21 सितम्बर 2021
धन्य वाणियां ईश्वरोन्मुख दृष्टिकोण के साथ प्रारम्भ होते हैं—आत्मिक दरिद्रता, शोकित होना, नम्रता, और भूख—और मानवाभिमुख विषयों की ओर बढ़ती हैं—दया, शुद्धता,और मेल कराना—मत्ती 5:10 में सताव और निन्दा की अनिवार्य वास्तविकता के साथ समाप्त होने से पहले (मत्ती10:22; यूहन्ना 15:20 भी देखें)।