5 बातें जो आपको वाचाई ईश्वरविज्ञान के विषय में पता होनी चाहिए - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
5 Things You Should Know about Marriage
5 बातें जो आपको विवाह के विषय में पता होनी चाहिए।
28 जनवरी 2025
5 Things You Should Know about Hell
5 बातें जो आपको नरक के विषय में पता होनी चाहिए
4 फ़रवरी 2025
5 Things You Should Know about Marriage
5 बातें जो आपको विवाह के विषय में पता होनी चाहिए।
28 जनवरी 2025
5 Things You Should Know about Hell
5 बातें जो आपको नरक के विषय में पता होनी चाहिए
4 फ़रवरी 2025

5 बातें जो आपको वाचाई ईश्वरविज्ञान के विषय में पता होनी चाहिए

5 Things about Covenant Theology

धर्मसुधारवादी कलीसियाओं में कुछ विषयों की शिक्षा इतनी अधिक दी जाती है कि आधारभूत विषयों से भटक जाना सरल हो जाता है। ऐसा ही एक विषय वाचाई ईश्वरविज्ञान है। आइए पाँच ऐसी बातें देखें जिन्हें मसीहीयों को वाचाई ईश्वरविज्ञान के विषय में जाननी चाहिए।

1. वाचाई ईश्वरविज्ञान परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध के विषय में है।

वाचा एक औपचारिक सम्बन्ध है। विवाह इस प्रकार के सम्बन्ध का सबसे अच्छा उदाहरण है (मलाकी 2:14)। विवाह दो लोगों के बीच में सबसे अधिक घनिष्ट सम्बन्ध है। यह अत्यन्त व्यक्तिगत और प्रेमपूर्ण साझेदारी एक कानूनी आयोजन भी है। वाचाएँ भी इसी प्रकार से कार्य करती हैं।

वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें उत्तम रीति से यह समझने में सहायता करता है कि परमेश्वर हमसे कैसे सम्बन्ध रखता है। यदि वह इस विषय में स्पष्ट नहीं होता कि हमारा सम्बन्ध उसके साथ कैसा है तो प्रभु के साथ चलना बहुत ही कठिन बात होती। यदि हमें इस प्रकार की बातों के लिए अनुमान लगाना पड़े कि परमेश्वर हमारे विषय में कैसा अनुभव करता है, क्या वह हमें ग्रहण करेगा, कैसे वह हमें ग्रहण करेगा, और उसका अनुसरण करने के क्या उत्तम मार्ग हैं, तो हम प्रायः उसके साथ अपनी स्थिति के विषय में अनिश्चित अनुभव करेंगे।

वाचाई ईश्वरविज्ञान इस बात की पुष्टि करता है कि परमेश्वर स्पष्टता से समझाता है कि हमारा सम्बन्ध उसके साथ कैसा होना चाहिए। पवित्रशास्त्र परमेश्वर का लिखित, स्पष्ट प्रकाशन है कि हम उसके साथ कैसे सही सम्बन्ध रख सकते हैं। क्योंकि वाचा एक औपचारिक सम्बन्ध है, इसलिए परमेश्वर हमें उसके साथ सम्बन्ध के विषय में निश्चयता देता है जब वह हमारे प्रति उस निश्चित बन्ध में समर्पित होता है।

2. वाचाई ईश्वरविज्ञान कार्यों और अनुग्रह के बीच में सम्बन्ध को समझने में हमारी सहायता करता है।

इफिसियोंं 2:8-9  इस बात का एक महत्वपूर्ण आयाम को दर्शाता है कि धर्मसुधारवादी प्रोटेस्टेंट ने उद्धार को कैसे समझा है: “क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है–यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन् परमेश्वर का दान है, यह कार्यो के कारण नहीं जिससे की कोई घमण्ड करे।” कई बार, हम यह समझने में संघर्ष करते हैं कि कैसे केवल अनुग्रह के द्वारा उद्धार का यह खुला प्रस्ताव पद 10 में दिए गए बिन्दु से सम्बन्ध रखता है: “क्योंकि हम उसके हाथ की कारीगरी हैं, जो ख्रीष्ट यीशु में भले कार्यों के लिए सृजे गए हैं जिन्हे परमेश्वर ने प्रारम्भ ही से तैयार किया है कि हम उन्हे करें” (इफिसियों 2:10)।  हम अनुग्रह से प्राप्त स्वतन्त्रता को कैसे अच्छा जीवन जीने के उत्तरदायित्व के साथ बनाए रख सकते हैं?

पारम्परिक धर्मसुधारवादी समझ में, वाचाई ईश्वरविज्ञान कार्यों की वाचा और अनुग्रह की वाचा के बीच भेद करता है। परमेश्वर ने पतन से पहले आदम के साथ कार्यों की वाचा बाँधी थी,  और इसमें सम्पूर्णता से आज्ञाकारिता का प्रतिबन्ध था। अनुग्रह की वाचा में, जो दूसरे आदम यीशु ख्रीष्ट के द्वारा लाई गयी, ख्रीष्ट के प्रायश्चित के कार्य पर विश्वास के द्वारा परमेश्वर हमें अपने लोगों के रूप में ग्रहण करता है।  ये दो वाचाएँ स्पष्ट करती हैं कि कार्य और अनुग्रह उद्धार को सुरक्षित करने और परमेश्वर के साथ सही सम्बन्ध की स्थिति प्राप्त करने के दो अलग-अलग और विरोधी मार्ग हैं।

वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें अनुग्रह और कार्यों को सम्बन्ध रखने में सहायता करता है क्योंकि हमारे कार्य परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध का आधार नहीं हो सकते, यद्यपि सच्चे विश्वासियों के जीवनों में भले कार्य उत्पन्न होंगे। क्योंकि हमारे कार्य उद्धार के लिए विश्वासियों के साथ परमेश्वर की वाचा के लिए प्रतिबन्ध नहीं हैं, इसलिए वे इस बात का कारण भी नहीं हो सकते हैं कि परमेश्वर के सम्मुख हमारी स्थिति ठीक है।

3. वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में ख्रीष्ट को देखने में सहायता करता है। 

कुलुस्सियों 2:17 समझाता है कि इस्राएल के धार्मिक जीवन की कई विशेषताएँ “आने वाली बातों की छाया मात्र हैं, पर मूल-तत्व तो ख्रीष्ट है।” यद्यपि  पुराने नियम के समयकाल में परमेश्वर के लोगों को कई विधियाँ दी गयी थी, किन्तु इन प्रथाओं ने उन्हें उत्पत्ति 3:15 में प्रतिज्ञा किए गए जन के विषय में सिखाया, जो आने वाला उद्धारकर्ता है जिस पर उन्हें अपना विश्वास रखना था। क्योंकि पतन के पश्चात् ख्रीष्ट पर विश्वास ही उद्धार का एक मात्र मार्ग रहा है, इसलिए वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें स्मरण दिलाता है कि ख्रीष्ट ही पवित्रशास्त्र में परमेश्वर का हमारे साथ सभी व्यवहारों का सार है।  

4. वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें कलीसिया के महत्व को देखने में सहायता करता है।

मत्ती 28:19-20 के महान् आदेश में, यीशु ने कलीसिया को सभी राष्ट्रों का शिष्योन्नति करने का निर्देश दिया, “पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से उन्हें बपतिस्मा दो, और जो जो आज्ञाएं मैंने तुम्हे दी हैं उनका पालन करना सिखाओ।” संस्कारों को संचालित करने और परमेश्वर के वचन को सिखाने के ये बाहरी विधियाँ परमेश्वर के लोगों के रूप में हमारे कार्य को आगे बढ़ाने के साधन हैं।

वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें न केवल यह स्मरण दिलाता है कि ख्रीष्ट सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र का सार है, किन्तु यह भी कि वह अपने लोगों के पास उसके द्वारा कलीसिया को दिए गए अनुग्रह के सामान्य साधनों के माध्यम से हम पर अपना आत्मिक कार्य करने के लिए आता है। वेस्टमिंस्टर लघु प्रश्नोत्तरी 88 हमें स्मरण दिलाता है कि कलीसिया के अनुग्रह के साधन वचन, कलीसियाई विधियाँ और प्रार्थना हैं। ये बाहरी साधन, जो ख्रीष्ट को वाचा के सार के रूप में विश्वासियों तक पहुँचाते हैं, तो प्रायः वाचा के “बाहरी संचालन” कहलाते हैं। कलीसिया मसीही जीवन का एक आवश्यक भाग है क्योंकि इसी के द्वारा हम इस बाहरी संचालन में भाग लेते हैं जहाँ हम ख्रीष्ट से मिलते हैं।

5. वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें पवित्रता की खोज करने के लिए गहन आश्वासन देने में सहायता करता है।

इफिसियों 1:13-14  समझाता है कि ख्रीष्ट पर विश्वास करने वालों में आत्मा का निवास करना हमारे अनन्त जीवन का बयाना है:

उसी में तुम पर भी, जब तुमने सत्य का वचन सुना जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है–और जिस पर तुमने विश्वास किया– प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी। वह हमारे उत्तराधिकार के बयाने के रूप में इस उद्देश्य से दिया गया कि परमेश्वर के मोल लिए हुओं का छुटकार हो, जिस से परमेश्वर की महिमा की स्तुति हो। 

जब हम ख्रीष्ट के साथ चलते हैं तो हमारे पास हमें पवित्रता में आगे बढ़ने के लिए आगे बढ़ाने वाला एक ईश्वरीय सहायक है।

वाचाई ईश्वरविज्ञान हमें स्मरण दिलाता है कि हमारी आत्मा द्वारा सशक्त पवित्रता एक उपहार है जिसे ख्रीष्ट ने हमारे लिए अर्जित किया है। ख्रीष्ट ने हमारी ओर से पूर्ण आज्ञाकारिकता की प्रत्येक माँग को पूरा किया है। वह हमें अपना आत्मा देता है जिससे की हम विश्वायोग्यता के साथ उसका अनुसरण कर सकें। आत्मा का यह उपहार इस बात का प्रमाण है कि हम पहले ही ख्रीष्ट के हैं और हमारे पास अनन्त काल में उसके साथ जीवन का आश्वासन है।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

हैरिसन पर्किन्स
हैरिसन पर्किन्स
डॉ. हैरिसन पर्किन्स मिशिगन के फार्मिंगटन हिल्स में ओकलैंड हिल्स कम्युनिटी चर्च के पादरी हैं, एडिनबर्ग थियोलॉजिकल सेमिनरी में व्यवस्थित धर्मशास्त्र में विजिटिंग लेक्चरर हैं, और वेस्टमिंस्टर थियोलॉजिकल सेमिनरी के लिए चर्च इतिहास में ऑनलाइन संकाय हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें रिफॉर्म्ड कोवेनेंट थियोलॉजी: ए सिस्टमैटिक इंट्रोडक्शन और लिविंग आउट रिफॉर्म्ड थियोलॉजी: ए स्टूडेंट गाइड टू लिविंग आउट रिफॉर्म्ड थियोलॉजी शामिल हैं।