भजन संहिता के विषय में 3 बातें जो आपको जाननी चाहिए। - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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भजन संहिता के विषय में 3 बातें जो आपको जाननी चाहिए।

भजनों की पुस्तक वह गीतपुस्तक थी जिसे हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट ने प्रत्येक सब्त के दिन गाया था। आज की कलीसिया में हमारे पास असंख्य गीतपुस्तकें हैं; यीशु के समय में केवल एक गीतपुस्तक थी: भजनमाला में निहित 150 गीत। हम उद्धारकर्ता की गीतपुस्तिका को कितनी अच्छी रीति से जानते हैं?

1. भजन की पुस्तक एक हजार वर्ष की अवधि में लिखी गई थी।

भजन 90, जो मूसा का भजन है, सम्भवतः सबसे पहला भजन था, जो 1500 ईसा पूर्व के आस-पास लिखा गया था। यह जानना कठिन है कि अन्तिम भजन कब रचा गया था, परन्तु भजन 126, जो आरम्भ होता है, “जब यहोवा सिय्योन के बन्धुवों को लौटा ले आया तो हम स्वप्न देखने वालों के समान हो गए,” सम्भवतः 537 ईसा पूर्व में निर्वासन से इस्राएल की वापसी को सन्दर्भित करता है।

2. लगभग 40 प्रतिशत भजन विलाप हैं।

150 भजनों में से, उनतालीस भजन विलाप हैं, जो आत्मिक और ईश्वरविज्ञानीय उदासीन राग में रचित हैं। भजन 47 जैसे अतुलनीय आनन्द और आनन्द के भजन हैं। परन्तु इतने सारे विलाप के भजन क्यों हैं? व्यक्तिगत और सामूहिक विश्वास का जीवन पतित संसार में जीया जाता है और शरीर, संसार और शैतान द्वारा इसका विरोध किया जाता है। यीशु ने अपने चेलों से कहा, “संसार में तुम्हें क्लेश होगा” (यूहन्ना 16:33)। भजन उन संघर्षों, दुःखों, थकान, उलझनों और असफलताओं को हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति देते हैं जो प्रत्येक विश्वासी के दैनिक अनुभव हैं। भजन 44 के इन शब्दों के विषय में विचार करें:

हम दिन भर अपने परमेश्वर पर गर्व करते रहे हैं,

और तेरे नाम का धन्यवाद सदा-सर्वदा करते रहेंगे।

सेला।

पर अब तू ने हमें त्याग कर अपमानित किया है,

और हमारी सेनाओं के साथ आगे नहीं जाता।

तू हमें शत्रुओं को पीठ दिखाने के लिए विवश कर देता है,

और हमारे बैरियों ने मनमानी हमारी लूट-मार की है।

तू ने हमें कसाई की भेड़ों के समान कर दिया है,

और हमें जाति जाति में तितर-बितर किया है। (भजन 44:8-11)

यीशु ने ये शब्द तब गाए होंगे जब वह अपने पिता के सामने अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करते हुए खड़ा था। या बतशेबा के साथ अपने पाप की त्रासदी के पश्चात् राजा दाऊद के पश्चाताप के गीत, भजन 51 के इन शब्दों के विषय में विचार करें:

हे परमेश्वर, अपनी करुणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर : 

अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।

मेरे अधर्म से मुझे पूर्णतः धो दे, 

और मेरे पाप से मुझे शुद्ध कर। 

क्योंकि मैं अपने अपराधों को मानता हूँ,

और मेरा पाप निरन्तर मेरे सम्मुख रहता है। (भजन 51:1-3)

भजनों में कई विलाप के गीत उन विश्वासियों को योग्य बनाते हैं जो गहराई में हैं, या जो परीक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, वे पवित्र आत्मा से प्रेरित शब्दों में अपने हृदय में संघर्ष और दुःखों को व्यक्त कर सकते हैं। कई विलाप के भजन परमेश्वर की सन्तानों के चिन्तित हृदयों को पुनः आश्वस्त करने और पुनः व्यवस्थित करने में सहायता करने के लिए आत्मिक उपचार हैं।

3. सभी भजन परमेश्वर के प्रतिज्ञात मसीहा-राजा, यीशु ख्रीष्ट के विषय में हैं।

कई मसीही ऐसे भजनों की ओर संकेत करने के योग्य होंगे जो स्पष्ट रूप से परमेश्वर की प्रतिज्ञा किए गए मसीहा-राजा की बात करते हैं। भजन 2 के विषय में सोचो, “प्रभु ने मुझ से कहा, ‘तू मेरा पुत्र है; आज मैंने तुम्हें जन्म दिया है,’” या भजन 41, “यहाँ तक कि मेरे घनिष्ठ मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, और जो मेरी रोटी खाता था, उसने मेरे विरुद्ध लात उठाई है” (यूहन्ना 13:18 में यीशु द्वारा उद्धृत)। परन्तु भजन यहाँ-वहाँ के पदों की तुलना में यीशु के लिए कहीं अधिक बड़ी और भव्य साक्षी देते हैं।

जैसे ही क्रूस की छाया ने यीशु की मानवीय आत्मा पर अपना घने अन्धकार को डालना आरम्भ किया, उसने उन धार्मिक अगुवों से यह प्रश्न पूछा जो उसकी मृत्यु का षड़यन्त्र रच रहे थे:

“ख्रीष्ट के विषय में तुम क्या सोचते हो? वह किसका पुत्र है?” उन्होंने उससे कहा, “दाऊद का।” उसने उनसे कहा, “तब दाऊद आत्मा में उसे ‘प्रभु’ क्यों कहता है, अर्थात्

‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा,

“मेरे दाहिने बैठ, 

जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न बना दूँ”’?

यदि दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र कैसे हुआ?” (मत्ती 22:41-44, भजन 110:1 को उद्धृत करते हुए)

यीशु के विषय में भजनों की साक्षी उसके मन में पहले स्थान पर थी जब क्रूस पर लटके हुए हमारे पापों के योग्य धर्मी न्याय को सहन करते हुए उसने पुकारा, “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”(मत्ती 27:46, भजन 22:1 को उद्धृत करते हुए)।

अपने पुनरुत्थान के पश्चात् यीशु के उन वचनों पर विचार करें जिन्हें उसने अपने चेलों से कहा: “ये मेरी वे बातें हैं जिन्हें मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए कही थीं कि उन सब बातों का जो मूसा की व्यवस्था में, नबियों तथा भजनों की पुस्तक में, मेरे विषय में लिखी गई थीं पूरा होना अनिवार्य है। उसने उनकी बुद्धि खोल दी कि वे पवित्रशास्त्र को समझें” (लूका 24:4-45)।

भजन अपनी सम्पूर्णता में परमेश्वर के प्रतिज्ञात मसीहा-राजा की बात करते हैं। वही वह “धन्य व्यक्ति” है जो भजन 1 में चित्रित धर्मी जीवन का उदाहरण देता है। वही वह राजा है जिसके शत्रु उसके चरणों की चौकी बनेंगे (भजन 2; 110:1)। वही वह धर्मी पीड़ित है जो प्रभु पर विश्वास का आदर्श है (भजन 22)।

भजन विश्वास के जीवन को गहरी सत्यता के साथ चित्रित करते हैं। वे हमें मार्मिक ढंग से स्मरण दिलाते हैं कि मृत्यु और पुनरुत्थान का प्रक्रिया जो प्रभु यीशु ख्रीष्ट की पवित्र मानवता में अंकित था, वही प्रक्रिया है  जिसे पवित्र आत्मा सभी परमेश्वर की सन्तानों के जीवन में दोहराना चाहता है। भजन संहिता की पुस्तक एक ईश्वरीय रूप से प्रेरित गीतपुस्तक है जो एक सहस्राब्दी से अधिक समय से परमेश्वर की वाचा के लोगों के उतार-चढ़ाव, विजय और त्रासदियों को दर्शाती है। जॉन केल्विन ने भजनों को “आत्मा के सभी भागों की शारीरिक रचना” के रूप में वर्णित किया। आइए हम उद्धारकर्ता की गीतपुस्तक गाएँ, ऐसा न हो कि हम अपनी आराधना को शक्तिहीन करने और इसके गीतों में निहित समृद्ध आत्मिकता को लूटने का जोखिम उठाएँ।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

ईयन हैमिल्टन
ईयन हैमिल्टन
ईयन हैमिल्टन इंग्लैण्ड के न्यूकासल में वेस्टमिन्स्टर प्रेस्बिटेरियन थियोलॉजिकल सेमिनेरी के अध्यक्ष, और ग्रीनविल, साउथ कैरोलायना में ग्रीनविल प्रेस्बिटेरियन थियोलॉजिकल सेमिनेरी में सहायक प्राध्यापक हैं, और बैनर ऑफ ट्रूथ ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। वह कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें वर्ड्स फ्रम द क्रॉस, आवर हेवेनली शेपहेर्ड, और लेक्टियो कन्टिनुआ एक्सपॉसिटोरी टीका श्रृंखला में इफिसियों पर टीका सम्मिलित हैं।