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जॉन कैल्विन के  विषय में 5 बातें जो आपको जाननी चाहिए

1. जॉन कैल्विन  को उनकी कलीसिया, सेवकाई और घर से निकाल दिया गया था।

जिनेवा में सेवकाई आरम्भ किए हुए दो वर्ष भी नहीं बीते थे कि उनतीस वर्षीय जॉन कैल्विन (1509-64) को नगर छोड़ने के लिए दो दिन का समय देकर उनकी कलीसिया, सेवकाई और घर से निकाल दिया गया।  इसमें कोई संदेह नहीं कि जब वह और विलियम फ़ेरेल उस अप्रैल जिनेवा से दूर जा रहे थे, तो वे सोच रहे होंगे कि अब आगे क्या होगा। इस कड़वे अनुभव के प्रतिउत्तर में वे एक धार्मिक द्वन्द्व करने के विषय में विचार कर रहे थे; वे योजना बना रहे थे कि कैसे वे ज्यूरिख और बर्न को जिनेवा में उन्हें पुनर्स्थापित करने के लिए काम करने के लिए मना सकते थे। परन्तु कैल्विन को ज्ञात नहीं था कि प्रभु अपने ईश्वरीय प्रावधान में उनके प्रयासों को विफल कर देगा। इसके विपरीत, प्रभु उसके लिए पास्टरीय प्रशिक्षण के समय की व्यवस्था कर रहा था, जो कैल्विन के भविष्य की पास्टरीय सेवाओं के लिए मूलभूत सिद्ध  होगा।

2. जॉन कैल्विन ने सेवकाई में असफलताओं का अनुभव किया।

वे लोग जो कैल्विन के जीवन की कहानी से कुछ परिचित हैं, वे कलीसियाई अनुशासन के माध्यम से प्रभु भोज के विश्वासयोग्य रीति से  पालन को लागू करने के लिए जिनेवा में उनके प्रारम्भिक प्रयासों के विषय में जानते हैं, परन्तु कम ही लोग जानते हैं कि प्रभु ने कैसे इस असफलता के माध्यम से कैल्विन को परिवर्तित किया।  निर्वासन में जाने के पश्चात्, कैल्विन  आरम्भ में बेसल में रहने लगे, परन्तु फिर मार्टिन ब्यूसर (1491-1551) ने उन्हें स्ट्रासबर्ग आने के लिए आमंत्रित किया। ब्यूसर, जो कैल्विन से लगभग बीस वर्ष बड़े थे, ने न केवल उस नगर में सेवकाई का अवसर उपलब्ध करवाया, परन्तु कैल्विन  के साथ ह्रदय से मित्रता भी की, उनका अपने घर में स्वागत किया और थोड़े समय में  कैल्विन के लिए पड़ोस में एक घर मोल लेने में सहायता की। यह सब इस तथ्य के होते हुए भी था कि एक वर्ष पहले ही कैल्विन ने उन्हें एक टकरावपूर्ण और अहंकारपूर्ण पत्र लिखा था – जिसके प्रति ब्यूसर ने धैर्यवान और प्रेमपूर्ण प्रतिउत्तर दिया था। ब्यूसर के रूप में कैल्विन  को वह मार्गदर्शक और पास्टर मिल गया, जिसकी उन्हें आवश्यकता थी।

3. जॉन कैल्विन ने शरणार्थियों के पास्टर के रूप में कार्य किया।

जिस वर्ष कैल्विन जिनेवा पहुंचे (1538) उसी वर्ष ब्यूसर “आत्माओं की सच्ची देखभाल के विषय में” नामक अपनी पुस्तिका की पांडुलिपि को पूरा कर रहे थे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपने भोजनकाल की बातचीत में दोनों ने पास्टरीय सेवकाई और कलीसिया के जीवन के विषय में विस्तार से चर्चा की थी। ब्यूसर लंबे समय से स्ट्रासबर्ग में सेवकाई में बाधाओं का सामना कर रहे थे और उनका लेखन कलीसिया और उसकी सेवकाई में ख्रीष्ट -केंद्रित वृद्धि लाने के उनके धैर्यपूर्ण प्रयास का एक भाग था। परमेश्वर के प्रावधान में कैल्विन  को उस नगर में सेवकाई का अवसर शिक्षण से कहीं आगे बढ़कर मिला; उन्होंने फ्रांसीसी शरणार्थी मण्डली के पास्टर  के रूप में कार्य किया। काम में जहाँ कई प्रोत्साहन मिले, वहीं कैल्विन  को दुःखों का भी सामना करना पड़ा। उनके घनिष्ठ मित्र और चचेरे भाई, पिएर रॉबर्ट ओलिवेटन, जिन्होंने उनके हृदय-परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, की मृत्यु हो गई। फ़्रांस से उनके एक पुराने मित्र, लुईस डु टिलेट, जिन्होंने उन्हें सताव से बचाया था और इंस्टीट्यूटस ऑफ़ द क्रिस्चन रिलिजन के पहले प्रारूप के लिए संसाधन प्रदान किए थे, रोमन कैथोलिक धर्म में लौट गए। 1540 में “मेरे जीवन की सबसे अच्छी साथी” आइडेलेट ड ब्यूर से उनके विवाह के द्वारा उनके जीवन एक नया आनंद आया।

4. जॉन कैल्विन स्वेच्छा से उस कलीसिया में लौट आये, जिसने उन्हें बाहर निकाल दिया था।

कैल्विन  के विवाह वाले वर्ष में ही, स्ट्रासबर्ग में नए काम के बीच में, जिस समय को उन्होंने “मेरे जीवन के सबसे सुखद वर्ष” कहा था, एक सबसे अप्रत्याशित निमंत्रण आया। जिनेवा चाहता था कि वह वापस आये और पास्टर के रूप में वहाँ फिर से सेवा करे। उन्होंने झिझकते हुए कहा, “स्वर्ग के नीचे कोई स्थान नहीं है जिससे मैं इससे अधिक डरता हूँ। . . मैं उस क्रूस के स्थान पर, जिस पर मुझे हर दिन हजारों बार मरना पड़ेगा, सौ अन्य मृत्युओं के अधीन होना चाहूँगा।” फिर भी, इन कुछ ही वर्षों में केवल जिनेवा ही नहीं परिवर्तित हुआ था – कैल्विन  भी परिवर्तित हो गए थे। ब्यूसर के प्रोत्साहन और अपनी घबराहट के साथ, कैल्विन  ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया। कुछ बातों के विषय में यह नगर परिवर्तित हो गया था और कलीसिया और समुदाय धर्मसुधार की दिशा में बढ़ने  का अधिक स्वागत करने लगे थे। अन्य बातों में, यह नगर वैसा ही था। प्रभु भोज के विश्वासयोग्य  प्रबंधन की समस्या  को हल करने में सेवकाई के चौदह लम्बे वर्षों का समय लगेगा। जबकि वह कलीसिया की दुर्बलताओं पर शोक मनाते रहे, कैल्विन, प्रभु के द्वारा उनके जीवन में ब्यूसर  की सेवकाई के महत्वपूर्ण उपयोग के कारण, कलीसिया के प्रति बहुत अधिक दूरदर्शिता और अधिक धैर्यवान प्रेम रखने लगे थे।

5. आनन्दों और परीक्षाओं के मध्य जॉन कैल्विन ने परमेश्वर के प्रावधानों को खोजा।
नौ वर्षों पश्चात्, जब कैल्विन को जिनेवा में अपनी नवीनीकृत सेवकाई में पर्याप्त समय हो गया था और उनकी प्रिय पत्नी को मिट्टी के सुपुर्द किए कुछ ही महीने हुए थे, कैल्विन  ने थिस्सलुनिकियों को लिखे पौलुस के शब्दों पर सिखाया: “पौलुस केवल हमारे उद्धार के प्रारम्भ को ही परमेश्वर के अनुग्रह से नहीं मानता है . . हमारे उद्धार की सम्पूर्ण प्रगति परमेश्वर के अनुग्रह के अलावा और कुछ नहीं है।” आनन्दों और परीक्षाओं के माध्यम से, उन्होंने और अधिक गहराई से जान लिया था कि सुखद दिनों और जो क्रोध से भरे हुए प्रावधान लगते हैं- दोनों के पीछे उद्धारकर्ता का प्रसन्नचित मुखमण्डल (मुस्कुराता हुआ चेहरा) है, जो हमें सेवा और महिमा के लिए ढालता रहता है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

विलियम वैनडूडेवार्ड
विलियम वैनडूडेवार्ड
डॉ. विलियम वैनडूडेवार्ड दक्षिण कैरोलिना में ग्रीनविले प्रेस्बिटेरियन थियोलॉजिकल सेमिनरी में चर्च के इतिहास के प्रोफेसर हैं। वह कई पुस्तकों के लेखक या संपादक हैं, जिनमें द क्वेस्ट फॉर द हिस्टोरिकल एडम और चार्ल्स हॉज के एक्सजेटिकल लेक्चर्स एंड सरमन्स ऑन इब्रानियों शामिल हैं।