बच्चों का परमेश्वर को न जानने का भय - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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बच्चों का परमेश्वर को न जानने का भय

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का चौवथा अध्याय है: भय

मोनिका एक ऐसी स्त्री थी जिसे अपने पुत्र के प्राण के लिए डर था। उसके पास अच्छे कारण थे: ऑगस्टीन मोनिका के विश्वास को मूर्खता और निर्बल के रूप में देखता था। उसने उसकी ख्रीष्टीयता को अस्वीकार कर दिया, और वह गैर ख्रीष्टिय दर्शनशास्त्र, हिंसक मनोरंजन, और यौन भोग विलास की ओर फिर गया। फिर भी, आरम्भिक कलीसिया की यह माता रोमी साम्राज्य में अपने पुत्र के पीछे-पीछे जाती रही, यह आशा करते हुए कि अपना प्रभाव बनाए रखे और किसी न किसी तक उसे ख्रीष्ट की ओर ले आए।

मोनिका अकेली नहीं है। अपने बच्चों के लिए भय आदम और हव्वा जितना पुराना है। यह लालन पालन के साथ आता है जिस प्रकार मैराथन दौड़ में जाने से छाले पड़ जाते हैं। हम अपने बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के बारे में चिन्ता करते हैं। और भय बच्चे के साथ बढ़ते जाते हैं: हम चिन्ता करते हैं कि कहीं बच्चे का चलना सीखना माथे पर चोट के साथ समाप्त न हो; हम चिन्ता करते हैं कि कहीं गाड़ी चलाना सीखना अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में समाप्त न हो।

परन्तु यह भय कि एक बच्चा बचाया नहीं गया है हमारा सबसे गहरा भय है। हमारे बच्चे का व्यवहार हमारे भय की पुष्टि कर सकता है और बढ़ा सकता है, और उस समय और अपश्चात्तापी पाप के साथ गहरा कर सकता है। और यह भय एक जटिल भय है। हम न केवल अपने बच्चे के प्राण के लिए भयभीत होते हैं, यद्यपि यह प्राथमिक है। हम उस क्षति के लिए भी भयभीत होते हैं जो वे स्वयं और दूसरे के लिए करेंगे, कि वे ख्रीष्ट और कलीसिया के नाम का अपमान करेंगे, कि कोई भी हमारे दुख को नहीं समझेगा, कि हम अपने बच्चे से अपना सम्पर्क खो रहे हैं जब वह हमारे प्रभाव से बचना चाहता है। हम डरते हैं कि यह परीक्षा जीवन भर बनी रहेगी। शोक में भी, यह भय कि दूसरे लोग हमारे पालन-पोषण या परिवार के विषय में क्या सोचते हैं हमारे हृदयों और मनों को धुन्धला कर सकता है।

ऑगस्टीन के प्रति मोनिका की चिन्ता ने उसे रुला दिया जब वह एक स्थान से दूसरे स्थान रोती हुई गई। प्रार्थनाओं और आँसुओं को वहाँ होना चाहिए, जो अपने बच्चे के प्रति प्रेम और परमेश्वर के समक्ष उनके बढ़ते हुए दोष के लिए दुख से निकलकर आते हैं। परन्तु हमारे आँसू कभी भी सान्त्वना नहीं दे सकते हैं, आत्मविश्वास नहीं दे सकते हैं, या हमारे बच्चों के दोष को नहीं हटा सकते हैं। क्या होगा यदि हम पर्याप्त नहीं रो रहे हैं या त्रुटिपूर्ण कारणों से रो रहे हैं? क्या होगा यदि हम अनुचित बातों पर महत्व देते हुए प्रार्थना कर रहे हैं? माता-पिता होने के नाते हमारे कार्य कभी भी प्रशंसा के योग्य नहीं होते हैं। जैसा कि महान गीत लेखक होरेशियस बोनार ने कहा, हमारी सभी प्रार्थनाएं और आहें और आँसू उनके भयानक भार को सहन नहीं कर सकते हैं।

हमारे बच्चों के प्रति एक ऐसे प्रेम को हस्तक्षेप करना होगा जो हमारे प्रेम से अधिक है। परमेश्वर ने प्रत्येक वाचा के बच्चे को बचाने की प्रतिज्ञा नहीं की है (मत्ती 10:34-36)। परन्तु वह अभी भी वही विश्वासयोग्य, वाचा को बनाए रखने वाला परमेश्वर है जो उसने स्वयं के विषय में अब्राम पर प्रकट किया (उत्पत्ति 17)। हमारा अनुभव परमेश्वर के चरित्र को नहीं बदलता है। हमारे बच्चों द्वारा वाचा की प्रतिज्ञाओं को पूरा करने में विफल होना उनकी विफलता है, परमेश्वर की नहीं। परमेश्वर वही अपरिवर्तनीय स्वर्गीय पिता है जो प्रत्येक उस व्यक्ति को बचाता है जो उसके पास आता है। वह हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है, और अपने छिपे हुए बुद्धि के अनुसार उनका उत्तर देता है।

परन्तु वह इससे बढ़कर करता है। परमेश्वर समझता है कि एक भटका हुए बच्चा क्या होता है। होशे की पुस्तक में, प्रभु कहता है: “जब इस्राएल लड़का ही था, मैंने उस से प्रेम किया। मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया। उन्हें जितना अधिक बुलाया जाता, उतना ही अधिक वे दूर होते जाते” (11:1-2)। परमेश्वर उन लोगों के द्वारा ठुकराए जाने को जानता है जिसकी उसने चिन्ता की और जिनसे उसने प्रेम किया।

अपने भटक रहे लोगों को बचाने के लिए, पिता ने अपने एकलौते पुत्र को भेज दिया―जो मृत्यु तक आज्ञाकारी रहा, यहां तक कि क्रूस की मृत्यु तक भी। आप और मैं कभी भी एक विश्वासयोग्य, प्रेमी बच्चे को ऐसे लोगों के लिए बलिदान नहीं करेंगे जो हमसे घृणा करते हैं। यह मनुष्य के प्रेम की सीमा से परे है। परन्तु यदि हम ख्रीष्ट में हैं, यह हमारा अनुभव है: हम पहिले तो “अलग किए हुए और मन से बैरी थे, और बुरे कामों में लगे हुए थे” (कुलुस्सियों 1:21), अब पुत्र के प्रायश्चित के द्वारा पिता से हमारा मेल हो गया है। वह परमेश्वर जो हमारे पास आया, हमारी परिस्थितियों के बाद भी नहीं बदला है। 

एक भटका हुआ बच्चा विश्वास की एक बड़ी परीक्षा है, कुछ सीमा तक क्योंकि यह स्थिति प्रकट करती है कि हम किस स्तर तक विश्वास से चलते हैं, न कि दृष्टि से। जब हम केवल अपने पथभ्रष्ट बच्चे को देख सकते हैं, और संसार, शरीर, और शैतान सफलता के साथ उस पर कार्य कर रहे होते हैं, तो भय एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। विश्वास के द्वारा जीना इस वास्तविकता को देखता है। यह आत्मिक संकट को देखता है, परन्तु यह इस बात पर ध्यान देता है कि परमेश्वर कौन है। यह ख्रीष्ट की ओर देखता है, जो पिता से कह सकता है, “जिन्हें तू ने मुझे दिया उनमें से मैंने एक को भी नहीं खोया” (यूहन्ना 18:9)। अनुग्रह में होकर, परमेश्वर कई उड़ाऊ लोगों को घर लाता है। ख्रीष्टीय माता-पिता को अपने विश्वास में उस स्थान पर आना चाहिए जहां वे नम्रता से, फिर भी सम्पूर्ण हृदय से अपने प्रभु के इन सबसे कठिन शब्दों को दृढ़ता से पुष्टि कर सकें:

जो मुझ से अधिक अपने माता या पिता से प्रेम करता है, वह मेरे योग्य नहीं। जो मुझ से अधिक अपने पुत्र या पुत्री से प्रेम करता वह मेरे योग्य नहीं; और जो अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे नहीं चलता, वह मेरे योग्य नहीं। (मत्ती 10:37-38)

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
रेबेका वैनडूडेवार्ड
रेबेका वैनडूडेवार्ड
रेबेका वैनडूडेवार्ड लेखक हैं रेफॉर्मेशन विमेन: सिक्सटीन्त सेन्चुरी फिगर्स हू शेप्ड क्रिस्टियैनिटीज़ रीबर्त और बच्चों के लिए बैनर बोर्ड पुस्तक श्रृंखला की लेखिका हैं। वे ग्रान्ड रैपिड्स, मिशिगन में रहती हैं।