
यीशु सच्ची दाखलता कैसे है?
3 जुलाई 2025यीशु जगत की ज्योति कैसे है?

– पीटर वान डूडेवार्ड
कुछ सप्ताह पहले, मैं अपने घर के पास के छोटे से जंगल में लकड़ी काट रहा था और मैंने देखा कि कैसे पेड़ सूरज के प्रकाश की ओर बढ़ते हैं: बीच में, पेड़ लम्बे होते जाते हैं, और किनारों पर, लम्बी शाखाएँ जीवन देने वाले सामर्थ की ओर बढ़ती रहती हैं। तब मैंने स्मरण किया कि यशायाह ने ख्रीष्ट के प्रचार के प्रभावों की नबूवत की थी |
“प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि यहोवा ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिए भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूँ, कि बन्दियों के लिए स्वतन्त्रता का और कैदियों के लिए छुटकारे का प्रचार करूँ; और सिय्योन में विलाप करने वालों को राख के बदले माला, शोक के बदले में हर्ष का तेल, और निराशा के बदले बड़ाई का ओढ़ना प्रदान करूँ जिससे कि वे धार्मिकता के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएँ, और उसकी महिमा प्रकट हो।” (यशायाह 61:1; 3)
परमेश्वर ने उजियाले को अस्तित्व में लाते हुए कहा, “उजियाला हो,” और उजियाला हो गया एक ऐसा तत्व जो न तो शुद्ध ऊर्जा है और न ही पदार्थ, फिर भी हमारे लिए एक रहस्य बना हुआ है (उत्पत्ति 1:4)। परमेश्वर ने प्रकाश-वाहक भी बनाए: “दिन पर प्रभुता करने के लिए बड़ी ज्योति, रात पर प्रभुता करने के लिए छोटी ज्योति और तारागण” (उत्पत्ति 1:16)। बड़ी ज्योति सूर्य विस्मयकारी आयामों और ऊर्जा का एक परमाणु संलयन भट्ठी है जो पृथ्वी को अद्भुत ऊर्जा से नहलाता है। हम इसे सहजता से भूल जाते हैं कम महिमा या पूर्णतया व्यर्थ विषयों में व्यस्त और विचलित हो जाते हैं जब तक कि हम स्वयं को अँधकार में टटोलते हुए नहीं पाते हैं या सर्दी की लम्बी रातों के बाद फिर से वसंत के उजाले और लम्बे ग्रीष्मकाल की लालसा न करें। ज्योति ही जीवन है।
परन्तु ज्योति को उद्धार को चित्रित करने के लिए भी निर्मित किया गया था। आग का खम्भा इस्राएल के लिए उद्धार था, परन्तु मिस्र अँधेरे में रहता था (निर्गमन 14:20)। दीवट बारह रोटियों पर चमकता था, एक दृश्य जिसे प्रभु द्वारा इस्राएल के गोत्रों को आशीष देने से समझाया गया था: “यहोवा तुझे आशीष दे और तेरी रक्षा करे” (गिनती 6:24-27)। भजनकार ने पुकारकर कहा: “यहोवा मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है” (भजन संहिता 27:1)। इसके विपरीत, यह संसार मानवीय पाप के कारण अँधकारमय है। अवज्ञा का अर्थ है कि स्वाभाविक मनुष्य “दोपहर को टटोलता रहेगा, जैसे अन्धा अन्धकार में टटोलता है” (व्यवस्थाविवरण 28:29)। परन्तु उद्धार का मार्ग परमेश्वर के वचन से प्रकाशित होता है, जो हमारे पाँव के लिए दीपक और हमारे मार्ग के लिए उजियाला है (भजन संहिता 119:105)।
अँधकार से ज्योति की ओर बढ़ना ही उद्धार है, और इसलिए जब यीशु ने कहा, “जगत की ज्योति मैं हूँ,” तो उसने अपनी महान् महिमा और बचाने वाले सामर्थ्य दोनों का सामर्थी दावा किया (यूहन्ना 8:12)।
इस स्थल में, यीशु ने अपने ईश्वरत्व के विषय में द्दढ़तापूर्वक कहा। वह शाश्वत स्वयं-अस्तित्व वाला “मैं जो हूँ सो हूँ” है, सूर्य, चन्द्रमा और तारागण का सृजनहार (निर्गमन 3:14)। वह ज्योति की महिमा का स्रोत और प्रतिरूप है। वह प्रभु है जो ज्योति है जैसा कि यूहन्ना ने लिखा, “परमेश्वर ज्योति है, और उसमें कुछ भी अन्धकार नहीं” (1 यूहन्ना 1:5)। वह पिता से चमकने वाले ईश्वरीय जीवन का अभिकर्ता है, जो प्रकाश और अगम्य महिमा में रहता है। यूहन्ना 1:4-5 यीशु के विषय में कहता है, “उसमें जीवन था, और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था। और ज्योति अँधकार में चमकती है, पर अँधकार ने उसे ग्रहण नहीं किया।” ये कथन केवल तभी समझ में आते हैं जब हम पहले प्राकृतिक ज्योति (विशेषकर सूर्य) की महिमा पर विचार करते हैं और फिर अपने हृदयों को पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा की ओर उठाते हैं। सबसे चमकीला तारा वास्तव में सभी तारे हमारे परमेश्वर की महिमा के अनन्त भार का सबसे छोटी झलक हैं।
परन्तु यीशु अपने उद्धार के कार्य के विषय में भी बात कर रहे थे। पाप के अँधकार से भरे संसार में वे आत्मिक जीवन का एकमात्र स्रोत हैं। मलाकी ने मसीहा के आगमन को “धार्मिकता के सूर्य के रूप में देखा… जिसकी किरणों में चंगाई है” (मलाकी 4:2)। यीशु का रूपाँतरित चेहरा सूरज की तरह चमक रहा था (मत्ती 17:2)। पौलुस ने यीशु ख्रीष्ट की महिमा के अपने उद्धारक दर्शन को सूर्य से भी अधिक उज्ज्वल माना (प्रेरितों के काम 26:13)। यूहन्ना ने ख्रीष्ट की महिमा को “पूरे सामर्थ्य से चमकते हुए सूर्य” के रूप में देखा (प्रकाशितवाक्य 1:16-20)। जब हम मसीही बनते हैं, तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि “परमेश्वर, (जिसने कहा, ‘अँधकार में से ज्योति चमके,’) हमारे हृदयों में चमका है कि यीशु ख्रीष्ट के मुख-मण्डल में परमेश्वर की महिमा की पहचान का प्रकाश दे” (2 कुरिन्थियों 4:6)। महान् ज्योति पुत्र अपनी प्रज्वलित पवित्रता द्वारा हमारे पापों को उजागर करता है और फिर हमारे हृदय की गहराई में शुद्ध करने वाली और जीवन देने वाले सामर्थ्य को चमकाता है। यीशु क्रूस पर उज्ज्वल रूप से चमके, खाली कब्र पर और अधिक उजियाले से, और फिर महिमामय उच्चता में सबसे अधिक। उनका पुनरागमन एक एकल, संसार को रोशन करने वाले अपरोहण के समान होगा। यह सारा प्रकाश सुसमाचार में संसार को दिया गया है, और इसे यीशु ख्रीष्ट में सरल विश्वास के द्वारा ग्रहण किया जाता है।
जब हम यीशु पर विश्वास करते हैं, तो हमारे भीतर एक स्थायी परिवर्तन होता है: “जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अँधकार में न चलेगा, वरन् जीवन की ज्योति पाएगा” (यूहन्ना 8:12)। जैसा कि पौलुस कहता है, “पहिले तो तुम अँधकार थे, परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो” और हम अँधकारमय संसार में ज्योति के रूप में जीते हैं (इफिसियों 5:8)। ख्रीष्ट के साथ हमारे मिलन से जहाँ भी हम जाते हैं, उसकी ज्योति चमकती है। इससे हमें सान्त्वना मिलनी चाहिए, विशेषकर तब जब हम संसार को स्वयं का विरोध करते हुए पाते हैं। इससे हमें यह भी प्रार्थना करने के लिए भी प्रोत्साहित होना चाहिए कि मनुष्य हमारे अच्छे कार्यों को देखें, स्वर्ग में हमारे पिता की महिमा करें, और ज्योति के पास आएँ।
इससे भी बढ़कर, यूहन्ना कहता है कि ख्रीष्ट का जीवन मनुष्यों की ज्योति है (यूहन्ना 1:4)। हम केवल ज्योति के पास आकर फिर चले नहीं जाते। वरन्, हम स्वर्ग की महिमा की ओर बढ़ते हैं कि वह हम पर और अधिक चमके। हमने उसके मुख पर जो उस सूर्य को स्थिर रखता है उगते सूर्य से परे की महिमा को देखा है और अब हमारी लालसा है परमेश्वर की अनन्त, असीम महिमा के लिए। और जब हमारा छोटा सूर्य अँधकार में बदल जाएगा और चन्द्रमा रक्त में, तो यह संकेत होगा कि हम त्रिएक परमेश्वर की निर्बाध महिमा में जीवन के शिखर पर हैं। हमारे बाँज वृक्ष के पत्ते जीवन की ज्योति प्राप्त करने के लिए मुड़ेंगे, जो उस नगर के केन्द्र में सिंहासन से लगातार प्रवाहित होती रहेगी जिसे सूर्य या चन्द्रमा की कोई आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि परमेश्वर की महिमा इसे प्रकाशित करेगी (प्रकाशितवाक्य 21:23)। स्वयं प्रभु हमारा उजियाला होगा, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।
यीशु का कहने का अर्थ यही सब था जब उसने कहा: “जगत की ज्योति मैं हूँ” (यूहन्ना 8:12)
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।