बपतिस्मा

चार सौ वर्षों के मौन के बाद, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के आगमन से इस्राएल में नबूवत का वचन फिर से सुनाई देने लगा। वह आया, और समस्त इस्राएल को पश्चाताप करने और बपतिस्मा लेने के लिए बुलाया। यूहन्ना द्वारा यीशु का बपतिस्मा उसकी सार्वजनिक सेवकाई की आधिकारिक आरम्भ का प्रतीक था। इस उपदेश में डॉ. आर. सी. स्प्रोल यीशु के बपतिस्मा पर , यह बताते हुए काफी करीब से ध्यान देते हैं कि यह उसके जीवन में कितना महत्वपूर्ण था और यह हमारे उद्धार के लिए कितना प्रासंगिक है।