1 राजा और 2 राजा के विषय में 3 बातें जो आपको जाननी चाहिए - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
1 और 2 शमूएल की पुस्तकों के विषय में 3 बातें जो आपको जाननी चाहिए
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1 राजा और 2 राजा के विषय में 3 बातें जो आपको जाननी चाहिए

1. राजाओं की पुस्तक निर्वासन के समय यह समझाने के लिए लिखी गई थी कि इस्राएल और यहूदा निर्वासन में क्यों थे।

इब्रानी बाइबल में राजाओं की पुस्तक — जिसमें 1 और 2 राजा एक साथ हैं — “पूर्व नबी” (यहोशू, न्यायिओं, शमूएल और राजाओं) की अन्तिम पुस्तक है। ये पुस्तकें परमेश्वर के द्वारा प्रतिज्ञा किए हुए देश में इस्राएल के आगमन से लेकर अश्शूर और बेबीलोन में निर्वासन के समय काल देश से उसके निष्कासन तक के इतिहास का वर्णन करती हैं। राजाओं की पुस्तक की अपने अन्तिम रूप में रचना 561 ईसवी पूर्व में राजा यहोयाकीम के बन्दीगृह से छूटने के बाद ही सम्भव हुई होगी (2 राजा 25:27), और क्योंकि इसमें निर्वासन से वापसी का उल्लेख नहीं है, यह सम्भवतः बेबीलोन में निर्वासन के दुसरे भाग में किसी समय पर लिखी गई थी।

राजाओं की पुस्तक ईश्वरविज्ञानीय इतिहास है, जो बताता है कि परमेश्वर ने अपने लोगों को विदेशी देशों को क्यों सौंप दिया। उत्तर बार-बार दोहराया जाता है: सुलैमान के राजकाल के बाद राज्य के विभाजन के समय से परमेश्वर के लोगों और उनके राजाओं ने “वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और उन्होंने अपने पापों से उसके क्रोध को भड़काया” ( 1 राजा 14:22)। यहाँ तक ​​कि जब कभी-कभार एक धर्मी राजा खड़ा हुआ, तब भी उसके वंशजों ने इस्राएल/यहूदा के आत्मिक पतन को जारी रखा। 2 राजा 17:7-23 में विस्तारित ईश्वरविज्ञानीय टीका पूरी पुस्तक के सन्देश को सारांशित करती है: “और यह [निर्वासन] इसलिए हुआ कि इस्राएलियों ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप किया, जिसने उन्हें मिश्र देश से निकला अर्थात मिश्र के राजा फिरोन के दासत्व से छुड़ाया था और वह अन्य देवताओं का भय मानने लगे थे और जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के सामने देश से निकाल दिया था उन्हीं जातियों के तथा इस्राएल के राजाओं के चलाए रीति-रिवाज का पालन करने लगे थे” (पद 7-8)।

राजाओं की पुस्तक में निर्वासन से वापसी की कोई स्पष्ट प्रतिज्ञा या नबूवत नहीं है, फिर भी पुस्तक के अन्त में यहोयाकीम का छुटकारा एक सुखद अन्त का पूर्वाभास देता है। जैसा कि हम व्यवस्थाविवरण 4:25-31 और लेखक-नबियों की रचनाओं में पढ़ते हैं, वह अन्त वास्तव में आएगा, अन्ततः महान् दाऊद के महानतर पुत्र, यीशु ख्रीष्ट के आगमन के साथ आएगा, जो दाऊद के सिंहासन पर अनन्त काल के लिए बैठेगा।

2. राजाओं की पुस्तक केवल राजाओं के विषय में नहीं है; यह नबियों के विषय में भी है।

इस्राएल के राजतन्त्र के उदय से नबी के पद का विकास हुआ और इसके लिए अच्छा कारण था: विद्रोही राजाओं को परमेश्वर की चेतावनी के वचन सुनने की आवश्यकता थी और विश्वासयोग्य राजाओं को परमेश्वर के प्रोत्साहन के वचन सुनने की आवश्यकता थी। राजाओं की सम्पूर्ण पुस्तक में विभिन्न नबी इस्राएली राजाओं (और पाठक) को यह स्मरण करवाने के लिए परामर्श देते हैं, निर्देश देते हैं, चेतावनी देते हैं और भविष्य की नबूवत करते हैं कि परमेश्वर का वचन इस्राएल में सर्वोच्च अधिकारी और सत्ता है।

कई नामित (named) और अनाम (unnamed) नबी कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, परन्तु एलिय्याह और एलीशा केन्द्र में हैं। उन्हें परमेश्वर ने अहाब के घराने के राजकाल (इस्राएल में धर्मत्याग का सबसे गहरा काल) के समय में विशेष रूप से उत्तरी साम्राज्य को परमेश्वर और उसके वचन की ओर लौटने की बुलाहट देने के लिए खड़ा किया था। ये दो ईश्वरभक्त (godly) और साहसी पुरुष “नबियों के पुत्रों” के अगुए थे जो शमूएल की नबूवत की सेवकाई के समय पहली बार एकत्र हुए थे। एलिय्याह और एलीशा की घोषणाएँ और आश्चर्यकर्म व्यवस्थाविवरण 18 में पहले से बताए गए मूसा से भी महान् नबी के रूप में यीशु के वचन और कार्य की सेवकाई की पूर्वछायाँ हैं।

3. 1 राजा 19 में एलिय्याह एक भयभीत, आत्म-दया करने वाला नबी नहीं था।

कई टीकाकार इस अध्याय में एलिय्याह को एक दुखड़ा रोने वाले कायर के रूप में देखते हैं, जो ईज़ेबेल से डरकर और अविश्वासपूर्वक अपनी आत्मकेन्द्रित “हाय मुझ पर” कहानी प्रभु के सामने उण्डेलने के लिए भाग रहा है। लेकिन एलिय्याह के शब्दों की पौलुस के द्वारा की गई व्याख्या हमें एक अलग दिशा में इंगित करती है: “उसने इस्राएल के विरुद्ध परमेश्वर से विनती की” (रोमियों 11:2)। टीकाकार डॉ. डेल राल्फ डेविस के अनुसार इस विचार को कई कारणों से अस्वीकार किया जाना चाहिए कि एलिय्याह अविश्वासपूर्वक भाग गया था।

  1. यद्यपि 1 राजा 19:3 में लिखे इब्रानी शब्दों को “और वह डर गया” पढ़ा जा सकता है, पारम्परिक इब्रानी पाठ में, “और उसने देखा” पढ़ा जा सकता है। बाद वाला पठन (reading) पहले वाले की सर्वश्रेठ व्याख्या करता है। एलिय्याह ने देखा — वह समझ गया — कि कर्म्मेल पर्वत पर बाल के नबियों की हार (1 राजा 18:17-40) ने कुछ भी उपार्जित नहीं किया था: बाल की आराधना करने वाली इज़ेबेल अभी भी इस्राएल में राज कर रही थी। इसलिए एलिय्याह स्वयं को और इस्राएल की स्थिति को परमेश्वर को सौंपने के लिए प्रस्थान कर गया।
  1. मानचित्र से ज्ञात होता है कि एलिय्याह की यात्रा घबराहट या कर्तव्य की उपेक्षा की नहीं, वरन् उद्देश्य और योजना की थी। वह यहूदा के राज्य में सुरक्षित रहता, फिर भी उसने यिज्रेल से एक सौ मील दक्षिण में बेर्शेबा तक यात्रा की और वहाँ से वह जंगल में एक और दिन की यात्रा पर चला गया (1 राजा 19:3-4)। परमेश्वर के दूत ने उसे खाने और उससे भी लम्बी यात्रा के लिए दृढ़ होने का आग्रह किया (1 राजा 19:7), जिसका गन्तव्य होरेब था, जहाँ परमेश्वर उससे सुनना चाहता था।
  1. मूसा के साथ समानताएँ भी हमें एलिय्याह के शब्दों को पौलुस की दृष्टि से देखने के लिए प्रेरित करती हैं। मूसा को पहली बार होरेब/ सीनै पर्वत पर दस आज्ञाएँ प्राप्त हुईं, और जब उसने चालीस दिन और रातों तक उपवास किया, तो इस्राएल ने दूसरी आज्ञा का उल्लंघन किया और उसे केवल तभी क्षमा किया गया जब परमेश्वर ने मूसा की वाचापरक मध्यस्थता सुनी। एलिय्याह के दिनों में इस्राएल परमेश्वर की वाचा के प्रति और भी अधिक विश्वासघाती था और पूरी रीति से अन्य देवताओं की आराधना कर रहा था। एलिय्याह ने परमेश्वर से एक मध्यस्थ के रूप में नहीं, वरन् वाचा के अधिवक्ता (lawyer) के रूप में अभियोजन (prosecution) पक्ष के लिए साक्ष्य प्रदान करते हुए बात की।

चिन्ता के कारण काँपने या आत्म-केन्द्रितता में डूबने के स्थान पर एलिय्याह ने एक टूटे हुए ह्रदय वाले नबी के रूप में होरेब की यात्रा की, जो इस्राएल के पश्चात्तापरहित और कठोर हृदयों के कारण निराशा में शोक कर रहा था। परमेश्वर ने उसे होरेब पर आने के लिए नहीं डाँटा, परन्तु दयालुता और धार्मिकता के साथ अपने निराश सेवक के पास आया, जिससे कि वह उसे इस्राएल के विरुद्ध वाचा के विषय में आरोप (covenant accusation) लगाते हुए सुन सके। प्रभु ने अपने नबी को न्याय और आशा के वचनों के द्वारा प्रोत्साहित किया और उसे सेवकाई में एक नई दिशा दी, इस प्रकार आगे आने वाली कथा के लिए मंच तैयार किया।

 और विस्तार में देखने के लिए डेल राल्फ डेविस द्वारा लिखित 1 किंग्स: द विसजम ऐण्ड द फॉली (फ्यर्न, स्कॉटलैण्ड: क्रिश्चियन फोकस पबलिकेशन्स, 2008) और 2 किंग्स: द पवर ऐण्ड द फ्यूरी (फ्यर्न, स्कॉटलैण्ड: क्रिश्चियन फोकस पबलिकेशन्स, 2011) देखें।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

कैलेब कैंगलोसी
कैलेब कैंगलोसी
कैलेब कैंगलोसी रिजलैण्ड, मिस्सिसिपिपी में पैर ऑर्चर्ड प्रेस्बिटेरियन चर्च के वरिष्ट पास्टर हैं, और लॉग कॉलेज प्रेस के संस्थापक हैं।