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18 अक्टूबर 2024साधारण आशीषें

आपके बच्चे सुबह उठते हैं। उनमें से एक आहें भरते हुए कहता है, “मैं स्कूल से थक गया हूँ।” आपका हृदय भी यही कहता है, “और मेरे लिए, आज भी वही थकान।” या आप इस अन्धेरी, ठण्डी सुबह में यह कहते हुए कार्य के लिए निकलते हैं, “एक और दिन; फिर से पैसों के लिए परिश्रम करना।” आप समान मोल लेने के लिए जाते हैं, और मुर्झाए हुए चेहरे कुड़कुड़ाते हैं, “क्या वसन्त ऋतु कभी आएगी?” भोजन से पहले का समय आता है, सब लोग बेचैन हैं, और आप अपने बच्चों के विषय में मधुर विचार नहीं सोच रहे हैं।
हममें से अधिकतर लोग नित्यचर्या वाले जीवन जीते हैं। यह सप्ताह पिछले और अगले सप्ताह जैसा ही है। जीवन के कुछ भाग उबाऊ हैं। यह जीवन कोई मनोरंजक प्रीतिभोज नहीं है।
परन्तु हे मित्रो, सुनें; यह ठीक है। जीवन की प्रतिदिन होनी वाली घटनाएँ एक आशीष हैं। यदि आप साधारण जीवन पर शोक कर रहे हैं, तो थोड़ा इस विषय में सोचें कि बिना समानता का आपका जीवन कैसा होगा।
हमारे कुछ मित्रों ने अभी कुछ दिन पहले ही अपने अठारह वर्षीय बेटे को एक दुर्घटना में खो दिया। वे आपसे कहेंगे, “अपने बच्चों के साथ प्रत्येक क्षण की सराहना करें, भले ही वे कितने भी कठिन क्यों न हों। आप नहीं जानते हैं कि आप एक साथ कितने दिन और कितने वर्ष बिताएँगे।”
एक अन्य परिवार के घर में कैंसर बिन बुलाए अतिथि बन गया है। वे डॉक्टर के पास बार-बार चक्कर लगाने और निर्बलता, पीड़ा और उबकाई के स्थान पर कुछ वर्ष पहले के अपने दोहराव वाले कार्य के जीवन का स्वागत करेंगे।
आइए हम ख्रीष्ट में अपनी आशीषों को गिनें—बड़ी आशीषों के साथ साथ छोटी आशीषों भी को गिनें। वे हमारे जीवन का बड़ा भाग हैं, और वे बड़ी आशीषों में जुड़ जाती हैं। आइए हम कृतज्ञता, नम्रता और परमेश्वर को महिमा देने वाले आशावाद के लिए प्रार्थना करें।
हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण परमेश्वर का दान है। “जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक: बोनी और कटनी, सर्दी और गर्मी, ग्रीष्म और शरद, दिन और रात समाप्त न होंगे” (उत्पत्ति 8:22)। इन चक्रों के बने रहने का अर्थ है कि हमारे पास जीवन है और यह पृथ्वी अभी समाप्त नहीं हुई है। परमेश्वर हमें नित्यचर्या देता है। पृथ्वी के प्रत्येक परिक्रमण के साथ हम खाते हैं, कार्य करते हैं, दूसरों के साथ मिलते-जुलते हैं और सो जाते हैं। हमारे बच्चे उत्पन्न होते हैं, वे बड़े होते हैं और सीखते हैं। सप्ताह में छह दिन हम कार्य करते हैं, और एक दिन हम विश्राम करते हैं और परमेश्वर की आराधना करते हैं। वर्ष आते हैं और चले जाते हैं। हम अपने परिश्रम का आनन्द लेते हैं क्योंकि यह परमेश्वर का दान है। यह सब बहुत अच्छा है।
केवल ख्रीष्ट पर विश्वास करने वाले विश्वासी ही जीवन का सच्चा आनन्द ले सकते हैं क्योंकि हमारे पास आशा है—ऐसी आशा जो जीवन और अनन्त काल के लिए परमेश्वर पर विश्वास करने से आती है। जीवन के कठिन समय में हमारे पास जाने के लिए एक स्थान है। इस आशा को हमारे आशावाद को बढ़ावा देने दें। यह आशावाद विनम्रता की मिट्टी में बढ़ता है। हम जानते हैं कि हम पापी हैं जो न तो परमेश्वर के उद्धारक अनुग्रह के पात्र हैं और न ही उसकी दयालु देखभाल के जो हमें प्रतिदिन मिलती है। इसलिए, आज हमारा हृदय कृतज्ञता से भरा हुआ है, भले ही आज और कल एक ही जैसे हैं।
इसलिए अपने आशीषों को गिनें। सूरज चमक रहा है। छायाएँ तो बस उसके पँखों का आवरण हैं (भजन 57:1)। प्रभु ने आपको जो स्वास्थ्य और प्रावधान किया है उसके लिए उसका धन्यवाद करें। अपने लोगों से प्रेम करें। उसकी प्रतिदिन के अनुग्रह को देखने के लिए खुली आँखों से प्रार्थना करें, क्योंकि वह आपका हाथ अपने हाथ में थामे रखता है। अपने सभी कार्यों में परमेश्वर की महिमा करें। और ख्रीष्ट और उसकी विश्वासयोग्यता के कारण अपने साधारण आशीषों का हृदय से आनन्द लें।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।