इस संसार के नहीं - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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16 नवम्बर 2023
बातों में नहीं, वरन् सामर्थ्य में।
23 नवम्बर 2023
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इस संसार के नहीं

धर्मयुद्ध, सताव, विद्रोह, शिक्षा और सामाजिक न्याय के संसारिक अवधारणाएँ कुछ ऐसे साधन हैं जिनके द्वारा परमेश्वर के राज्य को बढ़ाने का व्यर्थ प्रयास किए गए हैं। यदि त्रुटिपूर्ण कार्य त्रुटिपूर्ण धारणाओं से उत्पन्न होते हैं , तो यीशु ने स्पष्ट किया कि उसका राज्य भूमि से पहले लोगों के प्राणों पर है। यदि परमेश्वर का सुसमाचार आदम के पतन के परिणामों को उलट देता है, तो मानव जीवन और प्रभुता को केवल पाप की समस्या के आत्मिक समाधान के द्वारा ही पुर्नस्थापित किया जा सकता है। दानिय्येल ने संसार के अगुवों को स्वर्गीय महिमामय जन के अधीन देखा (दानिय्येल 7:13-14)। भजन और नबी स्पष्ट करते हैं कि समय और अवधि दाऊद के भविष्य के राज्य को सीमित नहीं कर सकते हैं (भजन संहिता 8:1-9, 72:17; यशायाह 9:6-7)।

यूहन्ना के सुसमाचार का उद्देश्य पूर्णतः आत्मिक है। वह चिन्हों और सन्देशों को इकट्ठा करने के द्वारा देहधारी वचन को प्रस्तुत करता है, जिससे कि पाठक विश्वास करें और अनन्त जीवन पाएँ (यूहन्ना 20:30-31)। परमेश्वर के राज्य वाली शब्दावली उसके पुस्तक में बहुत कम पायी जाती हैं। वह “अनन्त जीवन” जैसे शब्द अधिक उपयोग करता है जिनके अर्थ किसी मानवीय राजनैतिक अर्थ से दूर हैं। परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए सम्प्रभु, आत्मा-प्रदत नया जन्म अनिवार्य है (यूहन्ना 3:3-8)। परमेश्वर जो आत्मिक आराधना चाहता है वह भौगोलिक स्थिति को अप्रासंगिक बना देता है (4:19-24)। जब राष्ट्रवादी उत्साह एक शिखर तक पहुँच जाता है, तो होने वाला राजा (यीशु) पथभ्रष्ट भीड़ को शान्त करता है (6:14-15)। यह राजकीय चरवाहा रोम को पराजित करने के द्वारा नहीं वरन् अपने प्राण देने के द्वारा भेड़ों को बचाता है (10:10-18)। उसका क्रूस उसका मुकुट है जो पृथ्वी पर उसके ऊँचे उठाए जाने के पश्चात् आता है (12:32-34)। जैसे वह अपने पुनरुत्थान के पश्चात् महिमा में बैठाया गया, पवित्र आत्मा का दिया जाना सुसमाचार के कार्य को संचारित करेगा (16:7-14)। पिता से प्रार्थना की जाती है कि वह अपने झुण्ड में आत्मिक विश्वास-एकता प्रदान करे (17:16-23)। पतरस भेड़ों को सत्य को खिलाने के द्वारा अपने प्रेम को प्रमाणित करेगा (21:15-18)।
हमारे प्रभु का पकड़ा जाना और क्लेश पृथ्वी की सभी आशाओं को निरस्त करता है। जब पतरस तलवार चलाता है, उसको तुरन्त म्यान में लौटाया जाना पड़ता है, जबकि मलखुस के कान को फिर से लगा दिया जाता है (18:10-12)। मसीहा अन्यायी मानवीय न्यायालय में निष्क्रिय होकर समर्पण कर देता है (18:13-19:16)। पिलातुस जानना चाहता है कि क्या वास्तव में यीशु राजद्रोह का अपराधी है और यदि नहीं तो उसके राज्य का स्वभाव क्या है? (18:33-37)। पहले की बातें और कार्य यह पर्याप्त प्रमाण प्रदान करते हैं कि जिस क्षेत्र पर वह राज्य करता है वह यहूदिया या यरूशलेम नहीं (18:36) और इस प्रकार “इस संसार का” या “इस स्थान का” नहीं है। यदि “यीशु राजा है” को सब के कानों तक पहुँचना चाहिए, तो यह केवल इसलिए है जिससे कि विश्वासियों को इस संसार की अभिशप्त पद्दति से बचाया जा सके। संसार के राज्य की सभी धारणाए व्यवस्थित रीति से नकारे जाते हैं—ख्रीष्ट का राज्य अपने उसके आरंभ और अन्त में पारलौकिक, अलौकिक, आत्मिक और अनन्त है।
इसलिए मसीहियों को व्यक्तिगत रूप से अवश्य ही सत्य का विस्तार करना चाहिए। सत्य की सेवा में व्यावहारिक सहायता की आवश्यकतायें पूरी होती हैं। फिर भी, वचन की सेवा ही मुख्य सामुहिक कार्य है। कलीसिया का महत्वपूर्ण समय क्रूसित ख्रीष्ट के प्रचार, कलीसियाई विधियों और (आवश्यकता पड़ने पर) कलीसियाई अनुशासन के लिए दिया जाना चाहिए। प्रार्थना से भरा हुआ सुसमाचार-प्रचार-प्रसार कार्य, सुसमाचार का प्रसारण, मातृभाषा में अनुवाद, सैद्धान्तिक प्रशिक्षण और साहित्य के बाँटे जाने के द्वारा आत्मा दोषबोध कराता है, कायल करता है, और पापियों को सन्तों में परिवर्तित करता है। यह जीवन का वचन वह साधन है जिसके द्वारा यीशु अपने राज्य का विस्तार करता है; इसके द्वारा मनुष्य का पुत्र प्राणों को कब्रों से बुलाता है, अपनी भेड़ो को भोजन देता है, और विद्रोही हृदयों को जीत लेता है, जो आनन्द से पश्चाताप और विश्वास में होकर समर्पण करते है। और यदि, पृथ्वी पर रहते हुए, हमारे प्रभु ने झीलों और पहाड़ियों पर शिक्षा दी, तो हम उसकी राजसी दावों को आगे बढ़ाने के लिए छतों की ऊचाँईयों से चिल्लाते हैं।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

ऐन्ड्रू कॅर
ऐन्ड्रू कॅर
डॉ. ऐन्ड्रू कॅर रिजफिल्ड़ पार्क, न्यु जेरेसी, में रिजफिल्ड़ पार्क रिफ़ोर्मड़ प्रेस्बिटैरियन चर्च के पास्टर हैं, और नार्थन आयरलैण्ड के रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल कॉलेज में पुराने नियम भाषा और साहित्य के प्राध्यापक हैं।