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इब्रानी कविता को कैसे पढ़ें

Reading-Hebrew-Poetry

सैमुअल टेलर कॉलरिज ने एक बार कविता को परिभाषित करते हुए कहा था, “सबसे श्रेष्ठ क्रम में सबसे श्रेष्ठ शब्द।” ऐसे समय में जब अधिकाँश लोग कविता का उपहास करते हैं और उसे अनदेखा करते हैं, तब हमें मसीहीयों के रूप में इसके प्रति प्रेम को पुनः जगाने की आवश्यकता है, विशेषकर इसलिए क्योंकि पुराने नियम का एक तिहाई भाग कविता ही है।  

परन्तु कविता पढ़ना अधिकाँशतः कठिन होता है। क्योंकि कविता भाषा की सीमाओं को लाँघती है और पाठकों से इसके अन्तराल को भरने की बड़ी माँग करती है। परन्तु यदि परमेश्वर ने पवित्रशास्त्र के इतने बड़े भाग को कविता में प्रकट करना सबसे अच्छा समझा, तो हमें इसका अच्छा पाठक बनने की आवश्यकता है। पुराने नियम की कविता को अच्छी रीति से पढ़ने के लिए यहाँ चार सुझाव दिए गए हैं।

1.समानांतरता की सूक्ष्मताओं को अपनाएँ।

हिन्दी कविता प्रायः तुकबंदी का उपयोग करती है, पँक्तियों के अन्त में समान ध्वनियों को संरेखित करती है। इब्रानी कविता समानांतरता का उपयोग करके पँक्तियों को एक साथ जोड़ती है। इसमें सामान्यतः दो प्रकार की समानांतरता देखी जाती हैं। पहला है समानार्थी समानांतरता, जहाँ पर दो पँक्तियों का अर्थ बहुत अधिक समान होता है, और दूसरा है विपरीत समानांतरता, जहाँ पर दो पँक्तियाँ विपरीत दृष्टिकोण को एक साथ रखती हैं (उदाहरण के लिए, भजन संहिता 1:6 और कई नीतिवचन भी हैं, जैसे नीतिवचन 10:1)। समानार्थी समानांतरता के विषय में एक सामान्य भ्रम यह है कि दो पँक्तियाँ एक ही बात को दो बार कहती हैं। परन्तु ऐसा कभी नहीं होता। दूसरी पँक्ति हमेशा कुछ नया जोड़ती है। उदाहरण के लिए: 

इसलिए, अब हे राजाओं, समझदारी दिखाओ, और पृथ्वी के न्यायियो, चेतावनी पर ध्यान दो। (भजन संहिता 2:10) 

दूसरी पँक्ति में कवि अपने सम्बोधन में राजाओं से आगे बढ़ाकर पृथ्वी के सभी शासकों को सम्बोधित करता है, जिनमें निचले स्तर के शासक भी सम्मिलित हैं। वह यह भी समझाता है कि बुद्धिमान होने का क्या अर्थ है: इसलिए परमेश्वर के द्वारा अपने पुत्र को परम प्रधान राजा नियुक्त करने से चेतावनी लें (भजन 2:5-9)।

सब प्रकार की समानांतरता के लिए तैयार रहें। कुछ समानान्तर पँक्तियाँ तुलनात्मक होती हैं (भजन 103:11), और कुछ दो-भाग वाली कहानी बताती हैं (भजन 3:4), और कुछ केवल पहली पँक्ति में आरम्भ किए गए वाक्य को पूरा करती हैं (भजन 111:6)। हम सर्वदा जो प्रश्न पूछते हैं वह यह है कि दूसरी पँक्ति पहली पँक्ति को किस प्रकार पूरा करती है या आगे बढ़ाती है?

2. रूपकों का आनन्द लें।

रूपक कविता की जीवनरेखा होते हैं। (ध्यान दें कि यह भी एक रूपक है!) रूपक वास्तविकता को देखने के सामर्थी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। यिर्मयाह 2:13 पर विचार करें:

क्योंकि मेरी प्रजा ने दो बुराइयाँ की हैं: उन्होंने मुझे, अर्थात् जीवन-जल के सोते को त्याग दिया है और अपने लिए हौज़ बना लिए हैं, टूटे हुए हौज़, जिनमें जल टिक नहीं सकता। 

रूपकों को समझने के लिए हमें छवियों को चित्रित करने की आवश्यकता होती है। सोता वह होता है जहाँ से पानी स्वाभाविक रूप से भूमि से बाहर निकलता है। जो सेंतमेंत में शुद्ध और ताज़ा जल होता है। ऐसी ही परमेश्वर की अपार भलाई भी है। इसके विपरीत, हौज़ एक छोटा सा गड्ढा होता है, जिसे चट्टान को काटकर बाहर निकालने की आवश्यकता होती है, और फिर रिसाव को रोकने के लिए प्लास्टर किया जाता है। (जो कि बहुत अधिक परिश्रम का काम होता है) यहाँ तक ​​कि जब हौज़ में पानी भरा रहता है, तो वह पानी एक स्थान पर पड़े-पड़े सड़ जाता है। इसी प्रकार मूर्तियाँ भी टूटे हुए हौज़ के समान हैं: उनमें पानी नहीं रहता; उनमें केवल कीचड़ ही बचा होता है। और पाप की त्रासदी भी ऐसी ही है कि हम जीवन के जल के सोते को टूटे हुए हौज़ से बदल देते हैं। एक अच्छा बाइबल शब्दकोश या बाइबल अध्ययन आपको प्राचीन निकट पूर्वी कल्पना को अच्छी रीति से समझने में सहायता कर सकता है।  

ध्यान देने वाली एक और बात यह है कि रूपक अधिकाँशतः समूहों में आते हैं। भजन संहिता 1:3 में हम पढ़ते हैं:

वह उस वृक्ष के समान है जो जल-धाराओं के किनारे लगाया गया है, और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुर्झाते नहीं: इसलिए जो कुछ वह मनुष्य करता है वह उसमें सफल होता है।  

इस रूपक में, धर्मी इस्राएली एक वृक्ष है। परन्तु अन्य रूपक भी विद्यमान हैं जो बताते हैं कि, परमेश्वर वह किसान है जिसने समृद्ध स्थान पर वृक्ष लगाया, और वृक्ष का फल धर्मी जन के भले काम हैं। यह देखना कितना उत्साहजनक है कि प्रभु हमारी सुधि लेता है। जब आप किसी रूपक का सामना करते हैं, तो उसे अपने भीतर तक जाने दें। प्रश्न पूछें कि मुख्य रूपक अन्य किन रूपकों का संकेत देता है?

3. पहचानें कि कौन बोल रहा है।

कभी-कभी हम पुराने नियम की कविता से भ्रमित हो जाते हैं क्योंकि हम एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछना भूल जाते हैं, कि यह बोल कौन रहा है? पुराने नियम के कवि अधिकाँशतः प्रभु और उसके लोगों के बीच संवाद को नाटकीय रूप से प्रस्तुत करते हैं, और कभी-कभी बिना सूचना के ही वक्ता परिवर्तित हो जाता है। यिर्मयाह 8:18-20 इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण है, जहाँ तीन बार वक्ता बदलता है। नीचे वक्ताओं के विषय में टिप्पणी के साथ स्थल दिया गया है:

[यिर्मयाह]

मेरा आनन्द चला गया है; दुःख मेरे ऊपर आ पड़ा है; मेरा हृदय भीतर ही भीतर घटा जा रहा है।

ध्यान से सुनो! दूर देश से मेरे लोगों का रोना सुनाई दे रहा है।

 [लोग]

“क्या यहोवा सिय्योन में नहीं है? क्या उसका राजा उसमें नहीं है?”   

[प्रभु] 

“उन्होंने क्यों मुझे अपने गढ़े हुए प्रतिमाओं और पराए मूरतों से क्रोधित किया है?”

[लोग]

“कटनी का समय बीत चुका है, ग्रीष्मकाल समाप्त हो गया है, परन्तु हमारा उद्धार नहीं हुआ है।

प्रत्येक वार्ता, सन्दर्भ और सम्बोधन में हम विद्यमान संकेतों के आधार पर वक्ता को पहचान सकते हैं। यह पूछना सीखें कि कौन बोल रहा है, और यह बात भ्रमित करने वाले स्थलों  के भेद को खोलने में सहायता करती है।

4. परमेश्वर के उच्चकोटि के शब्दों का आनन्द लें।

परमेश्वर ने पवित्रशास्त्र का इतना अधिक भाग काव्यात्मक रूप में इसलिए नहीं दिया है कि हम जानबूझकर भ्रमित हों। उसने हमें कविताएँ इसलिए दीं जिससे कि हम उसके वचन का भरपूर आनन्द ले सकें। अपने आस-पास ऐसे मसीही लोगों से घेरें जो बाइबल की कविताओं की सराहना करने में आपकी सहायता कर सकते हैं। हिन्दी में अच्छी कविताएँ पढ़ें। शीघ्र ही आप पाएँगे कि आपको बाइबल की कविताएँ पढ़ने में और भी अधिक आनन्द आने लगा है।  

यह लेख व्याख्याशास्त्रसंग्रह का भाग  है।है।     

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

मैथ्यू एच. पैटन
मैथ्यू एच. पैटन
डॉ. मैथ्यू एच. पैटन वैन्डेलिया, ओहायो में कवनेन्ट प्रेस्बिटेरियन चर्च के पास्टर हैं।