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मार्टिन लूथर के बारे में 5 बातें जो आपको जाननी चाहिए

1. मार्टिन लूथर अपने वयस्क जीवन के लगभग हर तीन सप्ताह में पूरी भजन-संहिता पढ़ते थे।

सोला स्क्रिप्टुरा। इस लातीनी अभिव्यक्ति का अर्थ है केवल पवित्रशास्त्र। इसका अर्थ यह हुआ कि सिद्धान्त, कलीसिया के अभ्यास और ख्रीष्टीय जीवन के लिए केवल पवित्रशास्त्र ही हमारा अन्तिम अधिकारी (authority) है। धर्म-सुधार के प्रारंभिक वर्षों में लूथर ने इसके लिए संघर्ष किया। उन्होंने तर्क दिया कि रोमन कैथोलिक कलीसिया ने कार्यों और योग्यताओं के झूठे सुसमाचार का प्रचार किया। इसके विपरीत, उन्होंने सोला फीडे अर्थात् केवल विश्वास द्वारा धर्मीकरण के पक्ष में तर्क दिया। रोमन कैथोलिक अधिकारियों के साथ प्रारंभिक वाद-विवादों में, जैसे 1519 में लीपज़िग में जोहान एक्क के साथ या 1521 में वर्म्स में, लूथर को अपने दृष्टिकोण का स्रोत बताने  के लिए बाध्य किया गया था। यदि वह कलीसिया के विरुद्ध खड़े थे, तो वह किस बात पर खड़े थे? “पवित्रशास्त्र पर,” उन्होंने  गरज कर कहा। लूथर पवित्रशास्त्र पर खड़े थे। 

लूथर ने अपना जीवन बाइबल का बचाव करने, पढ़ने, अध्ययन करने, उसे जीने और उससे प्रेम करने में बिताया। वह हर वर्ष दो या तीन बार पूरी बाइबल पढ़ते थे, साथ ही विशेष अंशों या पुस्तकों का गहराई से अध्ययन भी करते थे। उन्हें भजन संहिता विशेष रूप से प्रिय थी। उन्होंने एक दैनिक पठन सारणी बनाए रखा, जिसमें प्रत्येक तीन सप्ताह में संपूर्ण भजन सम्मिलित थे। लूथर ने सोला स्क्रिप्टुरा सिखाया और जीया।

2. कलीसिया के द्वार पर अपने पंचानवे शोध पत्र लगाने के अलावा लूथर ने हाईडलबर्ग विवाद के लिए अट्ठाईस शोध-पत्रों की एक श्रृंखला भी लिखी थी।

31 अक्टूबर, 1517 को लगाए गए लूथर के पंचानवे शोध-पत्रों ने प्रोटेस्टेंट धर्मसुधार को प्रज्वलित किया। उस समय वह ऑगस्तिनी पंथ के संन्यासी और उस क्षेत्र में उस पंथ के प्रमुख थे, जोहान्स स्टौपिट्ज़ को लूथर की आलोचना के प्रति सहानुभूति थी। स्टौपिट्ज़ ने अप्रैल 1518 में हाईडलबर्ग में ऑगस्तिनी पंथ की सभा में लूथर को अपनी बात प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया। 

हाईडलबर्ग शोध-पत्र संख्या 16 में वह तर्क देते हैं, “जो व्यक्ति यह विश्वास करता है कि जो उसके अंदर है उसे करके वह अनुग्रह प्राप्त कर सकता है, तो वह पाप में और पाप जोड़ देता है, जिससे वह दोगुना दोषी हो जाता है।” वह संख्या 17 में आगे कहते हैं, “न ही इस प्रकार से बोलना निराशा का कारण बनता है, वरन् स्वयं को विनम्र करने और परमेश्वर का अनुग्रह  पाने की इच्छा जगाता है।” यद्यपि हम अपनी असमर्थता के कारण निराश हैं, फिर भी आशा है। यह हममें नहीं बल्कि ख्रीष्ट और सुसमाचार में पाई जाती है।

हाईडलबर्ग शोधपत्र संख्या 28 लूथर की अब तक लिखी गई सबसे सुंदर पंक्ति हो सकती है: “परमेश्वर का प्रेम उसे ढूंढता नही, वरन् उसकी सृष्टि करता है जो उसे प्रसन्न करता है।” परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया और हमारे लिए ख्रीष्ट को तब भेजा जब हम उसके शत्रु ही थे। इसे कहते हैं अनुग्रह। 

3. लूथर, एक पूर्व सन्यासी (catholic monk), ने एक पूर्व सन्यासिनी (catholic nun) से विवाह किया।

सन्यासिनियों (catholic nuns) का एक समूह निम्ब्सचेन कॉन्वेंट से भाग कर विटनबर्ग आ गया। कुछ अपने परिवारों के पास लौट गईं। कुछ ने विटनबर्ग में छात्रों या पास्टरों  से विवाह कर लिया। उनमें से एक, कैटरीना वॉन बोरा ने 1525 में मार्टिन लूथर से विवाह किया। लूथर ने उसे “कैटी, मेरी पसली” कहा। वे एक प्रशंसनीय युगल थे। जबकि लूथर ने धर्मसुधार को अथक रूप से आगे बढ़ाया, उनकी पत्नी  एक व्यस्त घर, बड़े बाग, एक मछली शाला (fish hatchery) और एक छोटी बीयर -शाला (brewery) का प्रबंधन करती थी। उनके स्वयं के छह बच्चे थे और उन्होंने सम्बन्धियों के अनाथ बच्चों को गोद लिया था। उन्होंने एक नवजात पुत्र  को खो दिया था और उन्हें अपनी तेरह वर्षीय पुत्री, मैग्डेलेना की मृत्यु का दुःख सहना पड़ा था।

मार्टिन लूथर की मृत्यु के बाद कैटी को कठिन समय का सामना करना पड़ा। मित्र और समर्थक उनकी सहायता के लिए जुट गए। कठिन क्षणों के समय में उन्होंने कहा, “जैसे कपड़ों में कंटीला बीज (bur) चिपक जाता है, वैसे ही मैं स्वयं को ख्रीष्ट से चिपकी हुई पाती हूँ।”

4. मार्टिन लूथर जितने अच्छे ईश्वरविज्ञानी थे, उतने ही अच्छे संगीतकार भी थे।

लूथर को संगीत अच्छा लगता था। वे वीणा बजाते थे। उन्होंने अपना पहला भजन 1524 में लिखा था – जो एक भजन से अधिक एक लोकगीत था – जिसका शीर्षक था “एक नया गीत यहाँ आरम्भ होगा।” इसमें बारह पद्यांश हैं और नीदरलैंड में ऑगस्तिनी पंथ  के दो सन्यासियों के शहादत के स्मरण में लिखा गया था । उन्होंने लूथर का अनुसरण किया और प्रोटेस्टेंट हो गए और वे धर्मसुधार के सिद्धान्तों के प्रचारक बन गए थे, और अपनी मातृभूमि में सुसमाचार को लाने के लिए समर्पित हो गए । उन्हें पकड़ लिया गया था और उनके विश्वास के लिए उन्हें मार दिया गया था। जब यह बात लूथर तक पहुँची तो वह संगीत की ओर मुड़े। पांच वर्षों पश्चात् उन्होंने अपना सबसे प्रसिद्ध भजन लिखा, जो कि सम्भवतया  कलीसिया के इतिहास में सबसे अधिक चाहे जाने वाले भजनों में से एक है, “हमारा परमेश्वर एक मजबूत गढ़ है।” उन्होंने 1524 में पहला प्रोटेस्टेंट भजन-पुस्तक प्रकाशित किया। उन्होंने लूथरवादी कलीसिया और शास्त्रीय/क्लासिकल संगीत में संगीतकारों की भावी पीढ़ियों को भी प्रेरित किया। थोड़े समय के लिए लूथर ने सर्वोच्च कोटि के लूथरवादी  संगीतकार, जोहान सेबेस्टियन बाक के गृहनगर, आइसेनैक में अध्ययन किया।

एक बार लूथर ने कहा, “ईश्वरविज्ञान के बाद मैं संगीत को सर्वोच्च स्थान और सबसे बड़ा सम्मान देता हूं।”

5. मार्टिन लूथर की मृत्यु उनके गृहनगर में हुई।

मार्टिन लूथर का जन्म 10 नवंबर, 1486 को आइस्लेबेन में हुआ था। वह अध्ययन और अध्यापन के लिए 1511 में विटनबर्ग गए थे। विटनबर्ग नगर को उनके साथ सबसे अधिक जोड़ा जाता है। वह वहां एक सन्यासी (monk) थे।  उन्होंने वहां  अपने पंचानवे शोध पत्र लगाए थे। उन्होंने वहीं विवाह किया और अपने परिवार का पालन-पोषण किया। उन्होंने विटनबर्ग की सेंट मैरी कलीसिया में लगभग प्रतिदिन उपदेश दिए और विटनबर्ग विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया।  जनवरी 1546 में आइस्लेबेन में एक विवाद छिड़ गया जिसमें कलीसिया और नगर को ध्वस्त करने की धमकी दी गई। लूथर जो अब  एक बूढ़े पुरुष थे और अपने बुढ़ापे की निर्बलताओं का अनुभव करने लगे थे, अपने गृहनगर जाने के लिए निकल पड़े।       

एक कठिन यात्रा के पश्चात् जब लूथर वहां पहुंचे तो उनका एक नायक के रूप में स्वागत हुआ, उन्होंने विरोधी दलों के बीच शांति स्थापित की, कुछ बार उपदेश दिए और फिर बीमार पड़ गए। रोग शय्या उनकी मृत्यु शय्या बन गयी। उन्होंने कागज के एक टुकड़े पर अपने अंतिम शब्द लिखे: “हम भिखारी हैं। यह सच है।” लूथर की मृत्यु 18 फरवरी, 1546 को हुई। कैटी  की तरह, वह अन्त तक ख्रीष्ट से चिपके रहे।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

स्टीफन जे. निकल्स
स्टीफन जे. निकल्स
"डॉ. स्टीफन जे. निकल्स (@DrSteveNichols) रिफॉर्मेशन बाइबल कॉलेज के अध्यक्ष हैं, जो लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ के मुख्य अकादमिक अधिकारी, और लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ के सह शिक्षक हैं। वह कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें फॉर अस एंड फॉर ऑर सैलवेशन और ए टाइम फॉर कॉन्फीडेन्स नामक पुस्तक भी सम्मिलित हैं।"