गिनती की पुस्तक के विषय में 3 बातें आपको जाननी चाहिए। - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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गिनती की पुस्तक के विषय में 3 बातें आपको जाननी चाहिए।

1. गिनती की पुस्तक केवल गिनती के विषय में नहीं है।

पुस्तक का इब्रानी शीर्षक “जंगल में” (In the Wilderness) है, जो अधिक वर्णनात्मक और चित्ताकर्षक शीर्षक है। यह पुस्तक मिस्र से निर्गमन के पश्चात् सीनै पर्वत छोड़ने से लेकर प्रतिज्ञा के देश के किनारे पर पहुँचने तक इस्राएल के अनुभव को दर्शाती है। सीनै से कनान तक की दूरी तय करने में इस्राएल को केवल कुछ सप्ताह लगने चाहिए थे। समस्या यह थी कि उन्होंने भूमि की भेद लेने के लिए बारह भेदिए भेजे, और अधिकाँश नकारात्मक समाचार लेकर वापस आये: देश के निवासी बहुत बड़े थे और उनके नगर बहुत अच्छी रीति से सुरक्षित थे। विजय की कोई सम्भावना नहीं थी (गिनती 13-14)। यहोशू और कालेब ने एक अलग कहानी बताई, यह तर्क देते हुए कि यदि परमेश्वर ने इस्राएल के लिए लड़ाई लड़ी, तो वे निश्चित रूप से देश को ले सकते हैं, परन्तु उनकी अल्पसंख्यक रिपोर्ट को निरस्त कर दिया गया। परिणामस्वरूप, यहोवा ने लोगों को अगले चालीस वर्षों तक जंगल में भटकते रहने का दण्ड दिया, जब तक कि सभी जवान मर नहीं गए। केवल तभी वे उस भूमि में प्रवेश कर सकेंगे और उसे प्राप्त कर सकेंगे जिसकी उसने प्रतिज्ञा की थी।

2. गिनती की पुस्तक में सबसे महत्वपूर्ण संख्या दो है।

गिनती की पुस्तक में बहुत सारी संख्याएँ हैं, साथ ही दो अलग-अलग जनगणनाओं में लोगों की लम्बी सूची भी है (गिनती 1; 26)। नामों और संख्याओं की सूचियों में खो जाना सहज हो सकता है, जो ऐसी प्रतीत होती हैं जैसे किसी गैर-खेल प्रशंसक के लिए खेल के आँकड़े या किसी गैर-लेखाकार के लिए व्यवसाय सूची। फिर भी, इस्राएल के जंगल में बिताए गए वर्षों की कहानी बताने में उन सभी की अपनी भूमिका है।

सम्पूर्ण पुस्तक में सबसे महत्वपूर्ण संख्या दो है—अर्थात्, दो पीढ़ियाँ। गिनती की पुस्तक एक अविश्वासी पीढ़ी के विषय में है जो परमेश्वर पर भरोसा करने में विफल रही और उसने जंगल में जीवन भर भटकने का मूल्य चिकाया, उसके बाद एक नई पीढ़ी आई जो प्रतिज्ञात भूमि में प्रवेश करने के किनारे पर खड़ी थी। क्या नई पीढ़ी अपने माता-पिता की समान बनेगी और एक बार फिर अविश्वास के आगे झुक जाएगी? या क्या वे यहोवा में विश्वास की एक नए मार्ग पर चलेंगे और वह भूमि प्राप्त करेंगे जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने कुलपिताओं से की गई थी? संकेत अच्छे थे, कनानियों पर कुछ आरम्भिक विजय के साथ (उदाहरण के लिए, गिनती 21), परन्तु अभी भी बात पक्की नहीं थी। यह इस पुस्तक की कहानियों को हमें चुनौती देने में भी सक्षम बनाता है: हम किस पीढ़ी से सम्बन्धित हैं—अविश्वास के लोग, जिनके शरीर रेगिस्तान में बिखरे पड़े हुए थे, या विश्वास के लोग, जो भूमि पर अधिकार करने के लिए आगे बढ़ेंगे (इब्रानियों 3:7-19 देखें)?

3. पुस्तक में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण संख्या बयालिस है।

प्रथम दृष्टि में, गिनती 33 पूर्ण रीति से व्यर्थ प्रतीत होता है: उन स्थानों के नामों की एक लम्बी सूची जहाँ इस्राएल ने जंगल में डेरा डाला था। फिर भी यहोवा ने स्वयं मूसा को यह सूची लिखने की आज्ञा दी (गिनती 33:2), इसलिए यह महत्वपूर्ण होनी चाहिए। और यदि पुस्तक वास्तव में जंगल में इस्राएल के समय के विषय में है, तो छावनी के स्थान की सूची नया महत्व ले लेती है। आरम्भ करने के लिए, सूचीबद्ध स्थानों में से कई ऐसे स्थान हैं जहाँ परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए एक विशेष प्रकार से प्रावधान किया था। ये वे स्थान हैं जहाँ इस्राएल को यह स्मरण दिलाने के लिए संकेत संलग्न हैं कि यहोवा ने क्या किया था: रामसेस, जहाँ से इस्राएली विजयी होकर निकले थे (गिनती 33:3), पि-हहिरोत, जहाँ प्रभु ने समुद्र को दो भागों में बाँट दिया था (गिनती 33:8), एलीम, जहाँ पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे (गिनती 33:9)। ये परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को स्मरण रखने के स्थान हैं।

दूसरे प्रकार के स्थान में वे स्थान सम्मिलित हैं जहाँ इस्राएल ने यहोवा के विरुद्ध विद्रोह किया था: मारा, ज़िन का जंगल, रपीदीम, इत्यादि। फिर भी इस यात्रा कार्यक्रम में इनमें से किसी भी विफलता का उल्लेख नहीं किया गया है: ऐसा लगता है जैसे यहोवा ने उन्हें पूरी रीति से भूला दिया है (भजन संहिता 130:3-4 देखें)। ये स्थान हमें परमेश्वर  की दयालुता और विस्मृति (भुला देना) को स्मरण दिलाते हैं।

तीसरे प्रकार का स्थान वे है जहाँ कुछ भी नहीं हुआ, जहाँ तक हम जानते हैं। इनमें से कुछ स्थानों का उल्लेख पंचग्रन्थ में कहीं और नहीं किया गया है, परन्तु हमें यह स्मरण दिलाने के लिए उन्हें यहाँ सम्मिलित किया गया है कि हमारा जीवन केवल आत्मिक विजय और असफलताओं की प्रगति नहीं है; अन्य दिन भी महत्व रखते हैं, जब हम जीवन के सामान्य काम करते हैं: काम पर जाना, बच्चों की देखभाल करना, घास काटना, कपड़े धोना।

इन “अति साधारण” के दिनों का महत्व इस बात से रेखांकित होता है कि गिनती 33 में डेरा डालने का स्थान की कुल सूची बयालीस है। सूची व्यापक नहीं है (इस्राएल ने अन्य स्थानों पर भी डेरा डाला था), न ही यह केवल सबसे महत्वपूर्ण स्थानों का संग्रह है, इसलिए बयालीस की संख्या को जानबूझकर चुना गया है। क्यों? क्योंकि बयालीस छह गुना सात है। दूसरे शब्दों में, इस सूची के अन्त में—और गिनती की पुस्तक के अन्त में—इस्राएल सातवें सात के किनारे पर है, सब्त का विश्राम, जिसे प्रतिज्ञा किए गए देश में प्रवेश द्वारा दर्शाया गया है।

हममें से कोई नहीं जानता कि जंगल में डेरा डालने के लिए हमारी व्यक्तिगत सूची में हम कहाँ हो सकते हैं। कुछ के लिए, हमारे पास डेरा डालने का स्थान संख्या बयालीस से पहले जाने का मार्ग हो सकता है। फिर भी, हम सभी इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि प्रभु यीशु ने हमारे स्थान पर विश्वासयोग्यता से जंगल में से सिद्ध मार्ग का मार्गदर्शन किया है, और अब वह हमारे साथ रेगिस्तान में चलता है, हमें प्रभु की विश्वासयोग्यता और उसकी विस्मृति (भुला देने) के गुण को स्मरण दिलाता है। जब आवश्यक होता है, तो वह हमें उठाता है और अच्छे चरवाहे के रूप में अपनी बाहों में उठाता है, हमें उस स्वर्गिक उत्तराधिकार में लाता है जिस भूमि की प्रतिज्ञा इस्राएल से की गई थी।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

इयान डुगिड
इयान डुगिड
डॉ. ईयन डुगिड फिलाडेल्फिया के वेस्टमिन्स्टर थियोलॉजिकल सेमिनेरी में पुराने नियम का प्राध्यापक हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें द होल आर्मर ऑफ गॉड: हाउ क्राइस्ट्स विक्टरी स्ट्रेन्थेन्स अस फॉर स्पिरिचुअल वॉरफेर सम्मिलित है। इन्होंने द ट्रायून गॉड पुस्तक में योगदीन किया है।