मसीहियत और संसारिक दर्शनशास्त्र - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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मसीहियत और संसारिक दर्शनशास्त्र

जे. ग्रेशम मेचन ने अपनी अमूल्य पुस्तक क्रिस्चियैनिटी एण्ड लिबरेलिज्म़ (मसीहियत और उदारवाद) का परिचय देते हुए कहा कि वे “संघर्ष के समय” में जी रहते थे। समभवत: मानव जाति के पाप में गिरने के बाद से सभी मनुष्य संघर्ष के समय में जी रहे हैं। मूल संघर्ष सर्वसदा शैतान और स्त्री के वंश के बीच होता है (उत्पत्ति 3:15), परन्तु यह संघर्ष अलग-अलग समयों में विभिन्न रूप लेता है। मेचन अपने समय के संघर्ष को भौतिकवाद और आत्मिक जीवन के बीच के संघर्ष के रूप में देखते हैं, जो सौ वर्ष बाद भी हमारे लिए वास्तविकता बनी हुई है।
अपनी पुस्तक में, मेचन वैज्ञानिक खोजों से हमारे शारीरिक जीवन को अच्छा बनाने में आधुनिक वस्तुओं की सराहना करते हैं। उन्हें जो संकट दिखता है वह यह है कि इन सफलताओं ने बहुत से लोगों को इस वास्तविकता से अन्धा कर दिया है कि जीवन में शारीरिक खुशहाली से कहीं अधिक और भी कुछ है। उन्होंने केवल भौतिक वस्तुओं पर ध्यान केन्द्रित किया है और भौतिकवादी बन गए हैं। हमारे आस-पास की प्राकृतिक संसार, जिसे देखा और छुआ जा सकता है, वही एकमात्र संसार है। अलौकिक, अर्थात् इस संसार में प्राकृतिक से परे परमेश्वर का कार्य, पूरी रीति से ठुकरा दिया गया है। परन्तु मेचन बुद्धिमानी से यीशु के शब्दों की ओर संकेत देते हैं (मत्ती 16:26): यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण को खोए तो उसे क्या लाभ?
मेचन की पुस्तक का महान उद्देश्य इस बात पर बल देना है कि केवल सच्ची मसीहियत ही भौतिकवाद की चुनौती का उत्तर दे सकती है और यह दिखाती है कि सच्ची मसीहियत उदारवादी या आधुनिकतावादी झूठी मसीहियत से पूरी रीति से भिन्न है और उसका विरोध करता है। प्रत्येक अध्याय में सच्ची मसीहियत की प्रकृति पर उनके विचार इन सत्यों के गहन और शक्तिशाली महत्व को दर्शाते हैं। परन्तु इस महान विषय को दिखाने से पहले, वह हमारे समय में मसीहियों के सामने आने वाले व्यापक विषयों, विशेष रूप से प्रकृतिवाद और भौतिकवाद पर संक्षेप में विचार करते हैं। वे लिखते हैं “भौतिक प्रगति आत्मिक गिरावट के साथ-साथ चली है।”
जैसा की मेचन इसे देखते हैं, “आधुनिक अविश्वास” ने न केवल सच्चे धर्म पर वार किया है, वरन् व्यापक रीति से व्यक्तियों के उच्च जीवन को भी खोखला कर दिया है। वे भौतिकवादी विश्वदृष्टिकोण को मनुष्य के मन और आत्मा की महान उपलब्धियों को विकसित करने के लिए व्यक्तियों की स्वतन्त्रता को प्रतिबन्धित करने के रूप में देखते हैं। वे आधुनिक कला, संगीत और साहित्य को मानव उपलब्धि के आधुनिक गिरावट के प्रमाण के रूप में इंगित करते हैं।
वे आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में आत्मा की उपेक्षा के घातक प्रभावों का एक उदाहरण देते हैं। उनकी टिप्पणियाँ वास्तव में भविष्यवाणी लगती हैं। याद रखें, कि वे 1922 में लिख रहे हैं। वे अभियोग करते हैं कि “विद्यालय का चुनाव व्यक्तिगत माता-पिता से छीनकर राज्य के हाथों में दे दिया जाना चाहिए।” राज्य शिक्षा में, “बच्चे को मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों के नियन्त्रण में रखा जाता है, जो स्वयं मानव जीवन के उच्च क्षेत्रों से थोड़ा भी परिचित नहीं होते।” वास्तव में, शिक्षा में “सत्तावाद नियम” अन्य स्थानों की रीति में एक “नीरस उपयोगितावाद (utilitarianism) की ओर ले जा रहा है जिसमें सभी उच्च आकाँक्षाएँ खो जाती हैं।” ऐसी शिक्षा केवल वही सिखाने को महत्व देती है जो भौतिकवाद के अनुमान में उपयोगी है।
शिक्षा को नष्ट करने की राज्य की इस प्रवृत्ति के उदाहरण के रूप में, मेचन 1919 में पारित नेब्रास्का के नियम की बात करते हैं। उस नियम ने किसी भी विद्यालय, भले ही वह सरकारी हो या निजी, उसमें अंग्रेजी से हटकर किसी भी भाषा को पढ़ाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया, जब तक कि छात्र अंग्रेजी में आठवीं कक्षा की दक्षता प्रमाणित न कर दे। मेचन भर्त्सना करते हैं: “दूसरे शब्दों में, कोई भी विदेशी भाषा, यहाँ तक कि लातीनी या यूनानी भी, तब तक नहीं पढ़ायी जानी चाहिए जब तक कि बच्चा इसे अच्छी रीति से सीखने के लिए बड़ा न हो जाए। इस प्रकार से आधुनिक सामूहिकता उस प्रकार के अध्ययन से बर्ताव करती है जो सभी वास्तविक मानसिक प्रगति के लिए पूर्णतः आवश्यक है।” दुख की बात है कि आज हम सभी लातिनी और यूनानी के लिए मेचन के उत्साह को साझा नहीं करते हैं, परन्तु हम अपने चारों ओर सार्वजनिक विद्यालयों के लिए कई सत्तावाद नियमों के विनाशकारी प्रभावों को देख सकते हैं।
अपने समय के कई सार्वजनिक विद्यालयों के चरित्र का वर्णन करते समय उनके शब्द सबसा अधिक भविष्यद्वाणी लगते हैं:
जब कोई यह विचार करता है कि अमरीका में अनेक स्थानों पर सार्वजनिक विद्यालय पहले से ही क्या हैं—उनका भौतिकवाद, किसी भी सतत बौद्धिक प्रयास के प्रति उनकी निरुत्साह, प्रयोगात्मक मनोविज्ञान की खतरनाक छद्म-वैज्ञानिक सनक को उनका प्रोत्साहन—एक ऐसे राष्ट्र के विचार से, जिसमें ऐसी आत्मा-हत्यारी प्रणाली से कोई बच नहीं सकता, व्यक्ति भयभीत ही हो सकता है।
सोचिए, वर्तमान के हमारे विद्यालयों के विषय में वे क्या कहते। वे मनोवैज्ञानिकों की सनक को देखते जो इस बात पर बल देता है कि शिक्षा का महान उद्देश्य हमारे बच्चों को अपने विषय में अच्छा अनुभव कराना होना चाहिए, और वे इस उद्देश्य में बुरी रीति से विफल रहे हैं।
मेचन किसी भी प्रकार से पूर्ण रीति से सार्वजनिक विद्यालय के विरोधी नहीं हैं। वह लिखते हैं:
सार्वजनिक विद्यालय प्रणाली, यदि इसका अर्थ उन लोगों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना है जो इसे चाहते हैं, तो यह आधुनिक समय की एक उल्लेखनीय और लाभकारी उपलब्धि है; परन्तु जब यह एकाधिकारवादी हो जाती है तो यह अत्याचार का सबसे सही साधन है जो अब तक तैयार किया गया है।
यह अत्याचार माता-पिता के उन बच्चों के लिए शिक्षा निर्धारित करने के अधिकार को नष्ट कर देता है जिन्हें परमेश्वर ने उन्हें दिया है और प्रभुत्वशाली प्रकृतिवाद (dominant naturalism) के नाम पर विचारों की किसी भी वास्तविक विविधता को कुचल देता है। वे सार्वजनिक विद्यालय को केवल मसीही होने के लिए विवश नहीं करना चाहते हैं, वरन्प चाहते हैं कि उनमें मसीही विचारों के लिए स्थान हो।

मेचन जिस प्रकार की शिक्षा को प्रोत्साहित करते हैं, वह संकीर्ण, कट्टर या अहंकारी रूप से मसीही नहीं है। वे हमें व्यापक, गहन और विनम्र बनाने के लिए गैर-मसीही विचारों के अध्ययन का दृढ़ता से आह्वान करते हैं:
सुकरात मसीही नहीं थे, न ही गोएथे; फिर भी हम उनके नामों को पूरे सम्मान से देखते हैं। वे साधारण लोगों से कहीं अधिक बड़कर हैं; यदि स्वर्ग के राज्य में सबसे छोटा व्यक्ति उनसे बड़ा है, तो वह निश्चित रूप से किसी जन्मजात श्रेष्ठता के कारण नहीं, वरन् एक ऐसे सौभाग्य के कारण है जो अनर्जित है, जो उसे तिरस्कारपूर्ण होने के स्थान पर विनम्र बनाता है।
मेचन के समय के व्यापक आत्मिक संघर्ष ने अमरीकी प्रोटेस्टेन्टवाद पर प्रभाव डाला, जिसने इसके विभाजन को स्पष्ट कर दिया। संयुक्त राज्य अमरीका में उन्नीसवीं शताब्दी के प्रोटेस्टेन्टवाद के “सुसमाचारवादी साम्राज्य” (Evangelical Empire) को बीसवीं शताब्दी में आधुनिकतावादी और कट्टरपंथी पक्षों में विभाजित कर दिया गया। बाद में उन पक्षों को सामान्य रीति से मेनलाइन (mainline) और सुसमाचारवादी कहा जाने लगा। उदारवादी पक्ष ने अविश्वास के साथ समायोजन की अपनी रणनीति प्रचलित रखी और उनके संख्या और प्रभाव में लगातार गिरावट आई। सुसमाचारवादी पक्ष कुछ बाइबल की आधारभूत बातों पर बल देते रहें, परन्तु बाइबल से पूर्ण-स्तरीय (full-orbed theology) ईश्वरविज्ञान के स्थान पर अतिसूक्ष्मवाद (minimalism) की रणनीति अपनाने की ओर प्रवृत्त हुऐं। सुसमाचारवादी पक्ष का भी अमरीका में संख्या और प्रभाव में गिरावट आई।
इन बातों से मेचन को कोई भी आश्चर्य नहीं होता। वह जानता था कि न तो अविश्वास के साथ समझौता और न ही बाइबलीय अतिसूक्ष्मवादिता ख्रीष्ट के कारण को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाएगी। वह यह भी जानता था कि मसीहियत के विकल्प के रूप में सांसारिक दर्शन अन्ततः आत्मिक और सांस्कृतिक पतन की ओर ले जाएँगे। वे मार्क्सवाद-लेनिनवाद (Marxism-Leninism) के वृद्धि देखने के लिए जीवित रहा, परन्तु उन्होंने संसार में इसके द्वारा आने वाले सभी दुखों को नहीं देखा। कुछ साम्यवादी देशों में समय के साथ कुछ भौतिक सुधार देखे जा सकते हैं, परन्तु प्रगति इतनी धीमी थी कि हम पूछ सकते हैं कि क्या ये भौतिक परिवर्तन भी किसी अन्य शासन प्रणाली के अन्तर्गत अधिक गती से नहीं हुए होंगे। मेचन ने स्पष्ट रूप से देखा कि इस पापी संसार को पूर्ण, कड़ा सुसमाचारवाद की आवश्यकता है जो सम्पूर्ण बाइबल की शिक्षा को स्वीकार करता है। उन्हें आशा थी कि उनकी पुस्तक “दिखाएगी कि सुसमाचारवादी क्या है, जिससे कि लोगों को दुर्बल और व्यर्थ शिक्षाओं से दूर किया जा सकें और फिर से परमेश्वर के अनुग्रह का सहारा लिया जा सके।” उनकी पुस्तक वास्तव में ख्रीष्ट के कारण को आगे बढ़ाती है और अभी भी हम सभी को बाइबल की महान शिक्षाओं को समझने में सहायता करती है। यह हमें इस संसार के निर्बल और अन्ततः व्यर्थ दर्शनशास्त्रों के लिए स्पष्ट रूप से मसीही विकल्प देती है (गलातियों 4:9)।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

डब्ल्यू रॉबर्ट गॉडफ्रे
डब्ल्यू रॉबर्ट गॉडफ्रे
डॉ. डब्ल्यू. रॉबर्ट गॉडफ्रे लिगोनियर मिनिस्ट्रीज़ के अध्यापक और अध्यक्ष हैं। वह वेस्टमिंस्टर सेमिनरी कैलिफ़ोर्निया में कलीसियाई इतिहास के एमेरिटस अध्यक्ष और एमेरिटस प्रोफेसर हैं। वह कई लिगोनियर शिक्षण श्रृंखलाओं के लिए विशेष शिक्षक हैं, जिनमें छह भाग वाली श्रृंखला ए सर्वे ऑफ चर्च हिस्ट्री भी सम्मिलित है। वह कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें गॉड्स पैटर्न फॉर क्रिएशन, रिफॉर्मेशन स्केचेज़ और एन अनएक्सपेक्टेड जर्नी सम्मिलित हैं।