अन्तहीन, अथाह, अपार अनुग्रह और तरस - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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अन्तहीन, अथाह, अपार अनुग्रह और तरस

नये नियम में सर्वाधिक और वास्तव में आधारभूत वर्णन यह है वह अर्थात् स्त्री या पुरुष “ख्रीष्ट में” एक जन है। यह वाक्याँश और इसके विभिन्न रूप प्रेरितों की शिक्षाओं में अत्यधिक पाए जाते हैं। और पवित्रशास्त्र हमें ख्रीष्ट के साथ हमारे मिलन को समझने में सहायता करने के लिए संकेतों को प्रदान करता है जैसा कि जॉन ओवेन कहते हैं “वैवाहिक सम्बन्ध” या जैसे कि हम कहेंगे, “विवाह” के रूप में। [पवित्र] आत्मा की सेवकाई और विश्वास के द्वारा, हम ख्रीष्ट के साथ जुड़कर “एक” हो जाते हैं, जिस प्रकार से पुरुष और स्त्री विवाह के बन्धन में “एक तन” हो जाते हैं। यह चित्र पहले से ही पुराने नियम में पाया जाता है (यशायाह 54:5; 61:10; 62:5; यहेजकेल 16:1-22; होशे की पुस्तक) जिसका पूर्तिकरण नये नियम में ख्रीष्ट और उसकी कलीसिया के सम्बन्ध में होता है। ख्रीष्ट अनन्तकाल में इस प्रत्याशा में आनन्दित हुआ, उसने निर्धारित समय में इस सम्बन्ध को एक वास्तविकता बना दिया क्रूस के अपमान, पीड़ा और वेदना को सहने करते हुए। ख्रीष्ट, उसके उद्धार करने वाले अनुग्रह और व्यक्तिगत आकर्षण के साथ हमें सुसमाचार में प्रस्तुत किया गया है। पिता अपने पुत्र के लिए दुल्हन लाता है जिसे उसने उसके लिए तैयार किया है, और दोनों पक्षों से पूछता है क्या वे एक दूसरे को स्वीकार करेंगे — उद्धारकर्ता यदि वह पापियों को अपना बनाना चाहेगा; पापी यदि वे प्रभु को अपना उद्धारकर्ता, पति, और मित्र के रूप में ग्रहण करेंगे।

अपने कई समकालीन लोगों के समान, ओवेन ने ख्रीष्ट और विश्वासी के मध्य आत्मिक एकता और सहभागिता को पुराने नियम की पुस्तक श्रेष्ठगीत में पूर्वाभासित और वर्णित देखा। ख्रीष्ट का ख्रीष्टीय के प्रति आकर्षकपन के विषय में उसकी व्याख्या, प्रितम और प्रिय के स्नेह की अभिव्यक्तियों से अत्यधिक प्रभावित है। यद्यपि उसका विश्लेषण उसके समय के लिए सामान्य थी, आज कुछ ही टिप्पणीकार उनके अर्थप्रकाशन (exegesis) के विवरणों से सहमत होंगे।

ख्रीष्ट, उसके उद्धार करने वाले अनुग्रह और व्यक्तिगत आकर्षण के साथ हमें सुसमाचार में प्रस्तुत किया गया है।

परन्तु ओवेन की विचारधारा में जो सर्वोच्च और आश्चर्यजनक है वह यह है ख्रीष्ट के प्रति गहरा स्नेह, एक ख्रीष्टीय होने का अभिन्न अंग है। ख्रीष्ट एक ऐसा जन है जिसे हमें जानने, उसकी प्रशंसा करने, उससे प्रेम करने की आवश्यकता है। इसलिए ख्रीष्ट के साथ सहभागिता में हमारे और ख्रीष्ट के मध्य एक “पारस्परिक त्याग” या “स्वयं को देेना” पाया जाता है। ख्रीष्ट में “असीमित, अथाह, अपार अनुग्रह और तरस पाया जाता है, ख्रीष्ट के मनुष्य के स्वभाव में “अनुग्रह की पूर्णता” ऐसे अनुपात में है कि ओवेन (आश्चर्य और प्रशंसा के एक आश्चर्यजनक आवेग में) कहते हैं:

यदि सारा संसार (यदि मुझे ऐसा कहने की अनुमति है) सेंतमेंत अनुग्रह, दया, क्षमा को पीने के लिए स्वयं को तैयार कर ले और उद्धार के कुँओं से निरन्तर जल खींचें; यदि वे स्वयं को एक ही प्रतिज्ञा के कुँए से जल खींचने का निश्चय करें, तो एक स्वर्गदूत खड़ा पुकार रहा है, हे मेरे मित्रों! पियो, हाँ बहुतायत के साथ पियो, इतना अनुग्रह और क्षमा लो जितना कि इस पाप के संसार के लिए पर्याप्त हो जाए जो कि तुम में से प्रत्येक में है;”— वे प्रतिज्ञा के अनुग्रह को एक बाल बराबर भी खाली नहीं कर पाएँगे। यदि लाखों जगत भी होते, यह अनुग्रह उनके लिए भी पर्याप्त होता; क्योंकि इसमें एक अनन्त, अथाह झरने से जल आता रहता है।

इस प्रकार, ओवेन के लिए एक ख्रीष्टीय होना होशे 3:3 में यहोवा के वचन की गम्भीरता का अनुभव करना है, मानो कि वे हमसे व्यक्तिगत रीति से बोले गए हों: “तू मेरे साथ बहुत समय तक रहना और वेश्यावृत्ति न करना और न किसी पुरुष के पास जाना। मैं भी तेरे साथ वैसा ही करूँगा”। इसके प्रतिउत्तर में हम अपनी इच्छाएँ ख्रीष्ट के प्रति और उद्धार के मार्ग के प्रति समर्पित करते हैं, जिसे परमेश्वर ने उसमें प्रदान किया है, और कहते हैं:

“हे प्रभु, मैं चाहता तो था कि तुझे और उद्धार को अपनी रीति से प्राप्त करूँ, आँशिक रूप से अपने प्रयासों अर्थात् व्यवस्था के कार्यों के द्वारा; [किन्तु] अब मैं आपकी रीति से आपको तथा आपके उद्धार को प्राप्त करने का इच्छुक हूँ — केवल अनुग्रह के द्वारा: और यद्यपि मैं अपने मन के अनुसार चलता था, फिर भी अब मैं पूर्ण रीति से आपके आत्मा के द्वारा नियन्त्रित होने के लिए स्वयं को सौंपता हूँ, क्योंकि तुझ में मेरी धार्मिकता और बल है, मैं तुझ ही में धर्मी ठहरा और महिमा करता हूँ”; — जिससे कि यह ख्रीष्ट के साथ उसके अनुग्रह की परिपूर्णता के रूप में सहभागिता में दिखाई दे। यह सहभागिता, प्रभु यीशु को उसकी मनोरमता और श्रेष्ठता में ग्रहण करना है। विश्वासियों को इस सहभागिता लिए अपने हृदयों का भरपूरी से उपयोग करना चाहिए। यह पुत्र यीशु ख्रीष्ट के साथ संगति है।

हमारे लिए इस प्रकार के खण्डों को पढ़ना निश्चित रूप से कठिन है — भले ही भाषा पहली बार में विचित्र लगे — हमारे हृदय आनन्द से उल्लसित हो जाते हैं, जब हम इस बात को समझने का प्रयत्न करते हैं कि हमारे विश्वास के द्वारा ऐेसे उद्धारकर्ता के पास आने से हमारे साथ क्या हुआ है। उसके अनुग्रह करने की क्षमता हमारे पाप करने की क्षमता से कहीं बढ़कर है। इस पर मनन करने, ऐसे शुद्ध झरने के जल का स्वाद लेना, निश्चित रूप से ऐसे आनन्द को जानने के समान है जो “अवर्णनीय और महिमा से भरा आनन्द” है (1 पतरस 1:9)।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

सिंक्लेयर फर्गसन
सिंक्लेयर फर्गसन
डॉ. सिनक्लेयर बी. फर्ग्यूसन लिगोनीयर मिनिस्ट्रीज के टीचिंग फेलो, लिगोनीयर मिनिस्ट्रीज के उपाध्यक्ष और रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में सिस्टेमैटिक थियोलॉजी के चांसलर प्रोफेसर हैं। वह कई लिगोनीयर शिक्षण श्रृंखलाओं के लिए प्रमुख शिक्षक हैं, जिनमें यूनियन विद क्राइस्ट शामिल है। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें "द होल क्राइस्ट," "मैच्योरिटी," और "डिवोटेड टू गॉड्स चर्च" शामिल हैं। डॉ. फर्ग्यूसन पॉडकास्ट "थिंग्स अन्सीन" के होस्ट भी हैं।