परमेश्वर की बुलाहट को परिभाषित करना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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परमेश्वर की बुलाहट को परिभाषित करना

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का तीसरा अध्याय है: परमेश्वर की इच्छा को ढूंढना

पवित्रशास्त्र हमारे जीवन में परमेश्वर की बुलाहट को विभिन्न प्रकार से वर्णन करता है जो विस्तृत से छोटे तक फैला हुआ है। इसलिए, यदि हम बाइबलीय समझ उन भिन्न प्रकारों का जिनमें बाइबल परमेश्वर की बुलाहट के विषय में बात करती है, तो हम कहाँ से प्रारम्भ करें? हम प्रायः अनुचित स्थान से आरम्भ करते हैं और अपने विशिष्ट सन्दर्भ, अपने जीवन, अपनी स्थिति के बारे में सोचते हैं। इसके स्थान पर, हमें परमेश्वर और उसकी बुलाहट से आरम्भ करना चाहिए। हम ब्रह्माण्ड के सर्वसामर्थी परमेश्वर के विषय में बात कर रहे हैं, जिसकी सम्प्रभु आज्ञा सृष्टि में तथा उसकी निरन्तर प्रावधान देखभाल उसके सभी प्राणियों और उनके सभी कार्यों में पूरी होती है। उसने, अपनी सम्प्रभुता में, हमें छुड़ाया है। इस परमेश्वर ने, हमारे परमेश्वर ने, हमारे जीवन में बुलाहट दी जो निर्धारित करते हैं कि हम कौन हैं और कि वह हमसे क्या अपेक्षा करता है, हमें क्या आज्ञा देता है, क्या करने के लिए बुलाता है इस संसार में जिसे उसने बनाया है, इस संसार में जिसमें हम उसके सेवक हैं। हम सारांशित कर करते हैं कि बाइबल इन विषयों का उपयोग करती है—परमेश्वर का सर्वसामर्थी शासन, हमारे जीवन पर उसका अधिकार, हमारे और संसार के लिए उसका अभिप्राय, यीशु का सुसमाचार—दो श्रेणियों की बुलाहट के अनुसार: सृष्टि और छुटकारा। ये दोनों शब्द—सृष्टि  और छुटकारा —हमें खिड़की देते हैं जिसके द्वारा हम परमेश्वर की विभिन्न बुलाहट को देखते हैं। 

सृष्टि को पहले देखते हुए, हम कार्य की बुलाहट के अवसर पर ध्यान दे सकते हैं। परमेश्वर हमें अपने स्वरूप में बनाए गए मनुष्यों के रूप में उसके द्वारा सृजे गए संसार में परिश्रमी कार्य करने के लिए बुलाता है। परमेश्वर ने आदम या उसकी किसी भी सन्तान को आलसी होने के लिए नहीं बनाया। वे सदा परमेश्वर के तलघर में नवीनतम वीडियो गेम में नए स्तरों को खोलने के अतिरिक्त कुछ न करने के लिए हुए नहीं पड़े रहते। और न ही परमेश्वर ने इसे आदम पर छोड़ा कि कैसे वह सृष्टि से जुड़ेंगा या क्या करेगा। परमेश्वर ने आदम को बुलाया—आदम को आज्ञा दी—सृष्टि पर प्रभुता करने जब वह अदन की वाटिका में कार्य करता और उसकी देखभाल करता (उत्पत्ति 1:28; 2:15)। पतन के बाद, यह काम और भी अधिक कठिन हो गया, कांटों से भरकर, किन्तु बुलाहट नहीं बदली। अपने चेहरे के पसीने से, आदम सृष्टि पर प्रभुता करना जारी रखता कार्य करने और उस संसार को बनाए रखने के द्वारा जिसमें परमेश्वर ने उसे रखा (3:17-19)। और यह कार्य परमेश्वर की महिमा के लिए किया जाता। इस बुलाहट में, सभी मनुष्य, आदम के सभी पुत्र और पुत्रियाँ, कार्य करने के लिए परमेश्वर की बुलाहट पाते हैं। और कार्य से, मेरा अर्थ मजदूरी पाने वाला व्यवसाय नहीं है। सीपीए, गढ्ढे खोदने वाला, सैनिक, गृहिणी, सेवा मुक्त, और प्राथमिक स्कूल के छात्र सभी परमेश्वर को आदर देने वाले कार्य के द्वारा अपने जीवन में परमेश्वर की बुलाहट का अनुसरण कर रहे हैं।

आगे, सृष्टि में निहित बुलाहट पर अपना ध्यान रखते हुए, हम विवाह की बुलाहट पर विचार करते हैं। परमेश्वर की मंसा नहीं थी कि मनुष्य परिश्रमी कार्य के लिए अपनी बुलाहट को अकेले करे। परमेश्वर ने आदम को एक व्यक्ति के रूप में देखा और निश्चित रूप से घोषित किया कि उसकी स्थिति अच्छी नहीं है (उत्पत्ति 2:18)। इसलिए, उसने हव्वा को बनाया, जो आदम के लिए एक उपयुक्त सहायक थी, और उन दोनों को विवाह की वाचा के लिए बुलाया, एक वाचा जिसमें एक पुरुष और एक स्त्री जीवन भर के लिए एक-दूसरे के लिए समर्पित होते हैं। हव्वा आदम की सहायक थी फलने-फूलने और प्रभुता दोनों कार्य करने में। इसी प्रकार, जब तक कि एक ख्रीष्टीय के पास अविवाहित जीवन की विशेष बुलाहट न हो (1 कुरिन्थियों 7:8–9) उसे जीवनसाथी खोजने के लिए बुलाया जाता है और यदि परमेश्वर इस रीति से आशीष दे, तो सन्तान उत्पन्न करने के लिए । यह बुलाहट कई यौगिक और लिंग-विशिष्ट बुलाहट बनाती है—पति, पत्नी, पिता, माता, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन—प्रत्येक में ऐसी भूमिकाएं और उत्तरदायित्व जो परमेश्वर के आदर और महिमा के लिए किए जाने चाहिए थे।

तीसरा, सृष्टि में परमेश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति के हृदय पर अपनी व्यवस्था लिखकर (रोमियो 2:15), उन्हें पवित्रता की बुलाहट देता है (लैव्यव्यवस्था 20:26)। यह व्यवस्था दस आज्ञाओं में और अधिक विशिष्ट सूत्रीकरण पाता है और अन्ततः, यीशु ख्रीष्ट के व्यक्तित्व में पूर्ण प्रदर्शित होता है। यह व्यवस्था ऐसी सिद्धता के लिए बुलाहट देता है जिसे कोई भी पापी नहीं प्राप्त कर सकता है, किन्तु पतन के कारण व्यवस्था का पालन करने में हमारी अक्षमता परमेश्वर के जैसे सिद्ध होने के लिए बुलाहट को रद्द नहीं करती है (गलातियों 3:10)। इस प्रकार, यद्यपि पाप से कलंकित, प्रत्येक मनुष्य पवित्रता तथा नैतिक सिद्धता के लिए परमेश्वर की बुलाहट को जानता है, और अपने पापों के लिए दोष अनुभव करता है।

चौथा, जैसे-जैसे परिवार राष्ट्रों में बढ़े और परमेश्वर ने बाबुल की मीनार के प्रतिउत्तर में राष्ट्रों को तितर-बितर कर दिया, संस्कृतियों के भीतर सरकार तथा व्यापार विकसित करते हुए जिससे कि उत्तरदायित्व और अधिकार के संरचनाओं का निर्माण हुआ । यह सब, विशेष रूप से किसी भी संस्कृति या समूह में किसके पास अधिकार है, परमेश्वर की व्यक्त इच्छा द्वारा निर्धारित किया जाता है (रोमियों 13:1-4)। क्योंकि परमेश्वर समाज के अधिकारियों को निर्धारित करता है, जो परिवारों के आधार पर निर्मित हैं, वह सभी को उन अधिकारियों को मानने के लिए बुलाता है जिन्हें वह अधिकार में रखता है। अधिकार का पालन करने की बुलाहट सब स्थान के लिए है, घर में पति की प्रधानता से लेकर देश के राष्ट्रपति शासन तक, व्यवसाय में कर्मचारी से लेकर घर में बच्चे तक। अधिकार की अवज्ञा करने का एकमात्र समय उचित है और अनुबद्ध है जब कोई अधिकार किसी को पाप करने के लिए कहता है। अधिकार का पालन करने के लिए परमेश्वर की बुलाहट उन अधिकारियों के लिए भी उत्तरदायी होता है कि वे जो संसार में परमेश्वर की धार्मिकता का पीछा करें जब वे अधिकारों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार, अधिकार का पालन करने के लिए परमेश्वर की बुलाहट व्यक्तिगत परिवार से परे व्यवस्था और उत्तरदायित्व प्रदान करती है, अराजकता और अन्याय के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हुए।

बाइबल में बुलाहट के विषय पर साधारण सरल शब्द अध्ययन सभी लोगों के लिए परमेश्वर की कई और बुलाहट को प्रकट करेगा, पर हमने अभी तक जो ध्यान दिया है, वह सारांशित करता है कि परमेश्वर की आधारभूत बुलाहट हर स्थान के लिए हैं और किसी भी समय किसी भी व्यक्ति के लिए लागू होती हैं। और मानवता का अनुभव यह है कि बुलाहट के ये प्रत्येक क्षेत्र ने, उन्हें पूरा करने के लिए मानवता की क्षमता दिखाने से दूर, दिखाया है कि वे पाप और भ्रष्टता के लिए स्थान कैसे हुए हैं। परन्तु परमेश्वर ने, आदम और हव्वा के वाटिका से बाहर निकलने से पहले, पहले ही उस छुटकारे के कार्य की बात करने लगा था जिसे वह एक दिन सर्प-कुचलने वाले मसीहा के द्वारा करेगा (उत्पत्ति 3:15)। यह मसीहा, अपने जीवन, मृत्यु और जी उठने के द्वारा, अपने लोगों के पापों का मूल्य चुकाएगा, वह धार्मिकता प्रदान करेगा जो वे प्राप्त नहीं कर सकते थे, और अपने लोगों के लिए परमेश्वर की सभी बुलाहट को पूरा करेगा। यह मसीहा यीशु ख्रीष्ट है, और उसमें हम, परमेश्वर की नई बुलाहट और नवीकृत बुलाहट दोनों को देखते हैं।

जब हम छुटकारे के दृष्टिकोण से बुलाहट पर विचार करते हैं, हम जानते हैं कि परमेश्वर पूरे युगों से मानव जाति के पाप के साथ धैर्य रखे हुए है, पर अब प्रत्येक को प्रत्येक स्थान पर पश्चात्ताप करने और ख्रीष्ट पर विश्वास करने के लिए बुलाता है (प्रेरितों के काम 17:30)। यह सुसमाचार का बाहरी बुलाहट है जिसे ख्रीष्टिय संसार में ले जाते हैं। पास्टर उपदेश-मंच से प्रचार करते हुए तथा ख्रीष्टीय अपने पड़ोसियों को सुसमाचार प्रचार करते हुए सुसमाचार के निशुल्क प्रस्ताव को पहुँचाते हैं: मन फिराओ और यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास करो, और आप बच जाएँगे। यह अब हर पुरुष, महिला और बच्चे के सामने रखी गई एक महान छुटकारे की बुलाहट है। यह बुलाहट नये नियम की कलीसिया को चलाती है, यह विश्व मिशन को ईंधन देती है, और यह प्रत्येक ख्रीष्टीय को दी गई है।

जब यह बाहरी बुलाहट आगे सुनाई देती है, एक आन्तरिक बुलाहट भी उसके साथ होती है, जब एक व्यक्ति का नया जन्म होता है। उद्धार प्रभु की ओर से है; यह उसकी सम्प्रभुता का कार्य है। वह अपने लोगों को जानता है, और वह उन्हें नाम लेकर पुकारता है (यूहन्ना 10:27)। जब एक पापी छुड़ाया जाता है, तो पवित्र आत्मा उसे पुनर्जीवित करता है ताकि वह यीशु ख्रीष्ट को ग्रहण कर सके तथा उसमें विश्राम प्राप्त कर सके जैसा वह सुसमाचार में प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रकार से, सुसमाचार की आन्तरिक बुलाहट सदैव प्रभावशाली होता है क्योंकि यह सदैव और केवल परमेश्वर द्वारा किया जाता है। परमेश्वर की बाहरी और आन्तरिक बुलाहट नए नियम की युग को चिह्नित करती है। ये दोनों बुलाहट गलील के छोटे समूह से संसार भर के प्रत्येक जाति, भाषा, और देश से छुड़ाए गए पापियों के कलीसिया के अचानक वृद्धि की व्याख्या करते हैं।

यीशु के द्वारा परमेश्वर की प्रभावशाली बुलाहट जो हमें परिवर्तित करती है, हमें उसके स्वरूप में बनाने का कार्य भी आरम्भ करती है (रोमियो 8:29)। इसका अर्थ यह नहीं है कि हम सभी नासरत के बढ़ई से भ्रमणकारी प्रचारक जैसे बन रहे हैं। इसका अर्थ है कि हमारे भीतर परमेश्वर का पवित्रिकरण का कार्य, पहले से ही चालू सृष्टि के बुलाहट की सीमाओं के भीतर कार्य करता है। पवित्र आत्मा के सामर्थ्य के अन्तर्गत, हम अब पाप के विरुद्ध लड़ते हैं और पवित्रता का पीछा करते हैं। हम अपने कार्य की बुलाहट को प्राप्त करते हैं, और हम अपनी पूरी शक्ति के साथ प्रभु के लिए कार्य करते हैं। पति विवाह की बुलाहट को स्वीकार करता है और अपनी पत्नी को वैसे प्रेम करता है जैसे ख्रीष्ट ने कलीसिया से किया। पत्नी विवाह की अपनी बुलाहट को स्वीकार करती है और अपने पति के अधीन होती है जैसा कि कलीसिया ख्रीष्ट के अधीन होती है। ईश्वरभक्त बच्ची अपने माता-पिता का आज्ञा-पालन करती हैं जैसे प्रभु की करती है। ख्रीष्टीय पवित्र होने की अपनी बुलाहट को स्वीकार करता है, परमेश्वर के अनुग्रह के प्रति कृतज्ञता की प्रतिक्रिया में पवित्रता का पीछा करते हुए। अधिकार रखने वाला ख्रीष्टीय दूसरों पर प्रभुता नहीं करता है। अधिकार के अधीन ख्रीष्टिय आनन्द से स्वयं को अधिकारी को समर्पित करता और आज्ञापालन करता है, यह जानते हुए कि परमेश्वर सब कुछ के पीछे है। इस प्रकार, हमारे जीवन पर परमेश्वर की प्रमुख बुलाहट—कार्य करने की बुलाहट, विवाह के लिए बुलाहट, नैतिकता के लिए बुलाहट, शासन के अधीन रहने के लिए बुलाहट, सुसमाचार की बाहरी बुलाहट और आन्तरिक प्रभावशाली सुसमाचार की बुलाहट—सृष्टि से छुटकारे तक एक साथ कार्य करती हैं संसार में परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करने तथा कलीसिया में यीशु ख्रीष्ट की आराधना के माध्यम से उसकी महिमा को स्थापित करने के लिए।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
जो हॉलैण्ड
जो हॉलैण्ड
रेव्ह. जो हॉलैण्ड प्रेस्बिटेरियन चर्च इन अमेरिका में एक शिक्षक प्राचीन हैं।