किसी कलीसिया को कब छोड़ना है - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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किसी कलीसिया को कब छोड़ना है

कई मसीहियों ने चिन्ता का अनुभव किया है जब उन्होंने स्वयं से पूछा कि, “मुझे अपनी कलीसिया कब छोड़ना चाहिए?” यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसमें कई आयाम सम्मिलित हैं। सीधे शब्दों में कहें तो इसका कोई सरल व्यापक उत्तर नहीं है। परन्तु मुझे आशा है कि मैं इस लेख में इस प्रश्न के कुछ विचारों को रेखांकित करूँगा।

कलीसिया छोड़ने का क्या अर्थ है, इसे परिभाषित करना इस चर्चा के लिए सहायक है। इस लेख द्वारा मानी गई एक धारणा यह है कि कलीसियाई सदस्यता बाइबलीय और मसीहियों के लिए आवश्यक है। यहाँ कलीसियाई सदस्यता की आवश्यकता के लिए तर्क देने का स्थान नहीं है परन्तु यह कहना पर्याप्त है कि यदि आप किसी कलीसिया में जुड़ नहीं सकते हैं तो आप वास्तव में उसे छोड़ नहीं सकते हैं। इसलिए उचित बाइबलीय कलीसिया की नीति को मानते हुए, केवल तीन ही रीति हैं जिनसे एक मसीही कलीसिया छोड़ सकता है: मृत्यु, बहिष्करण, और सदस्यता का स्थानान्तरण। यह लेख मृत्यु या बहिष्करण के विषय में नहीं है। “कलीसिया छोड़ने” से मेरा अर्थ है कि अपनी सदस्यता को दूसरे कलीसिया में स्थानान्तरित करना। ऐसा करना कब उचित है?

सबसे संक्षिप्त उत्तर यह है कि जब तक आप किसी ऐसे स्थान पर नहीं चले जाते हैं जहाँ आपकी सदस्यता बनाए रखना अव्यावहारिक है, तो आपको एक सच्ची कलीसिया को नहीं छोड़ना चाहिए। सदैव कुछ विशेषक, अपवाद और परिस्थियाँ होती हैं जो इसे सरल व्यापक उत्तर बनने से रोकती हैं। फिर भी मूल सिद्धान्त यह है कि समान्य रिति से आपको किसी सच्ची कलीसिया को नहीं छोड़ना चाहिए। परन्तु यदि आपका स्थानीय कलीसिया सच्ची कलीसिया के आधारभूत चिन्हों में विफल होता है, तो आपको कलीसिया छोड़ने के विषय में विचार करना चाहिए।

बेल्जिक अंगाकार वचन (Belgic Confession) हमें एक सच्ची कलीसिया के चिह्नों को रेखांकित करने के द्वारा कलीसिया छोड़ने के वैध कारणों को समझने में सहायता करता है:
सच्ची कलीसिया को जिन चिह्नों से जाना जाता है, वे ये हैं: यदि उसमें सुसमाचार के खरे धर्मसिद्धान्त का प्रचार किया जाता है; और यदि वह ख्रीष्ट द्वारा स्थापित विधियों को शुद्धता से संचालित करती है; और यदि कलीसिया अनुशासन का पालन किया जाता है। (अनुच्छेद 29)
सच्ची कलीसिया की पहचान शुद्ध धर्मसिद्धान्त, विधियों का शुद्ध रीति से संचालन और कलीसियाई अनुशासन से होती है। ये मसीहियों को यह मूल्यांकन करने के लिए तीन मूलभूत बिन्दु प्रदान करते हैं कि उन्हें कलीसिया में रुकना चाहिए या चले जाना चाहिए।

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अनन्तकाल के इस ओर कोई भी कलीसिया ऐसा नहीं है जो सभी त्रुटियों से पूरी रीति से बचा हो क्योंकि मसीहियों की कोई भी संगति नहीं है जो पाप से अ-प्रभावित है। वेस्टमिंस्टर का विश्वास अंगीकार हमें स्मरण दिलाता है, “स्वर्ग के नीचे सबसे शुद्ध कलीसियाएँ भी मिश्रण और त्रुटि दोनों के अधीन हैं” (25:5)। कलीसिया छोड़ने का निर्णय इस बात पर आधारित नहीं होना चाहिए कि कलीसिया सिद्ध है या नहीं क्योंकि सिद्ध कलीसियाएँ हैं ही नहीं।

यद्यपि हम कलीसियाओं से सिद्धता की माँग नहीं कर सकते, यह स्वीकार करना वैध है कि कलीसियाएँ कभी-कभी ऐसी त्रुटिया कर जाती हैं जो कलीसिया के मूल तत्वों पर आघात करती हैं। एक कलीसिया को अपने अंगिकारीय मानक के अनुसार शिक्षा और प्रचार देना चाहिए, भले ही वह वेस्टमिंस्टर विश्वास का अंगीकार, एकता के तीन रूप (Three Forms of Unity) हों, 1689 लन्दन बपतिस्मावादी अंगीकार (London Baptist Confession) हो, या कोई अन्य अंगिकार कथन हो जिसे इतिहास की जाँच पड़ताल ने वचन के प्रति विश्वासयोग्य माना हो। अंगिकारवादी मानकों की घटी के कारण यह निर्धारित करना लगभग असम्भव हो जाता है कि कोई कलीसिया अपनी ईश्वरविज्ञानीय विश्वास के प्रति विश्ववासयोग्य बनी हुई है या नहीं। लगभग प्रत्येक मसीही विधर्मी ने आलोचना का प्रतिउत्तर यह कहकर दिया है, “मैं केवल वही सिखा रहा हूँ जो बाइबल वास्तव में कहती है!” एक सुदृढ़ और परखा हुआ अंगिकार वचन एक ऐसा विश्वसनीय मानक है जिसके द्वारा शिक्षा का मूल्यांकन किया जा सकता है। क्या यह विशेष कलीसिया अपनी शिक्षाओं के अनुसार सत्य का प्रचार करने में विश्वासयोग्य है? यदि कलीसिया खरी धर्मसिद्धान्त का प्रचार करना बन्द कर देती है, तो उसे छोड़ने का समय आ गया है।

स्पष्ट रूप से कहें तो, हम कलीसिया की शिक्षा और प्रचार से सिद्धता की अपेक्षा नहीं करते हैं। एक ऐसा पास्टर जो कभी-कभी कुछ त्रुटिपूर्ण कथन कहता है या अपनी शिक्षा में कोई त्रुटि करता है, उसे उसके कलीसिया द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, न कि त्यागा जाना चाहिए। कलीसिया को इसलिए न छोड़ें क्योंकि आपका पास्टर सिद्ध नहीं है। परन्तु एक ऐसा पास्टर या अगुवा जो निरन्तर अपने अंगिकारीय मानकों का विरोध करता है, वह एक गम्भीर समस्या उत्पन्न करता है। आपकी पहली प्रतिक्रिया यह है कि आप विनम्रतापूर्वक अगुवों और फिर जवाबदेही के संप्रदायिक ढाँचों के सामने इस विषय को उठाएँ। यदि ये अगुए लोग उत्तर देने में सक्षम नहीं हैं, तो सम्भवः कलीसिया छोड़ने का समय आ गया है। विधियों के उचित संचालन के सम्बन्ध में भी इसी प्रकार का मानक लागू किया जाना चाहिए।
सम्भव: कलीसिया नहीं वरन् ईश्वरविज्ञान को लेकर आपके दृढ़ विश्वास (theological convictions) परिवर्तित हो गए हैं। आपको यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या यह परिवर्तन इतना बड़ा है कि यह आपकी संगति में निरन्तर बाधा उत्पन्न करेगा। यदि यह अति महत्वहीन है, तो सरलता से अन्तर को अनदेखा करें। यदि यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, तो आपको अपने अगुवों से मिलना चाहिए और विनम्रतापूर्वक अपने परिवर्तित विचार को साझा करना चाहिए। आपको उस बैठक में इस मनसा से जाना चाहिए कि आप इस बात को मानने के लिए तैयार होंगे कि आपके नए विचार ठीक नहीं हैं। आपको प्रभु में अपने अधिकारियों के अधीन रहना चाहिए। परन्तु यदि आप अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन के विषय में पवित्रशास्त्र के आधार पर आश्वस्त हैं, तो आपको सम्मानपूर्वक एक विश्वासयोग्य कलीसिया में स्थानान्तरण का अनुरोध करना चाहिए जो आपके विचारों के अनुरूप हो। और आपको स्वतन्त्र रूप से स्वीकार करना चाहिए कि आपकी पिछली कलीसिया उन बातों की शिक्षा देने में विश्वासयोग्य थी जिन्हें उसने कहा था कि वह सिखाएगी। इन परिस्थितियों में कलीसिया छोड़ना आपकी पिछली कलीसिया की आलोचना करने का कोई कारण नहीं है।

सम्भवतः वचन की शिक्षा, विधियों का संचालन या कलीसियाई अनुशासन के अभ्यासको लेकर कोई समस्या नहीं है। सम्भवत: आपको ऐसा अनुभव हो रहा हो कि आपको कलीसिया से कुछ नहीं मिलता है, और दूसरे स्थान में एक बहुत आकर्षक और गतिशील नई कलीसिया है। सम्भवत: आप सोचते होंगे कि इससे मेरा परिवार कलीसिया में अधिक सम्मिलित हो जाएगा। यदि यह आपकी स्थिति है, तो आपको यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि समस्या कलीसिया में नहीं वरन् आप में हो सकता है। हो सकता है कि आप कलीसिया में वस्तुओं के उपभोक्ता के रूप में या केवल लाभ के लिए आ रहे हों, न कि परमेश्वर के आराधक के रूप में। यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी सच्ची कलीसिया में आपकी “आवश्यकताओं” की पूर्ति नहीं हो रही है, तो यह सम्भव है कि आप अनुपयुक्त “आवश्यकताओं” को पूरा करने के लिए चिन्तित हैं।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

डॉनी फ्रेड्रिक्सन
डॉनी फ्रेड्रिक्सन
रेव. डॉनी फ्रेड्रिक्सन साउथलेक, टेक्सस में लेकसाइड प्रेस्बिटेरियन चर्च के वरिष्ठ पास्टर हैं।