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प्रभु भोज अनुग्रह का साधन क्यों है?

Why-Is-the-Lords-Supper-a-Means-of-Grace

– जोंटी रोड्स

पिछले कुछ वर्षों में, कलीसिया को “सुसमाचार-केन्द्रित” होने के लिए प्रोत्साहित करने वाली पुस्तकों और संसाधनों की बाढ़ आ गई है। हमें सुसमाचार-केन्द्रित माता-पिता बनने, सुसमाचार-केन्द्रित उपदेश लिखने, तथा सुसमाचार-केन्द्रित समुदाय के रूप में रहने के लिए सिखाया गया है। यह सब तो ठीक है। परन्तु एक कलीसिया कैसे यह सुनिश्चित करे कि क्रूस, प्रभु यीशु की प्रायश्चितकारी मृत्यु, उसकी सेवकाई का केंद्र बना रहे? प्रभु का धन्यवाद हो कि अगुवों को अपना सिर खुजलाने या कोई नवीन विचारों के साथ आने का प्रयास करने की कोई आवश्यकता नहीं है। स्वयं प्रभु यीशु ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं।

अपने पकड़े जाने और क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, अन्तिम बार अपने शिष्यों के साथ बैठकर, “उसने रोटी ली, और धन्यवाद देकर उसे तोड़ा और उन्हें देते हुए कहा, ‘यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है। मेरी स्मृति में ऐसा ही किया करो’” (लूका 22:19)। मेरी स्मृति में ऐसा ही किया करो। प्रभु भोज, रोटी और दाखरस एक साधारण भोज है जो कलीसिया की आराधना के लिए आवश्यक है क्योंकि इस प्रकार से कलीसिया अपने उद्धारकर्ता की मृत्यु को स्मरण करते हुए आनन्द  मनाती है।

प्रभु भोज की एक आशीष यही है कि: यह  हमें स्मरण कराता है कि यीशु की देह इसलिए तोड़ी गई जिससे कि हमारी देह कभी न तोड़ी जाए और उसका लहू इसलिए बहाया गया जिससे कि हमारा लहू न बहे। मृत्यु का अभिशाप उस पर पड़ा, और इस कारण जीवन की आशीष उसके लोगों को दी गई। इस बात से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रभु भोज का उत्सव मनाना किसी भी प्रकार से गुलगुता के एक बार में सर्वदा के लिए किए गए बलिदान में जोड़ना या उसे जारी रखना नहीं है। यीशु की पुकार, “पूरा हुआ!” शताब्दियों से गूँजती आ रही है और प्रभु के भोज में इसकी घोषणा की जाती है। उसका लहू बहाया जा चुका है अब उसे दोबारा बहाने की आवश्यकता नहीं है। बलिदान पूरा हो चुका है।

इस प्रकार से प्रभु भोज एक प्रकार के दृश्यमान वचन के रूप में कार्य करता है। यह ऐसी कोई नई जानकारी नहीं देता जो हमें बाइबल से पता नहीं चलती है। यह तो हमारी आँखों, हाथों, होंठों और मुँह को वही सुसमाचार “प्रचार” करता है, परन्तु सचित्र रूप में। जब मैं यह लिख रहा था, तब मेरी दो साल की बेटी अभी-अभी उद्यान से लौटकर मेरे अध्ययन कक्ष में टहलती हुई आई। और मैं उससे कह सकता हूँ कि मैं उससे प्यार करता हूँ। और मैं उसे गोद में उठा सकता हूँ, उसे गले लगा सकता हूँ, और उसके गाल पर चुम्बन कर सकता हूँ। गले लगने और चूमने से क्या होता है? एक अर्थ में, ये सब बातें कोई नई जानकारी नहीं देते हैं, परन्तु वे मेरे द्वारा कहे गए शब्दों को दृढ़ करते हुए पुष्टि करते हैं। प्रभु भोज के साथ भी ऐसा ही है। यह हमारे लिए परमेश्वर के अनुग्रह का वरदान  है, जो क्रूस के सन्देश की पुष्टि करता है। जैसा कि हेडेलबर्ग कैटेसिज्म के प्रश्नोत्तर 75 में कहा गया है कि, “जिस प्रकार मैं अपनी आँखों से देखता हूँ कि प्रभु की रोटी मेरे लिए तोड़ी गई और मेरे साथ प्याला भी साझा किया गया, उसी प्रकार निश्चित रूप से उसकी देह मेरे लिए अर्पित करके तोड़ी गई और उसका लहू मेरे लिए क्रूस पर बहाया गया।”    

परन्तु हम और भी बहुत कुछ कह सकते हैं क्योंकि हम यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि प्रभु भोज अनुग्रह का साधन कैसे है। यह भोज केवल एक दृश्य प्रतीक नहीं है। सेवक केवल  सामने खड़े होकर तोड़ी गई रोटी और दाखरस के प्याले की ओर संकेत नहीं करते। नहीं नहीं, परन्तु  हम उन तत्वों को खाकर अपनी देह में ले लेते हैं। देखने वाले को ऐसा लगेगा जैसे हम बहुत ही साधारण भोजन साझा कर रहे हैं। परन्तु वास्तव में, प्रभु भोज का भोजन के रूप में विचार करने से हमें दूसरे कारण को समझने में सहायता मिलती है कि यह परमेश्वर की कलीसिया के लिए अनुग्रह का  साधन क्यों है: प्रभु भोज आत्मिक पोषण है, जहाँ हम स्वयं ख्रीष्ट  को ग्रहण करते हैं। हम न केवल ख्रीष्ट के साथ वरन् “उस पर” भोजन करते हैं।    

सभी विश्वासियों के पास, मानो दो “जीवन” होते हैं। हमारे पास एक भौतिक देह है, जिसे परमेश्वर अपनी दया के द्वारा भौतिक भोजन से सामर्थ प्रदान करता है। सम्भवतः हो सकता है कि आज आपने रोटी खाई हो या दाखरस भी पिया हो। दोनों ही वस्तुएँ आपकी देह को उर्जा देंगे। फिर हमारे पास आत्मिक जीवन भी है। जब हम विश्वासी होने के कारण प्रभु भोज ग्रहण करते हैं, तो हमें आत्मिक भोजन मिलता है। जबकि रोटी और दाखरस यथावत ही रहते हैं और ख्रीष्ट की देह और लहू में परिवर्तित नहीं होते हैं, पौलुस फिर भी भोजन को ख्रीष्ट की देह और लहू में “सहभागिता” के रूप में कहता है। 1 कुरिन्थियों 10:16 मुख्य पद है: “धन्यवाद का वह कटोरा जिसके लिए हम धन्यवाद देते हैं, क्या वह ख्रीष्ट के लहू में सहभागिता नहीं? वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं, क्या वह ख्रीष्ट की देह में सहभागिता नहीं?”

इसमें निश्चित ही एक रहस्य है। परन्तु किसी प्रकार पवित्र आत्मा की रहस्यमयी सामर्थ्य से, जब हम साधारण रोटी और दाखरस खाते और पीते हैं, तो विश्वास के द्वारा हम ख्रीष्ट को प्राप्त कर रहे हैं और उसके साथ अपने मिलन में दृढ़ होते चले जा रहे हैं। अतः यह केवल अनुग्रह का स्मरण कराना ही नहीं है; वरन्  यह तो अनुग्रह का एक नया वरदान है। हम छूछे हाथ आते हैं – कोई भी कलीसिया रोटी और दाखरस के लिए पैसे नहीं लेती है – और फिर से ख्रीष्ट को प्राप्त करते हैं, जैसा कि हमने आरम्भ में प्रचारित वचन के माध्यम से  किया था। यह समझ सूक्ष्म रूप से हमारे ध्यान को बदलने में सहायता करती है: प्रभु भोज सबसे पहले, एक ऐसा समय है जहाँ ख्रीष्ट अनुग्रह में फिर से हमारे पास आता है, इससे पहले कि कि यह एक ऐसा समय हो जहाँ हम उसे आदर के साथ स्मरण करने का सर्वोत्तम प्रयास करें। प्राथमिक दिशा स्वर्ग से पृथ्वी की ओर होती है, न कि पृथ्वी से स्वर्ग की ओर। यह फिर से अनुग्रह की एक गति है।

यह लेख मसीही शिष्यता की मूल बात संग्रह का हिस्सा है।           

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।