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1. प्रेरित पतरस कलीसियाओं को झूठी शिक्षा और इससे उत्पन्न होने वाले खतरों के विषय में चेतावनी देता है।
पतरस उन झूठे शिक्षकों का नाम नहीं लेता है, परन्तु 2 पतरस 2:1-3 में उसके टिप्पणियों से, यह स्पष्ट हो जाता है कि वे लोग एक समय मसीही होने का दावा करते थे परन्तु अब विश्वास को छोड़ चुके हैं। पतरस उनको हानिकारक विधर्मता का प्रचार करने वालों के रूप में वर्णन करता है, जो उस स्वामी को नकारते हैं जिसके विषय में वे दावा करते हैं कि उसने उन्हें “मोल लिया” है, और साथ में वे बड़ी संख्या में ऐसे अनुयायियों को आकर्षित करते हैं जो प्रभु का ईशनिन्दा करते हैं। झूठा धर्मसिद्धान्त निस्सन्देह ही पापपूर्ण व्यवहार की ओर ले जाता है। उनके धर्मत्याग के कारण, उन पर परमेश्वर का न्याय का आना निश्चित है।
पतरस के द्वारा हमें दिए गए कई संकेतों के आधार पर, ऐसा सम्भव है कि ये लोग व्यवस्था विरोधी (व्यवस्थारहित) व्यवहार को सही ठहराने के लिए पौलुस की पत्रियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। 2 पतरस 2:19 में, पतरस लिखता है, “ये उन्हें स्वतन्त्र करने का वचन देते हैं जबकि स्वयं भ्रष्टता के दास हैं।” प्रेरित 2 पतरस 3:15-16 में आगे कहता है कि पौलुस की पत्रियों में कुछ बातें हैं जिनको “समझना कठिन है। अज्ञानी और अस्थिर लोग इनके अर्थों का तोड़-मरोड़ करके, जैसा कि वे पवित्रशास्त्र की शेष बातों का भी करते हैं, अपने ही सर्वनाश का कारण बनते हैं।” ऐसा प्रतीत होता है प्रेरितों के समय काल में पौलुस की पत्रियों के विषय वस्तु को विकृत कर दिया गया था, जैसा की हमारे समय में किया जाता है।
2. पतरस अपने पाठकों के विषय में कहता है कि उनके पास विश्वास के द्वारा परमेश्वर के समक्ष एक धर्मी स्थिति है।
पतरस लिखता है, “उन लोगों के नाम जिनको हमारे परमेश्वर, उद्धारकर्ता यीशु ख्रीष्ट की धार्मिकता द्वारा हमारे ही समान बहुमूल्य विश्वास प्राप्त हुआ” (2 पतरस 1:1)। ऐसा विश्वास जो इस प्रकार की स्थिति प्रदान करता है वह परमेश्वर की ओर से यीशु ख्रीष्ट के द्वारा—जो परमेश्वर की धार्मिकता का स्रोत है—दिया गया एक वरदान है और इसलिए यह प्राप्त किया जाता है (इफिसियों 2:8-9)। उन सब को जिन्हें इस प्रकार का विश्वास दिया गया है, उन्हें “हमारे” (प्रेरितों) के समान विश्वास वाला कहा गया है। विश्वासी, परमेश्वर के समक्ष इस प्रकार की धार्मिक स्थिति यीशु ख्रीष्ट (जो पतरस बताता है कि वह परमेश्वर है) के माध्यम से विश्वास के संसाधन के द्वारा प्राप्त करते हैं।
यह धर्मी स्थिति की तुलना शेष 2 पतरस में अधर्मियों के साथ की गई है—अर्थात् झूठे शिक्षक और उनके अनुयायी। एक समय वे धार्मिकता के मार्ग को जानते थे और उस सुसमाचार पर विश्वास करने का दावा करते थे जिसे पतरस और प्रेरितों ने प्रचार किया, परन्तु वे अब उसे छोड़ चुके हैं। पतरस लिखता है कि यह उनके लिए अच्छा होता कि वे सच्चाई के मार्ग को कभी जाने ही नहीं होते (2 पतरस 2:21), झूठे शिक्षकों की तुलना पुराने नियम के एक सन्त नूह से करते हुए, जो “धार्मिकता का प्रचारक था” (2 पतरस 2:5)। विश्वास के वरदान को प्राप्त करना धर्मियों को उन से भिन्न करता है जो अवश्य ही स्वयं को परमेश्वर के न्याय का सामना करते हुए पाएँगे क्योंकि वे विश्वास को छोड़ चुके हैं—जो एक इतनी गम्भीर बात है कि पतरस इसे इस पत्री के पूरे दूसरे अध्याय में सम्बोधित करता है।
3. पतरस हमें सूचित करता है कि झूठे शिक्षक इस बात को नकारते हैं कि यीशु वापस आएगा।
पतरस पहले ही प्रभु के साथ रूपान्तरण पर्वत पर होने की घटना का वर्णन कर चुका है (2 पतरस 1:16-21), जहाँ उसने प्रभु की महिमा देखी। यही पतरस के लिए प्रभु की प्रतिज्ञाओं में भरोसा रखने का आधार बन जाता है।
2 पतरस 3:3-7 में, पतरस अपने पाठकों को यह कहते हुए चेतावनी देता है:
अन्तिम दिनों में ठट्ठा उड़ाने वाले ठट्ठा उड़ाते आएँगे जो अपनी दुर्वासनाओं का अनुसरण करेंगे, और कहेंगे, कहाँ गई उसके आगमन की प्रतिज्ञा? हमारे पूर्वज जो सो गए, फिर भी सृष्टि के आरम्भ से अब सब कुछ वैसा ही चला आ रहा है।”
पतरस सतर्क करता है कि जो संसार बहुत समय पहले (नूह के दिनों में) अस्तित्व में था “वह संसार जलमग्न होकर नष्ट भी हो गया। परन्तु उसी वचन द्वारा वर्तमान आकाश और पृथ्वी भस्म किए जाने के लिए रखे गए हैं और ये अधर्मी लोगों के न्याय और विनाश के दिन तक ऐसे ही रखे जाएँगे।”
प्रभु के वापस आने के विषय में भ्रम प्रारम्भिक कलीसिया में समान्य बात थी (आप पौलुस द्वारा लिखित दोनों थिस्सलुनिकियों की पत्रियों में अन्त के समय के विषय में प्रश्नों और उत्तरों के विषय में सोच सकते हैं), जैसा कि हमारे वर्तमान समय में भी है। बाइबल नबूवत के ज्ञाताओं ने यीशु ख्रीष्ट के द्वितीय आगमन के विषय में बहुत सारे निराधार और अनुत्तरदायी नबुवतें की हैं कि गैर-मसीही लोग अब बाइबल की इस शिक्षा पर ध्यान नहीं देते हैं कि यीशु, मृतकों को जीवित करने, संसार का न्याय करने, और सब कुछ को नया करने पुनः आने वाला है।
अपने पाठकों को सान्त्वना देने के लिए, पतरस उन्हें समरण दिलाता है:
प्रभु अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने में विलम्ब नहीं करता, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं, परन्तु वह तुम्हारे प्रति धीरज रखता है। वह यह नहीं चाहता कि कोई नाश हो, परन्तु यह कि सब पश्चात्ताप करें। परन्तु प्रभु का दिन चोर के सदृश्य आएगा जिसमें आकाश बड़ी गर्जन के साथ लुप्त हो जाएगा और तत्त्व प्रचण्ड ताप से नष्ट हो जाएँगे और पृथ्वी तथा उस पर किए गए कार्य भस्म हो जाएँगे। (2 पतरस 3:9-10)
इसलिए, पतरस कहता है, ठट्ठा करने वालों को चेतावनी दी जाए जबकि परमेश्वर के लोग आने वाली महिमा की आशा में लगे रहें, क्योंकि “उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की प्रतिक्षा कर रहे हैं जिसमें धार्मिकता वास करती है” (2 पतरस 3:13)।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।