
बाइबल किसने लिखी?
30 अक्टूबर 2025मसीही जीवन यात्रा के समान है
									जो सच्चा साहस देखना चाहे,
वह यहाँ आ जाए;
यहाँ एक है जो अटल रहेगा,
आँधी आए, वर्षा बरसे।
कोई निराशा उसे झुका न पाएगी,
डिगा न सकेगी उसके पहले से घोषित संकल्प से—
जो है एक यात्री बने रहना।
पचास वर्ष पहले मैंने इन शब्दों को विद्यालय की सभाओं में गाया था, जिन्हें राल्फ वॉन विलियम्स ने संगीत में बाँधा था। ये शब्द जॉन बन्यन की पुस्तक द पिलग्रिम्स प्रोग्रेस के दूसरे भाग में मिस्टर वेलियंट-फॉर-ट्रुथ की साक्षी के रूप में मिलते हैं। इससे पहले, वेलियंट ने मिस्टर ग्रेट-हार्ट और उसके साथियों से अपना परिचय इन शब्दों में कराया था, “मैं एक यात्री हूँ, और स्वर्गीय नगर की ओर जा रहा हूँ।”
सभी मसीही, यात्री हैं, जो स्वर्गीय नगर की ओर बढ़ रहे हैं। बन्यन केवल उसी बाइबल को प्रतिध्वनित कर रहे थे जिससे उन्होंने प्रेम किया। पवित्रशास्त्र यह पुष्टि करता है कि मसीही लोग यात्री हैं। हमारे पिता अब्राहम के साथ किए गए प्रतिमान-स्वरूप वाचा में, परमेश्वर ने उन्हें कनान का वचन दिया था—“तेरे परदेशी होने की भूमि” (उत्पत्ति 17:8)। नए नियम में, पतरस भी यही विचार प्रकट करता है जब वह अपने पाठकों को “चुने हुए परदेशी” कहता है (1 पतरस 1:1; तुलना करें 1:17—“अपने परदेशी होने के समय में”)। इसी प्रकार, पुराने नियम के विश्वासियों की समीक्षा करते हुए, इब्रानियों का लेखक उन्हें “अजनबी और परदेशी” कहता है (इब्रानियों 11:13)।
मसीही जीवन एक यात्रा है, और सबसे रोमांचक प्रकार की यात्रा। इसका एक प्रारम्भिक बिन्दु है और एक अन्तिम गन्तव्य। यह गति का एक रूपक है। मसीही अधिक समय तक एक ही स्थान पर नहीं ठहरते, क्योंकि वे दूसरे गन्तव्य के लिए ठहराए गए हैं। प्रारम्भिक मसीहियों को “मार्ग के अनुयायी” कहा जाता था—यह दर्शाने के लिए कि वे एक अलग पथ का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध प्रतीत होते थे (प्रेरितों के काम 9:2; 24:14)।
कई बातें यहाँ उठती हैं। पहला है—एक साहसिक यात्रा का विचार। हाँ, साहसिक यात्रा। यदि द हॉबिट में बिल्बो बैगिन्स ने प्रारम्भ में साहसिक यात्रा से मुँह मोड़ लिया था क्योंकि उसने शाएर में उसकी दिनचर्या-भरी जीवन-शैली का संतुलन बिगाड़ दिया था, तो बाद में उसने अपनी अद्भुत यात्रा को देयर एंड बैक अगेन उपशीर्षक के साथ अमर कर दिया।
मसीही लोग इससे कुछ भिन्न प्रकार की यात्रा पर निकलते हैं— सम्भवतः यहाँ से वहाँ तक की (हियर टू देयर)। परन्तु यह भी उतनी ही साहसिक यात्रा है, जिसमें साहस और जोखिम की कथाएँ भरी हैं। मसीही जीवन में कुछ न कुछ उत्साहपूर्ण अवश्य है। प्रत्येक मोड़ पर परमेश्वर की नई व्यवस्था, हस्तक्षेप और उद्धार की झलक मिलती है। हमें पता नहीं कि एक दिन क्या लाएगा (नीतिवचन 27:1), पर हम निश्चय जान सकते हैं कि हमारे स्वर्गीय पिता की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता। हमें बुलाया गया है कि हम अपने स्वामी का अनुसरण करें, जहाँ कहीं वह हमें ले चले—हरी-भरी चराइयों और शांत जलधाराओं के पास, या फिर शत्रुओं की उपस्थिति और मृत्यु-छाया की तराई में भी (भजन 23)।
मेरे मित्र और उस कलीसिया में मेरे पूर्ववर्ती, जहाँ मैं अब सेवा करता हूँ—एक नाम जो टेबलटॉक (Tabletalk) के पाठकों के लिए पर्याप्त परिचित है—सिनक्लेयर फर्ग्यूसन, प्रायः अपने उपदेशों को एक उत्साहपूर्ण उद्गार के साथ समाप्त करते थे: “क्या यह अद्भुत नहीं है कि मसीही होना!” हाँ, यह सचमुच एक महान आश्चर्य की बात है—एक रोमांचक साहसिक यात्रा, हर क्षण के साथ।
दूसरा, तीर्थयात्रा इस जीवन की अस्थायी प्रकृति को दर्शाती है। “यहाँ हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है, पर हम उस नगर की खोज में हैं जो आनेवाला है” (इब्रानियों 13:14)। “जो वस्तुएँ देखी जाती हैं वे अस्थायी हैं” (2 कुरिन्थियों 4:18)। इस जीवन को “क्षणभंगुर” कहने का क्या अर्थ है? इसका उत्तर नये नियम में व्यक्त उस तनाव में है जो “अब” और “अभी नहीं” के बीच है। मसीही वे हैं जिन पर “युगों का अन्त आ पहुँचा है” (1 कुरिन्थियों 10:11)। आनेवाले जगत का कुछ अंश पहले ही हमारे समय और स्थान के अस्तित्व में पहले ही प्रवेश कर चुका है और हमें एक अन्य राज्य के नागरिक के रूप में घोषित कर चुका है (फिलिप्पियों 3:20)।
यह दृष्टिकोण कुछ मूलभूत द्वंद्व भी उत्पन्न करता है। एक अर्थ में, हम इस संसार के नागरिकों के रूप में अपने अनेक उत्तरदायित्वों के साथ यहाँ रहते हैं। संन्यास और विरक्ति का जीवन बाइबलीय दृष्टिकोण नहीं है। यह विकृत दृष्टि साइमोन स्टाइलाइट्स नामक व्यक्ति में दिखती है, जो ईस्वी 423 में सीरिया में एक खंभे पर चढ़ गया और सैंतीस वर्ष वहीं रहा जब तक उसकी मृत्यु नहीं हुई।
यह मसीही धर्म का अस्वीकार है, न कि उसकी पुष्टि। मसीही लोग समाज में सम्मिलित होते हैं। मसीही लोग समाज को नया रूप देते हैं। वे अन्धकार में उजियाले हैं। मसीहीयों को एक नये प्रेम ने घेर लिया है जो बाकी सबकुछ को तुच्छ और साधारण बना देता है। थॉमस चाल्मर्स के शब्दों में, मसीही जीवन “नये प्रेम की विस्फोटक-सामर्थ” से प्रज्वलित होता है।
तीर्थयात्रा का तीसरा पक्ष है दिशा का भाव, एक लक्ष्य, एक गन्तव्य। यात्रा का एक गन्तव्य होता है। मसीहियत एक प्रकार का शलोम प्रदान करता है—पूर्णता और सम्पूर्णता का भाव। मसीही जानते हैं कि वे कौन हैं और कहाँ जा रहे हैं। मसीह को अपनाए बिना जीवन का अधिकाँश भाग निरुद्देश्य और बहाव में बहता प्रतीत होता है।
मसीही “अदृश्य वस्तुओं” को “निहारते” हैं (2 कुरिन्थियों 4:18, जहाँ यूनानी भाषा में प्रयोग किए गए क्रिया “देखना” का अर्थ है एक स्थिर, ध्यानमग्न दृष्टि)। यह एक विरोधाभास-सा लगता है: हम उस वस्तु को देखते हैं जिसे देखा नहीं जा सकता। किन्तु महिमा हमारी प्रतीक्षा कर रही है, और मसीही यात्री आगे देखने का स्थिर पर दृढ़ अनुशासन बनाए रखते हैं। जो आगे है, वह हमारे दृष्टिकोण को भर देता है और हमें आशान्वित बनाए रखता है। जो कुछ दृढ़ यात्रियों की प्रतीक्षा कर रहा है, वह सभी अपेक्षाओं से परे है और सभी वर्णन से परे है।
“आगे और ऊपर! नार्निया और उत्तर की ओर!” यह कथन सी. एस. लुईस की नार्निया कथा द हॉर्स एंड हिज़ बॉय में कहा गया है। क्रूस के सभी यात्री इस पर सहमत हैं: आगे और ऊपर!
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

