29 जून 2023

हृदय और मस्तिष्क

जब आप पहली बार हृदय और मस्तिष्क शब्द सुनते हैं, सम्भवतः आप महान् आज्ञा के विषय में सोचने लगते हैं कि “तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे हृदय और अपने सारे प्राण और [अपने सारे मस्तिष्क] से प्रेम कर” (मत्ती 22:37)। यीशु अपने श्रोताओं को स्मरण दिला रहा है कि उन्हें अपने सम्पूर्ण अस्तित्व से प्रभु से प्रेम करना चाहिए।
2 जून 2022

मत्ती 7:1

हमारे दिनों में कुछ ही स्थलों को मत्ती 7:1 से अधिक त्रुटिपूर्वक समझा गया है: “दोष न लगाओ जिससे तुम पर भी दोष न लगाया जाए।” यह वार्तालाप में प्रायः तब सामने आता है जब कोई किसी दूसरे व्यक्ति का नैतिक मूल्यांकन करने का साहस करता है जो कि सुनने वाले में क्रोध ले आता है।