
5 बातें जो आपको माता-पिता होने के विषय में पता होनी चाहिए।
24 जनवरी 2025
5 बातें जो आपको वाचाई ईश्वरविज्ञान के विषय में पता होनी चाहिए
30 जनवरी 20255 बातें जो आपको विवाह के विषय में पता होनी चाहिए।

क्योंकि विवाह के विषय में इतना कुछ कहा जा चुका है, यह महत्वपूर्ण है कि हमें आधारभूत तथ्यों को स्मरण रखा जाए। भले आप विवाहित हों या अविवाहित, यहाँ विवाह के विषय में पाँच बातें हैं जिन्हें आपको जानना चाहिए जो इन प्रश्नों में सारांशित किए जा सकते हैं: कौन, क्या, कब, कहाँ और क्यों।
1. कौन: विवाह परमेश्वर द्वारा एक पुरुष और एक महिला के लिए बनाया गया है, जो समान जुएँ में जुड़े हुए हैं (उत्पत्ति 2:24; मत्ती 19:4-5)।
परमेश्वर ने विवाह को बनाया है। यदि हम विवाह पर परमेश्वर के आशीष की अपेक्षा करते हैं, तो इसके लिए उनके नियमों पर ध्यान देने में बुद्धिमानी है। ख्रीष्टियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों लोग एक ही विश्वास के हों (2 कुरिन्थियों 6:14)। कभी-कभी ख्रीष्टिय जन का विवाह अ-ख्रीष्टिय से हो जाता है क्योंकि लोगों का परिवर्तन होता है। या तो एक जन विश्वास करने लगता है या एक जन के विषय में प्रामाणित हो जाता है कि उसमें पहले सच्चा विश्वास था ही नहीं। यद्यपि परमेश्वर ऐसे मिश्रित-विश्वास विवाहों की अनुमति देता है, और यहाँ तक कि ऐसे विवाहों के माध्यम से कार्य भी करता है, फिर भी वह हमें आज्ञा देता है कि हम जानकर ऐसे विवाह में प्रवेश न करें। किसी ख्रीष्टिय के लिए अ-ख्रीष्टिय से विवाह करना ख्रीष्ट की ओर जाने की अपेक्षा उससे दूर जाना है और आत्मा के साथ चलने की उपेक्षा करना है (गलातियों 5:16-19)।
2. क्याः विवाह पति और पत्नी के मध्य एक आजीवन मिलन है, जो ख्रीष्ट और कलीसिया के मध्य के सम्बन्धों को चित्रित करता है।
विवाह में दो लोगों को अपना मूल परिवार छोड़कर नया परिवार आरम्भ करना सम्मिलित होता है। एक ख्रीष्टीय विवाह ख्रीष्ट और उसकी दुल्हन कलीसिया के मध्य के सम्बन्धों का एक चित्रण है (इफिसियों 5:32; 2 कुरिन्थियों 11:2)। इस प्रकार, पतियों को कलीसिया के मुखिया के रूप में ख्रीष्ट की भूमिका के आधार पर आदेश दिए जाते हैं। पतियों को बलिदानपूर्वक अगुवाई करने के लिए बुलाया गया है, यहाँ तक कि अपनी पत्नी के लिए अपना जीवन देने के लिए भी, जैसा कि ख्रीष्ट ने कलीसिया के लिए किया था (इफिसियों 5:25)। इसी प्रकार, पत्नियों को ख्रीष्ट की देह के रूप में कलीसिया की भूमिका के अनुरूप आदेश दिए जाते हैं। पत्नियों को अपने पति के प्रति अधीन होने के लिए बुलाया जाता है जैसे कलीसिया ख्रीष्ट के प्रति अधीन होती है (इफिसियोंं 5:24)। दोनों भूमिकाएँ समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। यह कितने सम्मान और उत्तरदायित्व की बात है कि दम्पत्तियों को अपने विवाह के माध्यम से यीशु ख्रीष्ट और कलीसिया के मध्य के सम्बन्ध को प्रकट करना है।
3. कबः विवाह जीवन भर के लिए होता है, परन्तु अनन्त काल के लिए नहीं (मत्ती 22:30)।
विवाह यहाँ और अभी की वास्तविकता के लिए है, जैसा कि कई वाचाएँ कहती हैं, “अच्छी और बुरी दशा में, अमीरी और गरीबी में, बीमारी और स्वास्थ्य में, जब तक आप दोनों जीवित रहेंगे।” यह केवल उन समयों के लिए नहीं है जब हमें लगता है कि हम से प्रेम किया जा रहा है या हममें प्रेम की भावना आती है—यह जीवन भर के लिए है। जबकि परमेश्वर विशेष परिस्थितियों के लिए तलाक को एक विकल्प के रूप में प्रदान करता है, इसे प्रत्येक अनावश्यक, अप्रत्याशित या अनुचित स्थिति की प्रतिक्रिया के रूप में नहीं अपनाया जाना चाहिए। यह जानते हुए वैवाहिक चुनौतियों आएँगी, दम्पत्ति बुद्धिमानी से परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह एक-दूसरे के प्रति उनके प्रेम को नवीनीकृत करें, जोड़ें और यहाँ तक कि उसे बढ़ाएँ (मत्ती 7:7), यह जानते हुए कि परमेश्वर ऐसी प्रार्थनाओं का उत्तर देने में प्रसन्न होते हैं (1 यूहन्ना 5:14-15)।
दम्पत्तियों को ऐसी प्रार्थनाओं की आवश्यकता होने का एक कारण यह है कि हम अभी भी पापी हैं, परन्तु यह आशा खोने का कोई कारण नहीं है। ख्रीष्ट द्वारा निर्धारित नमूने का अनुसरण करते हुए, आत्मा हमें एक दूसरे से त्यागपूर्ण प्रेम करने में सक्षम बनाता है। पाप की उपस्थिति विवाह में बाधक नहीं है, केवल उसका सन्दर्भ है। परमेश्वर अपने अनुग्रह के द्वारा दम्पत्तियों को प्रेम से एक-दूसरे को सहने के लिए बुलाता है (इफिसियों 4:2)। बुद्धिमान दम्पत्तियाँ परमेश्वर पर भरोसा करते हैं कि वह उनके अ-सिद्ध विवाह का अधिकतम लाभ उठाने में सहायता करेगा—और इसमें उसके कई आशीषों को ध्यान देकर उनके लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं (1 थिस्सलुनिकियों 5:18)।
भले इस जीवन में वे विवाहित हों या अविवाहित, सभी विश्वासी निश्चित रूप से और पूरी रीति से मेमने के विवाह भोज का आनन्द लेंगे, जो स्वर्ग में ख्रीष्ट और कलीसिया के बीच अनन्त काल के लिए एकमात्र स्थायी और पूर्ण विवाह है (प्रकाशितवाक्य 19:6-9)।
4. कहाँ: विवाह एक नए परिवार और नए घराने की स्थापना करता है।
जैसा कि सृष्टि के वृतान्त में लिखा गया है, परमेश्वर पति और पत्नी को “छोड़कर मिला रहने” के लिए बुलाता है (उत्पत्ति 2:24)। अपनी प्राथमिक निष्ठा को माता-पिता से जीवनसाथी की ओर स्थानान्तरित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। पति-पत्नी और उनके माता-पिता के बीच भौतिक दूरी इस प्रक्रिया में सहायक हो सकती है। परमेश्वर विवाहित दम्पत्तियों को माता-पिता का निरन्तर आदर करने के लिए बुलाता है, परन्तु यह आवश्यक नहीं वे उनकी आज्ञा मानें (निर्गमन 20:12; इफिसियों 6:2–3)। विवाहित दम्पत्तियों को इसका भेद अवश्य समझना चाहिए। वे माता-पिता से परामर्श ले सकते हैं और उनकी बुद्धि का स्वागत कर सकते हैं, परन्तु स्वतन्त्र परिवार के रूप में, उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए, क्योंकि परमेश्वर उन्हें इसी प्रकार देखता है (उत्पत्ति 2:24)।
5. क्यों: परमेश्वर विवाह के चार उद्देश्य देता है। विवाहित दम्पत्ति अवसर मिलने पर इन चारों को पूरा करने का प्रयत्न करके परमेश्वर का सम्मान करते हैं।
- बच्चों को बढ़ाना। जबकि कुछ विवाहित दम्पत्ति ईश्वरीय-प्रावधान में होकर सन्तान नहीं प्राप्त कर सकते, पवित्रशास्त्र सन्तानों को आशीष के रूप में देखता है (भजन संहिता 127:3–5; मलाकी 2:15), और माता-पिता को सन्तानों को प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में बढ़ाना चाहिए (इफिसियों 6:4)।
- यौन सन्तुष्टि। परमेश्वर विवाह के बाहर यौन सम्बन्धों को अनुमति नहीं देता है (1 कुरिन्थियों 7:2)। विवाह के भीतर, यह परमेश्वर के अन्य उत्तम दानों के जैसे आनन्द के लिए है।
- संसार और कलीसिया को आशीष देना। प्रायः, एक दम्पत्ति का जुड़ा हुआ योगदान उसके वर और वधु के व्यक्तिगत योगदान के योग से अधिक होता है। दो जन एक से अधिक अच्छे से सेवा कर सकते हैं (सभोपदेशक 4:9–12; मत्ती 20:28)।
- संगति। सृष्टि के समय, जब परमेश्वर ने सब कुछ बनाया, तो उसने घोषणी की कि सब कुछ अच्छा है (उत्पत्ति 1:31)। विवाह के लिए भी यही कहा जा सकता है। एकमात्र बात जिसे परमेश्वर ने कहा कि वह अच्छा नहीं है, वह थी मनुष्य का अकेला रहना (उत्पत्ति 2:18)।
यदि स्मरण रखने के लिए कोई एक हो, वह यह है कि: विवाह अच्छा है। विवाह एक प्रमुख साधन है जिससे परमेश्वर मनुष्यों के लिए संगति प्रदान करता है, और जब हम विवाह में परमेश्वर का आदर करते हैं, हमारे लिए उचित है कि हम उसके समृद्ध आशीष की आशा करें।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।