परमेश्वर के प्रेम का उदाहरण होना

क्योंकि धैर्यवान प्रेम और दया परमेश्वर के चरित्र में निहित है, इसलिए मसीहियों को इन गुणों का अनुकरण करना चाहिए और इन्हें एक-दूसरे के प्रति प्रकट करना चाहिए। परन्तु ऐसा करना कैसे सम्भव है जबकि एक व्यक्ति को तुच्छ समझा जाता तथा अपमानित या बदनाम किया जाता है?