थिस्सलुनीके शहर में मसीहियों को लिखते समय, प्रेरित पौलुस उन्हें निर्देश देता है, “सर्वदा आनन्दित रहो, निरन्तर प्रार्थना करो, प्रत्येक परिस्थिति में धन्यवाद दो, क्योंकि ख्रीष्ट यीशु में तुम्हारे लिए परमेश्वर की यही इच्छा है” (1 थिस्सलुनीकियों 5:16-18)।