पवित्रता और न्याय

परमेश्वर न्यायी है, परन्तु कई बार उसके कार्य अन्यायपूर्ण प्रतीत होते हैं। उदाहरण के लिए, प्रेरितों 5 में हनन्याह और सफीरा का परमेश्वर द्वारा मार डाला जाना, अपराध से कहीं बड़े दंड का उदाहरण प्रतीत होता है। हालांकि, जब हमें अनुभव होता है, कि न्याय के ये कार्य परमेश्वर की पवित्रता की अभिव्यक्ति हैं, तब वे नई समझ प्रदान करते हैं। परमेश्वर के चरित्र की अधिक परिपूर्ण समझ किसी व्यक्ति को परमेश्वर के इन कार्यों पर अधिक स्पष्टता से ध्यान करने में सक्षम बनाती है और उसकी दया को हल्के में लेने के वास्तविक खतरे से बचने में हमारी सहायता भी करती है। इस पाठ का उद्देश्य परमेश्वर के अनुग्रह की समझ, और उसके प्रति धन्यवाद की भावना में उन्नति को बढ़ावा देना है।