हमारा विश्वास वचन

लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ प्राचीन विश्वास वचनों को मानती है (प्रेरितों का विश्वास वचन, नीकिया का विश्वास वचन, चालसिदोन विश्वास वचन) और धर्मसुधार के पाँच सोलाओं में व्यक्त ऐतिहासिक मसीही विश्वास की और ऐतिहासिक धर्मसुधार के अंगीकारों के सहमति की पुष्टि करती है (वेस्टमिन्स्टर स्तर, एकता के तीन रूप, और 1689 लंदन बैपटिस्ट विश्वास का अंगीकार)।

बाइबल

बाइबल, पूर्णतः, परमेश्वर का अचूक, त्रुटिहीन, और प्रेरित वचन है; यह परमेश्वरीय प्रकाशन है जिसमें परमेश्वर के अधिकार का पूरा भार है और जिसके प्रति अधीन होने के लिए हम बाध्य हैं।

त्रिएकता

परमेश्वरत्व के भीतर तीन भिन्न किन्तु पूर्ण परमेश्वरीय व्यक्तियों की एकता है, पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा; ये तीन एक सच्चा, अनन्त परमेश्वर है, जो तत्व में एक, सामर्थ्य और महिमा में बराबर हैं।

परमेश्वर

परमेश्वर एक आत्मा है, जो अपने अस्तित्व, बुद्धि, सामर्थ्य, पवित्रता, न्याय, भलाई, और सत्य में असीमित, अनन्त, और अपरिवर्तनीय है। परमेश्वर पूर्ण रीति से सर्वज्ञानी, सर्वसामर्थी, और सर्वोपस्थित है, जो न कभी कुछ सीखता है न “खुला” है।

यीशु मसीह

यीशु मसीह वास्तव में परमेश्वर और वास्तव में मनुष्य है, उसमें दो स्वभाव हैं जो अभिन्न रीति से एक परमेश्वरीय व्यक्ति में एक हैं, बिना भ्रम, मिश्रण, अलगाव, या वितरण के। प्रत्येक स्वभाव अपने गुणों को बनाए रखता है। देहधारण में, वह कुंवारी मरियम से जन्मा, हमारे मध्य एक सिद्ध जीवन जीया, क्रूस पर चढ़ाया गया, मारा गया, और गाड़ा गया, तीसरे दिन जी उठा, स्वर्ग में चढ़ा, और एक दिन महिमा और न्याय में पुनः आएगा। वह परमेश्वर और मनुष्य के बीच एकमात्र मध्यस्थ है।

पवित्र आत्मा

पवित्र आत्मा पिता और पुत्र के साथ एक ही तत्व का है। वह अनन्तकाल से पिता और पुत्र से अग्रसर होता है, और विश्वासियों के हृदयों में वास करता है, उनके नए जन्म को अकेले कराता है, और उनके पवित्रीकरण को उनके साथ कराता है।

सृष्टि

परमेश्वर ने, अपने सामर्थ्य के वचन के द्वारा, कुछ नहीं से स्वर्ग और पृथ्वी और उनमें पाए जाने वाले सब कुछ की सृष्टि की। वह अपनी सब सृष्टि को, अपने सर्वोच्च पवित्र, बुद्धिमान, और सामर्थी प्रावधान से बनाए रखता है और राज्य करता है।

मनुष्य

शेष प्राणियों को बनाने के बाद, परमेश्वर ने मनुष्य को, नर और नारी दोनों को, अपने स्वरूप में बनाया, किन्तु क्योंकि आदम ने पाप किया और अपने उत्तरदायित्व में बुरी रीति से गिर गया, वह और उसका वंश एक नैतिक भ्रष्टताऔर नैतिक अक्षमता की स्थित में पहुंच गए और अपने सृष्टिकर्ता से दूर हो गए, जिससे कि वे पाप के दण्ड के लिए मृत्यु के योग्य ठहरे।

प्रायश्चित्त

क्योंकि सब ने पाप किया, मनुष्य का परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप होने के लिए प्रायश्चित्त का होना अनिवार्य है। यीशु मसीह ने क्रूस पर अपने प्रतिस्थापनीय प्रायश्चित्त की मृत्यु के द्वारा अपने लोगों के लिए एक पूर्ण प्रायश्चित्त कराया। वह अपनी धार्मिकता को सब विश्वासियों को प्रदान करता है, और पाप से पश्चात्ताप करने वालों और उद्धार के लिए केवल उस पर भरोसा करने वालों को पूर्ण छुटकारे के लिए सुरक्षित करता है।

व्यवस्था

नैतिक व्यवस्था सिद्ध रीति से परमेश्वर के अपरिवर्तनीय चरित्र को प्रतिबिम्बित करती है और सर्वदा के लिए विश्वासियों और गैर-विश्वासियों को बान्धती है।

कलीसिया

मसीह ने दृश्य कलीसिया को स्थापित किया है, जो पवित्र आत्मा के सामर्थ्य में पवित्रशास्त्र के अधिकार के अधीन जीवन जीने, सुसमाचार के प्रचार किए जाने, विधियों के मनाए जाने, और अनुशासन के किए जाने के लिए, के लिए बुलाई गई है।

मसीहियत और संस्कृति

लिग्निएर उन मसीही संंगठनओं और संस्थाओं के कार्य का समर्थन करती है जो पवित्रशास्त्र के अन्तिम अधिकार और यीशु मसीह के प्रभुता का अंगीकार करते हैं, और मनुष्य और उसके वातावरण के हित के लिए परमेश्वर की आज्ञाओं के सामाजिक और सांस्कृतिक लागूकरण के प्रति समर्पित है। लिग्निएर विशेषकर उन संस्थाओं का समर्थन करती है जो विकास के आरम्भिक चरणों में रक्षाहीन मनुष्यों की हत्या का खण्डन करती हैं, और जो लिंग, लैंगिकता, और विवाह के विषय में गैर बाइबलीय परिभाषाओं को नकारते हैं।

ख्रीष्टविज्ञान पर लिग्निएर का कथन को भी देखें।