4 सितम्बर 2025
अपुनरुज्जीवित प्राण (नया जन्म न पाए हुए मनुष्य) परमेश्वर को प्रसन्न करने में न तो इच्छुक होते हैं और न ही सक्षम, वरन् उसकी आज्ञाओं का विरोध करते हैं (रोमियों 8:5–8)। शरीर में निहित पापी स्वार्थ उनके जीवन पर प्रभुत्व करता है (2 तीमुथियुस 3:1–5)। केवल विश्वास के द्वारा ही हनोक परमेश्वर के साथ चल सका (इब्रानियों 11:5–6)।