देहधारण

अधिकतर, हमें ख्रीष्ट के कार्य को कोई ऐसा कार्य समझते हैं जो उसके लगभग तीस वर्ष की आयु में यरदन नदी में बपतिस्मा लेने के बाद आरम्भ हुआ था। हालाँकि, वास्तव में,ख्रीष्ट का कार्य अनादिकाल से ही छुटकारे की वाचा में आरम्भ हो गया था। इस उपदेश में, डॉ. स्प्रोल बताते हैं कि कैसे उसके देहधारण और क्रूस पर चढ़ाए जाने में ख्रीष्ट के अपमान और उसके पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण में ख्रीष्ट की महिमा, दोनों का आधार त्रिएकत्व के व्यक्तियों के बीच की अनन्त वाचा है।