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श्रेष्ठगीत के विषय में 3 बातें जो आपको जाननी चाहिए

श्रेष्ठगीत की पुस्तक सभोपदेशक और नीतिवचन जैसे कृतियों के साथ, सुलैमान की रीति में एक काव्यात्मक बुद्धि वाली रचना है (गीत 1:1)। इब्रानी में गीत के शीर्षक का व्याकरण (“श्रेष्ठगीत”) अतिशयोक्तिपूर्ण है, जिसका अर्थ है “सर्वश्रेष्ठ गीत,” ठीक “राजाओं के राजा” या “प्रभुओं के प्रभु” के जैसे। यह अतिशयोक्तिपूर्ण पदनाम असाधारण रूप से प्रभावशाली है, यह देखते हुए कि सुलैमान ने 1,005 गीत लिखे (1 राजा 4:32)। पदनाम के अनुसार यह संकलन में सबसे अच्छा गीत है, परन्तु इसके घनिष्ठ और यहाँ तक कि यौन से सम्बन्धित बातों के कारण गीत के सन्देश की पूर्ण रीति से सराहना करने के लिए कलीसिया को संघर्ष करना पड़ा है। यहाँ तीन बातें हैं जो आपको श्रेष्ठगीत के विषय में जाननी चाहिए।

1. श्रेष्ठगीत को समझने की कुँजी अन्त में आती है।

यह विशेषता पुराने नियम की अन्य बुद्धि वाली रचनाओं में दिखाई देती है। उदाहरण के लिए, सभोपदेशक के अन्त में, लेखक अन्ततः उस सब कुछ को जो पहले हुआ था उचित दृष्टिकोण में रखता है: “जब सब कुछ सुन लिया गया है, निष्कर्ष यह है : परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य यही है।” (सभोपदेशक 12:13)। इसी प्रकार, एक बार जब हम अय्यूब का अन्तिम अध्याय पढ़ते हैं, तो हम वापस जाकर जो कुछ घटित हुआ उसका कारण समझने के लिए योग्य हो जाते हैं। निर्देश की यही पद्धति श्रेष्ठगीत पर भी लागू होती है।

श्रेष्ठगीत में मुख्य निर्देशात्मक बात श्रेष्ठगीत 8:6-10 में पाई जाती है। संक्षेप में, यह गीत सिखाता है कि विवाह की वाचा में समर्पण (श्रेष्ठगीत 8:6अ) और घनिष्ठता (श्रेष्ठगीत 8:6ब) दोनों सम्मिलित होने चाहिए। एक विवाह जो दोनों वास्तविकताओं को बनाए रखने के लिए समर्पित है, वह कठिनाई के मध्य अच्छी रीति से बना रहेगा (श्रेष्ठगीत 8:7अ), परीक्षा (प्रलोभन) का विरोध करेगा (श्रेष्ठगीत 8:7ब), और उस सम्बन्ध के सन्दर्भ में पूर्णता (शान्ति) को बढ़ावा देगा (श्रेष्ठगीत 8:10)। संसार घनिष्ठता (intimacy) वाले भाग से प्रेम करता है परन्तु प्रायः ठोस समर्पण की सम्पूर्णता को अस्वीकार कर देता है। दूसरी ओर, कलीसिया उत्साहपूर्वक आजीवन, ठोस समर्पण की पुष्टि करती है, परन्तु इसने उत्पत्ति 2 विवाह सम्बन्ध के सन्दर्भ में यौन घनिष्ठता की अच्छाई को बढ़ावा देने के लिए बहुत कम काम किया है। हमें दोनों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित होना चाहिए।

2. श्रेष्ठगीत विवाह और परमेश्वर का अपने लोगों के साथ सम्बन्ध दोनों का वर्णन करता है।

श्रेष्ठगीत केवल विवाह के सन्दर्भ में समर्पण और घनिष्ठता के विषय में ही नहीं है; यह उस प्रकार के सम्बन्ध के विषय में भी बताता है जो प्रभु अपने लोगों के साथ रखना चाहता है। यद्यपि, यह यहोवा और इस्राएल या यीशु और कलीसिया के मध्य सम्बन्धों का वर्णन करने वाला एक काल्पनिक रूपक नहीं है। यह, बिना किसी लज्जा के, विवाह के सन्दर्भ में समर्पण और घनिष्ठता के विषय में एक बुद्धि वाला गीत है। परन्तु पवित्रशास्त्र यह सिखाता है कि उत्पत्ति 2 की विवाह वाचा को प्रकाशितवाक्य 19-22 के युगान्त-विज्ञानीय (भविष्यात्मक) विवाह की ओर इंगित करने के लिए बनाया गया था।

इफिसियों 5 के अन्त में पौलुस की यही मुख्य बात है जब वह उत्पत्ति 2 को उद्धृत करता है: “अतः मनुष्य अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे। यह रहस्य तो महान् है पर मैं यह बात ख्रीष्ट और कलीसिया के सन्दर्भ में कह रहा हूँ।”(इफिसियों 5:31-32)। परमेश्वर ने विवाह में जो भी अच्छाई बनाई है वह नये स्वर्ग और पृथ्वी में विस्तारित और पूर्ण होगी। साथ ही पाप के कारण विवाह में आने वाले सभी दुःख और हानि भी दूर हो जाएँगी। बाइबल में विवाह एक महत्वपूर्ण विषय है। हम यह भी कह सकते हैं कि यह बाइबल को आरम्भ से अन्त तक ढाँचा देता है। विवाह की वाचा को हमें उस आशा का स्मरण दिलानी चाहिए जो उस अन्त में हमारी प्रतीक्षा कर रही है।

3. श्रेष्ठगीत में आलंकारिक भाषा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। 

काव्य मानक वृतान्त या गद्य की तुलना में भाषा के कलात्मक उपयोग को अधिक उपयोग करती है। किसी अन्य भाषा और किसी प्राचीन संस्कृति की आलंकारिक अभिव्यक्तियाँ हमारे अपने सांस्कृतिक और भाषाई सन्दर्भ से सटीक मेल नहीं खातीं। उदाहरण के लिए, मैं यह कहकर अपनी पत्नी की प्रशंसा नहीं करूँगा, “ तेरे केश बकरियों के झुण्ड के समान हैं,” (श्रेष्ठगीत 4:1) या “तेरी कनपटियाँ (गाल) अनार की फांकों के समान दिखाई देती हैं”(गीत 4:3)।  श्रेष्ठगीत 4:2 में हम पढ़ते हैं:

तेरे दांत अभी अभी ऊन कतरी हुई उन

भेड़ों के झुण्ड के समान हैं 

जो नहा कर ऊपर आई हैं 

जिनमें से प्रत्येक जुड़वां जनती 

तथा कभी किसी का भी मेमना नहीं मरा।

मैंने ऐसी कोई घटना कभी नहीं देखी है, न ही मुझे भेड़ों के साथ अधिक अनुभव है, इसलिए यह समझने में कुछ परिश्रम लगता है कि यहाँ वर्णित वधू के दाँत श्वेत हैं और वे सब के सब हैं। श्रेष्ठगीत 4:11 की भाषा पर विचार करें, जहाँ वधू को रोमांचक रूप से चाहने योग्य बताया गया है। यह इस प्रकार से है:

तेरे होंठों से मधु टपकता है,

तेरी जीभ के नीचे मधु और दूध की मिठास है,

और तेरे वस्त्रों की सुगन्ध लेबनोन की सुगन्ध सी है।

अमृत, शहद, दूध और लेबनान की सुगन्ध हमारी इच्छा के आधुनिक वर्णन के अनुरूप नहीं हैं, किन्तु हम अभिव्यक्ति के इन प्राचीन रूपों की सराहना कर सकते हैं क्योंकि वे हमारे अपने सन्दर्भ में लाल दाखरस, इत्र या गुलाब की पंखुड़ियों जैसी वस्तुओं के अनुरूप हैं।

श्रेष्ठगीत रूपक (metaphor) का भी उपयोग करता है। उदाहरण के लिए, हम पढ़ते हैं:

मेरी माता के पुत्र मुझ से क्रोधित थे;

उन्होंने मुझे दाख की बारियों की रखवालिन बना दिया,

परन्तु मैंने अपनी निज दाख-बारी की रखवाली नहीं की। (श्रेष्ठगीत 1:6)

वधू बताती है कि उसकी त्वचा काली पड़ गई है क्योंकि उसके भाइयों ने उसे पारिवारिक दाख-बारियों में काम करने के लिए बाध्य किया, जिसका तात्पर्य था कि उसके पास अपनी दाख-बारियों—अर्थात् अपने शरीर की देखभाल करने का समय नहीं था। यही रूपक व्यवस्था श्रेष्ठगीत के अन्त में फिर से दिखाई देती है, जहाँ सुलैमान की दाख की बारी वधू की अपने दाख की बारी के साथ दिखाई देती हैं; एक बार फिर, वधू के शरीर के विषय में देखते हैं (श्रेष्ठगीत 8:11)। 
अन्त में, श्रेष्ठगीत सुशीलता की आवश्यकता वाले विषयों पर थोड़ा पर्दा डालने के लिए प्रेयोक्ति (euphemism) का उपयोग करता है। उदाहरण के लिए, प्रीतम को यौन घनिष्ठता हेतु इस रीति से आमन्त्रित किया जाता है “मेरा प्रीतम मेरे बाग में आए और मनचाहा फल खाए” (श्रेष्ठगीत 4:16)। इसी प्रकार, हम पढ़ते हैं, “मैं कहता हूँ कि मैं खजूर के वृक्ष पर चढ़ जाऊँगा, और उसके गुच्छों के डंठल को पकड़ लूँगा” (श्रेष्ठगीत 7:8)। अध्याय 3 में प्रायः अनदेखा की गई प्रेयोक्ति (euphemism) अध्याय 3 में प्रकट होती है जहाँ सुलैमान के “पालकी” के आसपास के साठ योद्धाओं को “तलवारें पहने हुए” (श्रेष्ठगीत 3:8) के रूप में वर्णित किया गया है, परन्तु इब्रानी स्थल में वास्तव में लिखा है, “तलवार द्वारा पकड़ लिया गया।” दूसरे शब्दों में, वे खोजे (नपुंसक) थे। श्रेष्ठगीत में आलंकारिक भाषा उन बातों में से एक है जो इसे सर्वश्रेष्ठ गीत बनाती है। पुस्तक के इस पहलू पर विशेष ध्यान देने से पाठकों को पुरस्कृत किया जाएगा।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

माइल्स वैन पेल्ट
माइल्स वैन पेल्ट
डॉ. माइल्स वी. वान पेल्ट जैक्सन,मिसिसिपी में रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में समर इंस्टीट्यूट फॉर बाइबिल लैंग्वेजेज़ में पुराने नियम और बाइबिल भाषाओं के एलन हेस बेल्चर प्रोफेसर और निदेशक हैं। वह कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें बेसिक्स ऑफ बिब्लिकल हीब्रू और जजेज़: अ 12-वीक स्टडी सम्मिलित हैं।