रूपान्तर

यूहन्ना रचित सुसमाचार के आरम्भ में, प्रेरित घोषणा करता है, “और वचन देहधारी हुआ; और हमारे बीच में निवास किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी।” यह अत्याधिक सम्भव है कि यूहन्ना यहाँ ख्रीष्ट के रूपान्तर की बात कर रहा था, यानी वह क्षण जब इससे पहले तक छिपा कर रखी गई यीशु की महिमा उसके सबसे करीबी शिष्यों पर प्रकट हुई थी। इस उपदेश में डॉ. आर. सी. स्प्रोल रूपान्तर के वृत्तान्त पर ध्यान देते हैं, और ख्रीष्ट की सेवकाई में उसके महत्व को समझाते हैं।