पाँच चरणों में पाँव धोना

अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से एक दिन पहले, यीशु ने अपने शिष्यों के साथ अपने मन की बातें साझा की। जिसे हम ऊपरी कक्ष के उपदेश या यूहन्ना 13-17 के विदाई उपदेश के रूप में जानते हैं, उसने अपने पकड़वाए जाने के बारे में बताया; उसने अपनी मृत्यु, महिमा, और इस संसार से अपने प्रस्थान की भविष्यद्वाणी की; आने वाले पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा की; और जो कुछ होने वाला था, उसकी तैयारी के लिए प्रार्थना की। इस श्रृंखला में, डॉ सिन्क्लेयर फर्गसन हमें इन घटनाओं में लेकर चलते हैं, जिसके परिदृश्य को वे “स्वामी के साथ पाँच अद्भुत घंटे” कहते हैं। इस संदेश में, डॉ. फर्गसन विशेष रूप से शारीरिक और धर्मवैज्ञानिक रूप से, पाँच चरणों में यीशु के पाँव धोने की जाँच करते हैं, जिसमें उसने अपने आप को ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रकट किया जिसने हमारी सेवा इसलिए की ताकि हम दूसरों की सेवा कर सकें।