मुझे अपने विद्रोही बच्चे से कैसे व्यवहार करना चाहिए? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
Teaching-Our-Children-about-Forgiveness
अपने बच्चों को क्षमा के विषय में सिखाना
16 सितम्बर 2025
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16 सितम्बर 2025

मुझे अपने विद्रोही बच्चे से कैसे व्यवहार करना चाहिए?

How SHould I Engage My Rebellious Child - Margy Tripp

मार्जी ट्रिप्प

किशोरावस्था या युवा वयस्कों के साथ टूटे सम्बन्धों का अनुभव पूरे जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। पारिवारिक मिलने के अवसर, जो आनन्द से भरे होने चाहिए, हानी को स्मरण कराने वाली बन जाते हैं। टूटे ह्रदय, भ्रमित और उलझन में पड़े माता-पिता नहीं जानते कि सहायता के लिए कहाँ जाएँ।

माता-पिता और बच्चों के बीच टूटे सम्बन्धों के कई कारण हैं। परन्तु साधारणत: सभी टूटे सम्बन्धों में सामान्य तत्व यह है: हम पाप करते हैं, और हमारे विरुद्ध पाप किया जाता है। कोई भी इससे बच नहीं सकता, यहाँ तक कि सबसे परिश्रमी माता-पिता भी नहीं। माता-पिता इस टूटे सम्बन्ध से उबरकर मेल-मिलाप कैसे कर सकते हैं? बाइबल इस प्रायः पीड़ादायक प्रश्न का उत्तर देती है।

पवित्रशास्त्र मेल-मिलाप के गुणों और विषय-वस्तु से भरा हुआ है। यह एक आत्मिक यात्रा है—एक प्रक्रिया, कोई एक बार की घटना नहीं। आइए, बड़े बच्चों के साथ पाप और विद्रोह के कारण टूटे सम्बन्धों से व्यवहार करने के लिए कुछ बाइबलीय परामर्श पर विचार करें।

1. परमेश्वर के उद्देश्यों को स्मरण रखें।

यह निष्कर्ष निकालने के स्थान पर कि आपके किशोर या वयस्क बच्चे के साथ आपके सभी प्रयास विफल हो गए हैं, परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को स्मरण रखें और धैर्य रखें। माता-पिता के रूप में हमारे लिए परमेश्वर के उद्देश्य को स्मरण रखें। वह हमें ख्रीष्ट के समान बना रहा है। वह सदैव हमारी परीक्षाओं के माध्यम से हमें परशोधित करने के लिए कार्यरत रहता है, भले ही वे हमारी अपनी बनाई हुई परीक्षाएँ हों या दूसरों द्वारा या जीवन की परिस्थितियों द्वारा हम पर थोपी गई हों। आप कभी भी ऐसी स्थिति में नहीं होते जहाँ आपका प्रयास व्यर्थ गया हो। आप एक यात्रा पर हैं, और परमेश्वर आपका विश्वासयोग्य स्वर्गीय पिता है। “हार मान लेना” इस बात का संकेत है कि आप परमेश्वर के आत्मा के कार्य के स्थान पर अपने प्रयासों पर आशा करते हैं। मैं बच्चों के साथ टूटे सम्बन्धों के साथ आने वाले ह्रदय के दुख और हानि को नकार नहीं रहा हूँ, परन्तु यह भी सम्भव है कि निराशा अविश्वास को प्रकट कर रही है। स्मरण रखें कि परमेश्वर का आत्मा परिवर्तन लाता है—हमारे प्रयास नहीं।

बाइबलीय मेल-मिलाप का आरम्भ हमारे अपने हृदय से ही होना चाहिए। इस पर ध्यान करें कि परमेश्वर का आत्मा आपके स्वयं के प्राण में कैसे अन्तर्दृष्टि और परिवर्तन लाता है। हमें यह देखने के लिए अन्तर्दृष्टि की आवश्यकता है कि हमने सम्बन्ध के टूटने में क्या योगदान दिया हो। मैं इसे मानो विद्रोह को निष्क्रिय करने के रूप में सोचती हूँ। मेल-मिलाप का आरम्भ करते समय, हम अपने किशोर या वयस्क बच्चे के मन में हमारे प्रति किसी भी प्रकार की स्व-धार्मिकता की भावना को दूर करना चाहते हैं। मेल-मिलाप के हृदय में विनम्रता है। मेल-मिलाप आपके बच्चे के आत्मिक भलाई के विषय में होना चाहिए। यह न सोचें, “मैं अपने विद्रोही बच्चे को कैसे सुधार सकता हूँ?” परन्तु यह सोचें, “परमेश्वर मुझे ख्रीष्ट जैसा बनाने के लिए लोगों और परिस्थितियों का उपयोग कैसे कर रहा है?” मेल-मिलाप का अर्थ केवल अच्छा लगना, अपने मन की बात कह देना, जीवन में आगे बढ़ना, स्वयं को उचित ठहराना, या अपने विवेक को शुद्ध करना नहीं हो सकता। परीक्षा को स्वीकार करें, क्योंकि यह आपको परमेश्वर के पास ले जाती है। उसका उद्देश्य है कि आप ख्रीष्ट पर ध्यान केन्द्रित करें। शोधन की अग्नि परिवर्तन करती है; यह शुद्ध सोना उत्पन्न करती है।

2. प्रार्थना मेल-मिलाप का प्राथमिक भाग है।

नम्रता के लिए प्रार्थना करें। परमेश्वर से उन बातों के लिए क्षमा माँगें जिनसे आप इस टूटने में सम्मिलित रहे हों। अपने जीवनसाथी और अपने बच्चे के लिए (और उनके साथ) प्रार्थना करें। एक मेल-मिलाप का हृदय और सुनने की इच्छा के लिए प्रार्थना करें। प्रार्थना करें कि आप भय से न हारे। प्रार्थना करें कि आप भी वैसे ही प्रेम करें जैसे आपसे प्रेम किया गया है। आप अपने बच्चे के संसार में सुसमाचार के जीवनदायी सन्देश के साथ प्रवेश करना चाहते हैं। नम्रता और प्रार्थना आपको अपने किशोर या वयस्क बच्चे के साथ शान्ति की ओर जाने वाले वार्तालाप के लिए तैयार करती है।

आगे आने वाले अवसरों पर विचार करें। आपके पास कुछ कठिन बाधाएँ हो सकती हैं। परन्तु यदि आपका बच्चा आपके बोलने और व्यवहार में आत्मिक संकल्प देखता और सुनता है, तो बात स्वस्थ सम्बन्ध की ओर जाएगी। अपने बच्चे को इस इच्छा के साथ छोड़ने का निश्चय करें कि आप उससे वैसे ही प्रेम करें जैसे ख्रीष्ट ने आपसे प्रेम किया है।

बच्चों के लिए अपने माता-पिता के प्रति निष्ठा और प्रेम से रहना अच्छा है। ख्रीष्ट के राज्य में परिवार का एक साथ सेवा करना बहुत अच्छा है। यह देखना बहुत अनमोल है कि पीढ़ी दर पीढ़ी लोग परमेश्वर के मार्गों पर चलते हैं। परन्तु जब हमें ये आशीषें चाहिए ही चाहिए होती हैं, या जब हम इतने निराश और हताश होते हैं कि हमें परमेश्वर में कोई सान्त्वना या आशा नहीं मिलती, तब हम खतरे में होते हैं।

परमेश्वर ने हमें सम्बन्धों के लिए बनाया है। परमेश्वर के साथ हमारा सम्बन्ध और दूसरों के साथ हमारे सम्बन्ध, त्रिएकता में अनन्तकालीन रूप से विद्यमान प्रेम, संवाद और उद्देश्य के सम्बन्धों के अनुरूप हैं। स्वाभाविक रूप से, जब हम परमेश्वर के केन्द्रीय मानवीय सम्बन्धों के घेरे, अर्थात् परिवार में टूटे हुए सम्बन्धों का अनुभव करते हैं, तो हमारा हृदय व्यथित होता है। परन्तु, परमेश्वर की स्तुति हो, उसने मेल-मिलाप के साधन बनाए हैं। मेल-मिलाप का सबसे प्रभावशाली उदाहरण प्रभु यीशु ख्रीष्ट का देहधारण, जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान है जो हमें हमारे स्वर्गीय पिता के साथ मेल-मिलाप कराता है।

3. नम्रता के साथ प्रेम करें।

हम सच्चे और नम्र मसीही विश्वास को निरन्तर जीते हैं। जैसे परमेश्वर ने आपसे प्रेम किया है, वैसे ही प्रेम करें। अपने सम्बन्धों की अपेक्षाओं को उस सुन्दरता, अनुग्रह, करुणा और समझ से भरें जो ख्रीष् ने आपको प्रदान की है। ख्रीष्ट पिता के सम्मुख आपके लिए मध्यस्थता कर रहा है। आपके विद्रोही बच्चे को आप में वही स्वागत देखना और सुनना चाहिए जो ख्रीष्ट संकट में पड़े सभी लोगों के लिए प्रदान करता है।

यदि आप निराश के लिए प्रलोभित हुए है, तो निरुत्साहित न हों। थके हुए और बोझ से दबे लोगों के लिए मत्ती 11:28-30 में ख्रीष्ट की बुलाहट को स्मरण करें। यह न केवल पापियों का स्वागत करता है, परन्तु विश्वासियों के लिए शरण की प्रतिज्ञा भी करती है।

टूटे हुए सम्बन्धों में अपना दोष स्वीकार करने के लिए स्वयं को नम्र करना कठिन है। माता-पिता के रूप में अपने न्यायोचित और सम्मानजनक बलिदान, अपने अच्छे नियतों और अपने सच्चे प्रयासों का बचाव किए बिना पश्चात्ताप करना कठिन है। ख्रीष्ट-समान व्यवहार के साथ विद्रोह का सामना करना कठिन है। हम इस शान्ति उत्पन्न करने वाली सेवा को पूरा करने की खोज को कैसे कर सकते हैं? पतरस हमारे मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के लिए एक समयोचित स्मरण प्रदान करता है:

उसकी ईश्वरीय सामर्थ ने उसी के पूर्ण ज्ञान के द्वारा जिसने हमें अपने महिमा और सद्भावना के अनुसार बुलाया है, वह सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें प्रदान किया है।  क्योंकि उसने इन्हीं के कारण हमें अपनी बहुमूल्य और उत्तम प्रतिज्ञाएं दी हैं, जिससे कि तुम उनके द्वारा उस भ्रष्ट आचरण से जो वासना के कारण संसार में है, छूट कर ईश्वरीय स्वभाव के सहभागी हो जाओ। (2 पतरस 1:3-4)।               

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।