पवित्रीकरण के विषय में  5 बातें जो आपको जाननी चाहिए - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
जॉन कैल्विन के  विषय में 5 बातें जो आपको जाननी चाहिए
22 अप्रैल 2024
मार्टिन लूथर के बारे में 5 बातें जो आपको जाननी चाहिए
25 अप्रैल 2024
जॉन कैल्विन के  विषय में 5 बातें जो आपको जाननी चाहिए
22 अप्रैल 2024
मार्टिन लूथर के बारे में 5 बातें जो आपको जाननी चाहिए
25 अप्रैल 2024

पवित्रीकरण के विषय में  5 बातें जो आपको जाननी चाहिए

यदि आप पवित्रीकरण के बाइबलीय सिद्धान्त की एक संक्षिप्त परिभाषा खोजें, तो आपके लिए वेस्टमिंस्टर लघु प्रश्नोत्तरी (Westminster Shorter Catechism) में दी गई परिभाषा से उत्तम परिभाषा ढूंढना कठिन होगा। प्रश्न 35 के उत्तर में, वेस्टमिंस्टर के ईश्वरविज्ञानीयों ने लिखा, “पवित्रीकरण परमेश्वर के स्वतंत्र अनुग्रह  का कार्य है, जिसके द्वारा हम परमेश्वर के स्वरुप के अनुसार सम्पूर्ण मनुष्य में नवीनीकृत हो जाते है, और पाप के प्रति अधिक से अधिक मरने और धार्मिकता के प्रति जीने के लिए सक्षम होते हैं।” यद्यपि यह पवित्रीकरण की प्रगतिशील प्रकृति की एक सटीक परिभाषा है, पवित्रशास्त्र पवित्रीकरण के कई अन्य महत्वपूर्ण पक्षों को प्रस्तुत  करता है जो उद्धार के इस लाभ की पूर्ण समझ प्राप्त करने के लिए हमारे लिए आवश्यक हैं। निम्नलिखित पाँच बातों पर विचार करें:

1. ख्रीष्ट पवित्रता का स्रोत है।

विश्वासियों को ख्रीष्ट के साथ उनके मिलन के आधार पर पवित्र किया जाता है। वह पवित्रता का एकमात्र स्रोत है क्योंकि वह अपने लोगों को वह सब कुछ प्रदान करता है जो उन्हें आत्मिक रूप से बढ़ने के लिए आवश्यक है, जब वे विश्वास के साथ उसमें बने रहते हैं। जैसा कि प्रेरित पौलुस ने लिखा, ” उसी के कारण तुम मसीह यीशु में हो, जो हमारे लिए परमेश्वर की ओर से ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और छुटकारा ठहरा ” (1 कुरिन्थियों 1:30)। अपने लोगों के लिए पवित्रीकरण का स्रोत बनने के लिए यीशु को छुड़ौती के कार्य में स्वयं को पवित्र करना पड़ा (यूहन्ना 17:19)। यद्यपि  उसमें कोई पाप नहीं था (2 कुरिन्थियों 5:21), उसने परमेश्वर की व्यवस्था के साथ-साथ परमेश्वर की मध्यस्थ-सम्बन्धी आज्ञाओं का पूरी तरह से पालन करके अपने आप को अपने लोगों के लिए पवित्र किया (यूहन्ना 10:17-18)। गीरहार्डस वोस ने समझाया, “इसे . . उद्धारकर्ता में परिवर्तन के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए, जैसे इस पवित्रीकरण का अर्थ यह हो कि उसमे पहले पवित्रता का अभाव था, बल्कि परमेश्वर के प्रति मध्यस्थ-सम्बन्धी आज्ञाकारिता (निष्क्रिय और सक्रिय) में उसके जीवन के अलग किए जाने के रूप में समझा जाना चाहिए। अपने आज्ञाकारी जीवन के अलावा क्रूस पर मरने के द्वारा भी ख्रीष्ट हमारे लिए अलग या पवित्र किया गया था। क्योंकि विश्वासियों के पाप ख्रीष्ट पर अभ्यारोपित किए गए थे, और उसने उन्हें अपनी देह में काठ पर धारण किया था, इसलिए जब उसने परमेश्वर  के ज्वलंत क्रोध का सामना किया,  तो विश्वासियों को न्यायिक रूप से शुद्ध कर दिया गया।

2. पुनरुज्जीवन (नया जन्म) पवित्रीकरण का सोता है।

क्योंकि धर्मीकरण उद्धार का एक विधिक लाभ है (अर्थात, सदा के लिए एक बार में कर दिया गया कार्य), इसलिए यह कहना अधिक उचित होगा कि पवित्रीकरण पुनरुज्जीवन (नए जन्म) की पूर्णतः परिवर्तित कर देने वाली आशीष से प्रवाहित होता है। विश्वासियों के ख्रीष्टीय अनुभव के आरम्भ में उनके जीवन में एक नए स्वाभाव (अर्थात, पुनरुज्जीवन) का कार्यान्वयन पवित्रीकरण की प्रक्रिया को प्रारम्भ करता है। जैसा कि वेस्टमिंस्टर विश्वास अंगीकार (Westminster Confession of Faith) में कहा गया है, “वे जो उनमें एक नया हृदय और एक नई आत्मा उत्पन्न किए जाने के द्वारा नया जन्म पा चुके हैं, उन्हें और अधिक पवित्र किया जाता है। . . [और] ख्रीष्ट  के पवित्र आत्मा से सामर्थ्य की निरंतर आपूर्ति के माध्यम से नया जन्म पाया भाग विजय पाता है: और इसलिए संत अनुग्रह में बढ़ते जाते हैं, और परमेश्वर के भय में पवित्रता को पूर्ण करते जाते हैं” (वेस्टमिंस्टर विश्वास अंगीकार13:1, 3)।

3. पवित्रीकरण का एक स्थाई पक्ष होता है।

फिलाडेल्फिया में वेस्टमिंस्टर थियोलॉजिकल सेमिनरी में विधिवत ईश्वरविज्ञान के दिवंगत प्रोफेसर जॉन मरी ने स्थाई पवित्रीकरण (definitive sanctification) और प्रगतिशील पवित्रीकरण (progressive sanctification) के बीच ठीक अंतर किया है। नए नियम के उन अंशों के विषय में जो विश्वासियों को पवित्र किए जाने की बात करते हैं (उदाहरण के लिए, 1 कुरिन्थियों  1:2; 6:11; इब्रानियों 10:10), मरी ने लिखा, “नए नियम में पवित्रीकरण के संदर्भ में जिन सबसे विशिष्ट शब्दों का उपयोग किया गया है, वह किसी प्रक्रिया के लिए नहीं वरन् सदा के लिए एक बार में पूरा किए गए स्थाई कार्य के लिए किया गया  है। इसलिए पवित्रीकरण को केवल  प्रगतिशील कार्य के रूप में सोचना भाषा के बाइबलीय आदर्श से भटकना होगा। . . ।”

स्थाई पवित्रीकरण में विश्वासियों के जीवन में पाप की प्रभुता से पूरी तरह छूट जाना सम्मिलित है। पाप की प्रभुता से यह छुटकारा तब हुआ जब यीशु पाप के लिए क्रूस पर मरा (रोमियों 6:10)। जैसा कि मरी समझाते हैं:

“ख्रीष्ट  ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान में पाप के अधिकार  को तोड़ दिया, इस संसार के ईश्वर, अंधकार के राजकुमार पर विजय प्राप्त की, संसार और इसके राजा पर न्याय का क्रियान्वयन किया, और उस विजय के द्वारा उन सभी को अंधकार के अधिकार से छुड़ाया और अपने राज्य में स्थानान्तरित कर दिया, जो उसके साथ एक हो गए थे। ख्रीष्ट और उसके लोगों के बीच इतनी गहरी एकता है कि वे इन सभी विजयी उपलब्धियों में उसके साथ भागीदार थे और इसलिए पाप के लिए मर गए और उसके पुनरुत्थान के सामर्थ्य में ख्रीष्ट के साथ जी उठे।”

जब एक विश्वासी उद्धार पाकर ख्रीष्ट के साथ एक हो जाता है, तो छुटकारे के कार्य का यह पक्ष उसके ख्रीष्टीय अनुभव में क्रियान्वित  होता है।

4. विश्वास और प्रेम पवित्रता के दोहरे साधन हैं।

जबकि विश्वासियों का धर्मीकरण (अर्थात, उनका परमेश्वर के समक्ष धर्मी के रूप में स्वीकार किया जाना) केवल विश्वास के द्वारा होता है, पवित्रीकरण की प्रक्रिया विश्वासियों के जीवन में “प्रेम के माध्यम से कार्य करने वाले विश्वास” के द्वारा होती है (गलातियों 5:6)। विश्वासियों को ख्रीष्ट में उसी विश्वास के द्वारा पवित्र किया जाता है जिसके द्वारा वे धर्मी ठहराए गए थे। तथापि, विश्वासियों के अनुभव में विश्वास अनुग्रह में वृद्धि लाने के लिए प्रेम के साथ मिलकर सक्रिय रूप से कार्य करता है। परमेश्वर अपने लोगों के जीवन में जो कर रहा है और प्रतिउत्तर में उन्हें जो करने के लिए कहा जाता है, के बीच एक सामंजस्य है। प्रेरित पौलुस इन संयुक्त कार्यों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करता है, जब वह लिखता है, “डरते और कांपते हुए अपने उद्धार का काम पूरा करते जाओ, क्योंकि स्वयं परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए तुम्हारी इच्छा और कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तुम में सक्रिय है” (फिलिप्पियों  2:12–13) ).

 5. परमेश्वर ने विश्वासियों को प्रगतिशील पवित्रीकरण में आगे बढ़ने में सहायता करने के लिए कुछ साधन नियुक्त किए हैं।

यद्यपि पवित्रीकरण उस पर आधारित है जो ख्रीष्ट ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान में पूरा किया, और यह पवित्र आत्मा की शक्ति से विश्वासियों के जीवन में अनुभव किया जाता है, फिर भी परमेश्वर ने अनुग्रह में उन्नति की खोज में विश्वासियों की सहायता के लिए कुछ साधन नियुक्त किए हैं। विश्वासी का प्रगतिशील पवित्रीकरण उसके अनुग्रह के साधनों के उपयोग के अनुरूप होगा। परमेश्वर ने अपने लोगों को पवित्र करने के लिए जो मुख्य साधन नियुक्त किए हैं, वे हैं वचन, कलीसियाई विधियाँ  (sacraments) और प्रार्थना। अपनी महायाजकीय प्रार्थना में यीशु ने प्रार्थना की, “सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर; तेरा वचन सत्य है” (यूहन्ना 17:17)। प्रेरित पौलुस ने प्रभु भोज के अनुग्रह का उल्लेख किया जब उसने “आशीष के कटोरे” की बात की (1 कुरिन्थियों 10:16)। वचन की सेवकाई, कलीसियाई विधियाँ और प्रार्थना सामूहिक आराधना के केंद्रीय तत्व हैं। इसलिए  प्रभु के दिन होने वाली आराधना में संतों के साथ एकत्रित होना हमारे प्रगतिशील पवित्रीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

निक बैट्ज़िग
निक बैट्ज़िग
रेव. निक बैट्ज़िग चार्ल्सटन, साउथ कैरोलायना में चर्च क्रीक पीसीए में वरिष्ट पास्टर, और लिग्मिएर मिनिस्ट्रीज़ के एक सहायक सम्पादक हैं।