पवित्रता का महत्व

पवित्रता परमेश्वर के स्वभाव की ऐसी विशेषता है जो उसके अस्तित्व के केन्द्र में पाई जाती है। केवल जब हम परमेश्वर का सामना उसकी पवित्रता में करते हैं तभी हम स्वयं को वैसे ही देखते हैं जैसे हम वास्तव में होते हैं। यशायाह 6:1-4 में वर्णित परमेश्वर का दर्शन एक व्यक्ति को परमेश्वर के प्रताप की महानता की विस्मयकारी गहन समझ प्रदान करता है। परमेश्वर की पवित्रता से सामना होने पर किसी भी ख्रीष्टीय के लिए उदासीन रह पाना असंभव है। पवित्रता के परमेश्वर का दर्शन एक ख्रीष्टीय के व्यावहारिक जीवन का स्रोत है। इस पहले अध्ययन में हम उस महत्व पर गौर करेंगे जो परमेश्वर ने अपनी पवित्रता को दिया है। बाद के पाठों में हम अपने जीवन के ऊपर परमेश्वर की पवित्रता के प्रभाव को देखेंगे।