परखने की क्षमता क्या है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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परखने की क्षमता क्या है?

कुछ समय पहले मेरे एक परिचित व्यक्ति ने किसी बात पर एक ऐसा विचार व्यक्त किया जिसने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया और कुछ अर्थों में निराश भी कर दिया। मैंने स्वयं से कहा, “मैंने सोचा था कि उसके पास इससे तो अधिक परखने की योग्यता होगी।”

इस अनुभव ने परखने की क्षमता के महत्व और हमारे संसार में इसके अभाव पर विचार करने के लिए मुझे प्रेरित किया। हम जानते हैं कि प्रायः लोग बातों को स्पष्ट रीति से नहीं देखते हैं और बड़ी ही सहजता से भटकाए जाते हैं क्योंकि वे लोग बाइबलीय रीति से नहीं सोचते हैं। परन्तु दुःखद रूप से, हम यह सोचने के लिए विवश होते हैं कि कलीसियाई समुदाय के सम्बन्ध में भी यह बात कितनी सत्य है।

हम में से अधिकाँश लोग निःसन्देह अपने आपको समकालीन मसीहियत के “अतिरूढ़िवादी विचारों को रखने वालों” (“the lunatic fringe”) से दूर रखते हैं। हम झूठे शिक्षकों के द्वारा भटकाए जाने से सावधान रहते हैं। परन्तु परखने की क्षमता इससे कहीं अधिक बढ़कर है। सच्ची परख का अर्थ केवल उचित और अनुचित में भेद करना ही नहीं है; इसका अर्थ प्राथमिक को द्वितीय से, आवश्यक को अनावश्यक से, स्थायी को अस्थायी से अलग करना भी है। और हाँ, इसका अर्थ अच्छा और उत्तम में, यहाँ तक उत्तम और अति उत्तम में भेद करना भी है।

इस प्रकार, परखने की क्षमता दैहिक इन्द्रियों के समान है; कुछ लोगों को यह अनोखी मात्रा में एक विशेष अनुग्रह के दान के रूप में दी जाती है (1 कुरिन्थियों 12:10), परन्तु इसकी कुछ मात्रा हम सबके लिए आवश्यक है और इसे निरन्तर रीति से पोषित किया जाना चाहिए। एक मसीही को आत्मिक परख की अपनी “छठी इन्द्रिय” को विकसित करना चाहिए। इसी कारण से भजनकार प्रार्थना करता है, “मुझे भला विवेक और ज्ञान दे” (भजन 119:66)।

परखने की क्षमता की प्रकृति
परन्तु यह परखने की क्षमता क्या है? भजन 119:66 में उपयोग किया गया शब्द का अर्थ “स्वाद चखना” है। यह विवेकपूर्ण निर्णय लेने, विभिन्न परिस्थितियों तथा कार्यों के मध्य भेद करने और उनके नैतिक लागूकरणों को पहचाने की क्षमता है। इसमें व्यक्तियों, समूहों, और यहाँ तक की आन्दोलनों की नैतिक तथा आत्मिक अवस्था को मापने और मूल्याँकन करने की क्षमता सम्मिलित है। इस प्रकार, आलोचनात्मकता के विरुद्ध चेतावनी देते हुए यीशु हमसे आग्रह करता है कि हम परखने वाले और भेद करने वाले हों, कहीं ऐसा न हो कि हम अपने मोतियों को सुअरों के आगे फेंक दें (मत्ती 7:1, 6)।

ऐसी परख का एक रुचिकर उदाहरण यूहन्ना 2:24-25 में वर्णित है, “यीशु ने अपने आपको उनके भरोसे पर नहीं छोड़ा . . . क्योंकि वह जानता था कि मनुष्य के मन में क्या है।”

यह बिना आलोचनात्मकता के परख है। इसमें परमेश्वर के वचन के प्रति हमारे प्रभु का ज्ञान और लोगों के साथ परमेश्वर के कार्य करने के ढंग का अवलोकन सम्मिलित था (उसने सर्वश्रेष्ठ रीति से प्रार्थना की थी, “मुझे भला विवेक दे . . . क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं पर विश्वास करता हूँ,” भजन 119:66)। निःसन्देह उसकी परखने की क्षमता बढ़ती गई जैसे-जैसे उसने प्रलोभनों के साथ संघर्ष और उन पर विजय का अनुभव किया, और उसने परमेश्वर के वचन के प्रकाश में प्रत्येक परिस्थिति का मूल्याँकन किया।
यीशु की परखने की क्षमता ने हृदय के सबसे गहरे तल को भेद दिया। किन्तु मसीहियों को भी इसी प्रकार की परखने की क्षमता विकसित करने के लिए बुलाया गया है। क्योंकि हमारे पास केवल वही लाभप्रद परख है जिसे हम परमेश्वर के वचन के द्वारा, पवित्र आत्मा की सहायता से ख्रीष्ट के साथ मिलन होने के द्वारा प्राप्त करते हैं।

अतः परख का अर्थ है व्यावहारिक और आत्मिक रीति से परमेश्वर के विचारों के अनुसार विचार करना सीखना; इसका अर्थ है यह समझना कि परमेश्वर की दृष्टि में वस्तुएँ कैसी दिखाई देती हैं और एक रीति से उन वस्तुओं को “खुला और नग्न” (इब्रानियों 4:13) देखना।

परखने की क्षमता का प्रभाव
परखने की क्षमता हमारी जीवन को कैसे प्रभावित करती है? चार प्रकार से:
यह सुरक्षा के साधन के रूप में कार्य करती है, जो हमें आत्मिक रीति से धोखा दिए जाने से बचाती है। यह हमें उन शिक्षा-रूपी हवा के झोकों द्वारा उछाले जाने से बचाती है जो सुसमाचार के उस तत्व को मुख्य बनाती हैं जो अमुख्य है या पवित्रशास्त्र के किसी विशेष लागूकरण को इस रीति से देखती है जैसे वह पवित्रशास्त्र का केन्द्रीय सन्देश हो।
अनुग्रह में होकर उपयोग किया जाते समय यह उपचार के साधन के रूप में कार्य करती है। मैं कुछ ऐसे लोगों को जानता हूँ जिनकी, दूसरे लोगों की आत्मिक आवश्यकता का पता लगाने की योग्यता, उत्कृष्ट रही है। ऐसे लोग किसी दूसरे के हृदय की समस्याओं को भेदने में सक्षम होते हैं, यहाँ तक कि उस व्यक्ति से भी अधिक। अवश्य ही, परमेश्वर द्वारा उन्हें सौंपा गया यह वरदान कई रीति से खतरनाक है। परन्तु जब प्रेम में होकर इसका उपयोग किया जाता है तो आत्मिक सर्जरी में परख की क्षमता वह चिकित्सक की छुरी हो सकती है जो उपचार को सम्भव बनाती है।
पुनः परखने की क्षमता मसीही स्वतन्त्रता की कुँजी के रूप में कार्य करती है। उत्साही परन्तु परखहीन मसीही दास बन जाता है — दूसरे लोगों के, अपने स्वयं के ही अशिक्षित विवेक के, जीवन के अ-बाइबलीय रीति के। परखने की क्षमता में बढ़ना हमें ऐसे बन्धनों से स्वतन्त्र करता है, जिससे हम उन कार्यप्रणालियों के मध्य भेद करने में सक्षम होते हैं जो कुछ परिस्थितियों में सहायक हो सकती हैं या जो सभी परिस्थितियों में अनिवार्य हैं। परन्तु दूसरी रीति से, सच्ची परखने की क्षमता स्वतन्त्र मसीही को यह पहचानने में सक्षम बनाती है कि इसके आनन्द के लिए स्वतन्त्रता का उपयोग आवश्यक नहीं है।
अन्ततः परख आत्मिक विकास के मुख्य स्रोत के रूप में कार्य करता है: “ठठ्ठा करने वाला व्यक्ति बुद्धि को ढ़ूँढ़ता तो है, पर पाता नहीं, परन्तु जिसके पास समझ है, उसके लिए ज्ञान पा लेना सहज है” (नीतिवचन14:6)। क्यों? क्योंकि परखशील मसीही किसी विषय की जड़ तक जाता है। वह सब कुछ के विषय में कुछ तो जानता ही है, अर्थात् कि सभी बातों का एक सामान्य स्रोत परमेश्वर है। इसलिए ज्ञान में बढ़ोत्तरी से निराशा नहीं बढ़ती है, परन्तु परमेश्वर के सब कार्यों और वचनों के सामंज्स्य की गहरी पहचान होती है।

ऐसी परखने की क्षमता कैसे प्राप्त की जा सकती है? हम उसे वैसे ही प्राप्त करते हैं जैसे ख्रीष्ट ने की— आत्मा के अभिषेक के द्वारा, परमेश्वर के वचन के विषय में हमारी समझ के द्वारा, परमेश्वर के अनुग्रह के हमारे अनुभव के द्वारा, और हमारे हृदयों की वास्तविक स्थिति के प्रगतिशील रीति से उजागर किए जाने के द्वारा।

इस कारण हमें भी प्रार्थना करना चाहिए, “मैं तो तेरा दास हूँ, तू मुझे [परखने की क्षमता] दे” (भजन 119:125)।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

सिंक्लेयर फर्गसन
सिंक्लेयर फर्गसन
डॉ. सिनक्लेयर बी. फर्ग्यूसन लिगोनीयर मिनिस्ट्रीज के टीचिंग फेलो, लिगोनीयर मिनिस्ट्रीज के उपाध्यक्ष और रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में सिस्टेमैटिक थियोलॉजी के चांसलर प्रोफेसर हैं। वह कई लिगोनीयर शिक्षण श्रृंखलाओं के लिए प्रमुख शिक्षक हैं, जिनमें यूनियन विद क्राइस्ट शामिल है। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें "द होल क्राइस्ट," "मैच्योरिटी," और "डिवोटेड टू गॉड्स चर्च" शामिल हैं। डॉ. फर्ग्यूसन पॉडकास्ट "थिंग्स अन्सीन" के होस्ट भी हैं।