धनी नवयुवक - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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धनी नवयुवक

The Rich Young Ruler

एक बार एक धनी नवयुवक शासक यीशु के पास उद्धार प्राप्त करने की विधि के विषय में पूछने आया: “हे उत्तम गुरु, तू भला है। अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिए मैं क्या करूँ?” (मरकुस 10:17)। यीशु ने इस नवयुवक को सम्मत्ति दी, जिसने दावा किया था कि वह बचपन से ही परमेश्वर के नियमों का पालन करता आया है, “जो कुछ तेरा है, उसे बेचकर गरीबों में बाँट दे . . . और आकर मेरे पीछे चल” (मरकुस 10:21)। निराश नवयुवक दुखी होकर चला गया, क्योंकि उसके पास बहुत धन था। शिष्यों से टिप्पणी करते हुए, यीशु ने कहा: “धनवानों के लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन है! . . . परमेश्वर के राज्य में किसी धनवान का प्रवेश करने की अपेक्षा ऊँट का सुई के नाके में से निकल जाना अधिक सरल है” (मरकुस 10:23, 25)।

इस रूपक का अर्थ है कि धन पर भरोसा करने वालों के लिए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना असम्भव है। शिष्यों ने इस बात को समझा और उत्तर दिया, “तब किसका उद्धार हो सकता है?” (मरकुस 10:26)। यीशु का उत्तर यह था कि “परमेश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है” (मरकुस 10:27)।
मूल रूप से, धनी नवयुवक के लिए यीशु की सम्मति यह थी: “यदि तुम मुझे चाहते हो, यदि तुम उद्धार पाना चाहते हो, यदि तुम मेरे साथ सच्ची आत्मीयता चाहते हो, यदि तुम अनन्त जीवन चाहते हो, तो हर वस्तु के साथ तुम्हारे सम्बन्ध को, यहाँ तक ​​कि अच्छी वस्तुओं के साथ भी, अवश्य ही परिवर्तित होना होगा। जहाँ तुम आनन्द को ढूँढा करते हो, जहाँ तुम सुरक्षा पाते हो, जो तुम्हें आशा देता है, जो तुम्हारे अकेलेपन को दूर करता है—इन सभी को परिवर्तित होना होगा। धन तुम्हारा खजाना नहीं हो सकता; मुझे तुम्हारा सर्वोच्च धन होना चाहिए।” यीशु की चुनौती है कि तुम स्वयँ को, बिना धन के, बिना कर्मचारियों को निर्देशित करने की क्षमता के, बिना घर के, बिना धन और उसकी काल्पनिक सुरक्षा के, सोचो। स्वयं को निर्धन के रूप में देखें, जिसके पास यीशु को छोड़ कुछ भी नहीं बचा है। स्वयं को बिना धन के, केवल उसे प्राप्त करते हुए देखें।

नवयुवक यह सुनकर और स्वयँ को गुरू के चरणों में गिरा सकता था। “तुम ही वह सब कुछ हो जो मैं चाहता हूँ; तुम ही वह सब कुछ हो जिसकी मुझे आवश्यक्ता है। तुम्हारी क्षमा, तुम्हारा अनुग्रह, तुम्हारा प्रेम—मैं केवय यही चाहता हूँ। मेरा धन तो केवल पैसा है। तुम मेरे लिए पर्याप्त हो।” यदि उसने ऐसा कहा होता, तो वह राज्य के भीतर होता। अनन्त जीवन उसका होता। परन्तु जब यीशु ने कहा, “मैं तुम्हारा धन होना चाहता हूँ,” तो वह दुखी हो गया और चला गया।
मरकुस हमें बताता है कि यीशु ने इस नवयुवक से प्रेम किया। यीशु इस धनी नवयुवक शासक को पूर्ण रीति से समझता था और उसे उस एक ऐसे व्यक्ति की करुणा से प्यार करता था जो धन और शक्ति के प्रलोभनों को समझता था। यीशु समझता था कि वह इस धनी युवक से क्या करने के लिए कह रहा था। वह समझता था कि बहुत अधिक धन-सम्पत्ति होने पर भी घोर दरिद्रता में डूब जाना क्या होता है। यीशु वह उत्तम धनी नवयुवक शासक है जो दुखी होकर नहीं चला गया वरन् वह दुखी मनुष्य के रूप में निर्धन और अपमान के हमारे संसार में आया। स्वर्ग से संसार पर आते हुए, उसने मानो निर्धनों के लिए सब कुछ बेच दिया।
जब यह सत्य कि यीशु ही वह सर्वोच्च धनी नवयुवक शासक है जिसने निर्धनों के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया, हमारे हृदयों को पिघला देता है और हमें आश्चर्यचकित कर देता है, हमें आनन्द और आश्चर्य से भर देता है, तो हम परिवर्तित हो जाते हैं। उसकी महिमा और बलिदान में उसे देखना परिवर्तनकारी है। हम उसके समान बन जाते हैं (2 कुरिन्थियों. 3:18)।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

टेड ट्रिप
टेड ट्रिप
डॉ. टेड ट्रिप हेज़लटन, पेन्सिलवेनिया में ग्रेस फेलोशिप चर्च के सेवामुक्त पास्टर, और शेपहरडिंग द हार्ट सेवकाई के अध्यक्ष हैं। वे शेपहर्डिंद अ चाय्ल्ड्स हार्ट (एक बच्चे हे हृदय की चरवाही) पुस्तक के लेखक हैं।