँ और अवसर सौंपे हैं। वे स्वामी द्वारा उन्हें सौंपी गई वस्तुओं के भण्डारी हैं। भण्डारीपन की इस समझ को दिन-प्रतिदिन की जीवन के ताने-बाने में बुना जाना चाहिए। परमेश्वर ने हमें बहुमूल्य कोष सौंपा है और वह अपने निवेश पर प्रतिफल की अपेक्षा रखताहै। बच्चों को इन बातों को समझने में सहायता करने से उन्हें समझदारी से जीने में सहायता मिलती है – स्वयं को और अपने विकल्पों को गंभीरता से लेने में।
परमेश्वर की महिमा
मुझे स्मरण है कि मैं अपने बच्चों को यह प्रश्नोत्तरी पढ़ा रहा था: “प्रश्न. तुम्हें किसने बनाया? उत्तर: परमेश्वर ने मुझे बनाया। प्रश्न: परमेश्वर ने तुम्हें और सभी वस्तुओं को क्यों बनाया? उत्तर: अपनी महिमा के लिए।” बाइबल जीवन के विषय में जानने और समझने के लिए आवश्यक सभी बातों से आरम्भ होती है: “आदि में, परमेश्वर।” न केवल वह सब कुछ जो हम अनुभव करते हैं, परमेश्वर द्वारा बनाया गया था; वरन् यह सब उसकी महिमा के लिए बनाया गया था। संपूर्ण सृजित क्रम और इसकी सभी विविध महिमाएँ एक महान महिमा की ओर संकेत करने के लिए अस्तित्व में हैं – परमेश्वर की प्रतापी और शाश्वत महिमा। अपने पाप में, हम उस परमेश्वर को अनदेखा करते हैं जिसकी महिमा के लिए हमें बनाया गया था और सृष्टिकर्ता के बजाय सृजित वस्तुओ की आराधना और सेवा करते हैं। मसीही परिवार में, हम अपने बच्चों को महिमावान की ओर संकेत करते हैं। उनके आश्चर्य जीवन को दिशा और अर्थ देते हैं। जीवन केवल मेरे विषय में नहीं है परन्तु परमेश्वर के पारलौकिक सत्य के विषय में है। जो बच्चे इस सत्य को अपनाते हैं, वे परमेश्वर की स्वरूप में बनाए गए प्राणियों के लिए उपयुक्त गरिमा और उद्देश्य की भावना के साथ जीएँगे। हाल ही में, मेरी और मेरी पत्नी की एक युवा चिकित्सक और उसकी पत्नी से बातचीत हुई, जो अपने पड़ोस में एक मसीही परिवार द्वारा अपने बच्चों को दिए जा रहे प्रशिक्षण और पालन-पोषण से बहुत प्रभावित थे। हमारी बातचीत का अधिकांश भाग उन मूल्यों के आस-पास घूमता रहा, जो उन्होंने इन बच्चों में देखे और कैसे उन मूल्यों को विश्वासयोग्य माता-पिता ने उनमें स्थापित किया था। इस जोड़े के साथ इस बातचीत ने मुझे उन सामर्थी ढंगों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया, जिनसे सुसमाचार का प्रचार किया जाता है, जब हमारे बच्चे अधिकार के अधीन रहने की भलाई को समझते हैं, उनके हृदय और प्रेरणाओं को समझने की पोषणकारी अंतर्दृष्टि रखते हैं, स्वयं को परमेश्वर से प्राप्त उपहारों के भण्डारी के रूप में देखने की विनम्रता रखते हैं, और स्वयं से परे किसी बड़े के लिए जीने को समझते है ।
मसीहियों के रूप में, हम परमेश्वर ने जो हमें करने के लिए बुलाया है, उसके प्रति आज्ञाकारिता में यह प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। निहित पक्षसमर्थन और साक्षी के अवसर इसका लक्ष्य नहीं हैं; वे हमारे बच्चों के लिए इस आधारभूत मसीही प्रशिक्षण को प्रदान करने का एक परिणाम मात्र हैं। “तुम्हारा प्रकाश मनुष्यों के सम्मुख इस प्रकार चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है, महिमा करें।” (मत्ती 5:16)।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।