दयालुता क्या है?
12 दिसम्बर 2024पवित्रशास्त्र
19 दिसम्बर 2024प्रकाशन
परिचय
परमेश्वर को जानने के लिए उसके द्वारा अपने प्राणियों के प्रति स्वयं-प्रकटीकरण से अधिक आधारभूत कुछ भी नहीं है। यद्यपि वह समझ से परे है, सच्चा और जीवित परमेश्वर सृष्टि और पवित्रशास्त्र दोनों में स्वयं के विभिन्न आयामों को प्रकट करता है। ईश्वरविज्ञानी परमेश्वर के स्व-प्रकटीकरण के इन दो रीतियों को सामान्य या प्राकृतिक प्रकाशन और विशेष या अलौकिक प्रकाशन कहते हैं। सृष्टि में, परमेश्वर अपने अस्तित्व, गुणों और सामर्थ के पहलुओं को प्रकट करता है। पवित्रशास्त्रों में, वह अपने लोगों के उद्धार के लिए अपने अस्तित्व, नाम, गुणों, कार्यों और इच्छा का और अधिक प्रकाशन देता है। सभी विशेष प्रकाशन यीशु ख्रीष्ट के व्यक्ति और उद्धार कार्य पर केन्द्रित हैं। यीशु स्वयं मानवजाति के लिए परमेश्वर का पूर्ण प्रकाशन है। वह अनन्त लोगोस है, जिसने समय की परिपूर्णता में, अपने लिए लोगों को छुड़ाने के लिए अपने द्वारा बनाए गए संसार में प्रवेश किया। पवित्र आत्मा न केवल परमेश्वर के विशेष प्रकाशन का ईश्वरीय अभिकर्ता है, वरन् वही विश्वासियों के हृदयों को प्रकाशित करता है जिससे कि वे उस प्रकाशन को उद्धारकारी रूप में समझ सकें।
व्याख्या
लोगों को परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि परमेश्वर स्वयं को अपने प्राणियों पर प्रकट करे। परन्तु मनुष्य कभी भी परमेश्वर के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता, क्योंकि वह असीमित है और हम सीमित हैं। जैसा कि डॉ. आर.सी. स्प्राेल ने समझाया: “हमारी सीमित समझ में अनन्त विषय नहीं समा सकता; इसलिए परमेश्वर समझ से परे है। यह अवधारणा नियंत्रण और संतुलन की प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करती है और हमें चेतावनी देती है कि कहीं हम यह न सोचें कि हमने परमेश्वर की सभी बातों को पूर्णतः समझ लिया है और हर विवरण में दक्षता प्राप्त कर ली है। हमारी सीमितता सदैव परमेश्वर के विषय में हमारी समझ को सीमित करती है।” फिर भी, परमेश्वर ने हमें यह जानने के लिए बनाया कि वह कौन है और उसने संसार में क्या किया है। परमेश्वर जो कुछ भी प्रकट करता है वह सत्य है, क्योंकि यह स्वयं सत्य के परमेश्वर का प्रकाशन है। परमेश्वर का सहज ज्ञान हमें उसके सामान्य प्रकाशन के माध्यम से मिलता है। प्रेरित पौलुस ने मानवजाति के लिए परमेश्वर के सामान्य प्रकाशन के सार को संक्षेप में प्रस्तुत किया जब उसने लिखा: “परमेश्वर से सम्बन्धित ज्ञान मनुष्यों पर प्रकट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रकट किया है। इसलिए परमेश्वर का प्रकोप मनुष्यों की समस्त अभक्ति और अधार्मिकता पर स्वर्ग से प्रकट होता है, क्योंकि वे सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।” (रोमियों 1:19–20)।
सृष्टि के प्रत्येक भाग में परमेश्वर की महिमा प्रकट होती है। भजनकार ने इसे संक्षेप में इस प्रकार लिखा, “आकाश परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है” (भजन 19:1)। क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को भरता है, इसलिए सभी लोगों के पास परमेश्वर के अस्तित्व, गुणों और सामर्थ्य का एक सहज और अकल्पनीय ज्ञान है। यह सहज ज्ञान ही है जिसे जॉन कैल्विन ने सेंसस डिविनिटैटिस (परमेश्वर की समझ) कहा है। परन्तु, स्वभाव से, पतित मनुष्य उस सत्य को दबाते हैं जिसे परमेश्वर ने सृष्टि में अपने विषय में प्रकट किया है; वे अधर्म में जीते हुए ऐसा करते हैं। इसलिए, परमेश्वर का सामान्य प्रकाशन न्याय के दिन सभी मानवजाति के पास कोई बहाना नहीं छोड़ता है और उन्हें प्रभु की आराधना करने और धन्यवाद देने में उनकी विफलता के लिए दोषी ठहराता है (रोमियों 1:18-32)। इसके अतिरिक्त, कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के उद्धार करने वाले ज्ञान तक उसके उद्धारकर्ता के विशेष प्रकाशन के बिना नहीं पहुँच सकता। यही कारण है कि मनुष्य के उद्धार के लिए पवित्रशास्त्र आवश्यक है, क्योंकि यह आज हमारे पास विशेष प्रकाशन का एकमात्र स्रोत है। वेस्टमिंस्टर विश्वास के अंगीकार का आरम्भिक अनुच्छेद सहायक रूप से समझाता है, “प्रभु को यह भाया कि वह विभिन्न समयों पर, और विभिन्न रीतियों से, स्वयं को प्रकट करें, और अपनी कलीसिया के प्रति अपनी इच्छा की घोषणा करें; और उसके पश्चात, सत्य के उत्तम संरक्षण और प्रचार के लिए, और शरीर की भ्रष्टता, और शैतान और संसार के द्वेष के विरुद्ध कलीसिया की अधिक सुनिश्चित स्थापना और सांत्वना के लिए, उसे पूर्ण रूप से लिखित रूप में समर्पित करें: जो पवित्रशास्त्र को सबसे आवश्यक बनाता है; परमेश्वर द्वारा अपनी इच्छा को अपने लोगों के प्रति प्रकट करने के वे पुरानी रीतियाँ अब समाप्त हो चुकी हैं” (WCF 1.1)।
“विविध रीतियाँ” वे साधन हैं जिनसे परमेश्वर ने स्वयं को छुटकारे के इतिहास में प्रकट किया (जैसे, मौखिक प्रकाशन, लिखित प्रकाशन, स्वप्न, दर्शन, इत्यादि)। यीशु और प्रेरितों के पश्चात विशेष प्रकाशन मिलना समाप्त हो गया, और आज हमारे पास एकमात्र विशेष प्रकाशन पुराने और नए नियम के पवित्रशास्त्र हैं। ईश्वरविज्ञानियों ने सामान्य रूप से पवित्र आत्मा द्वारा पवित्रशास्त्र के ईश्वरीय लेखन को पवित्रशास्त्र की उत्प्रेरणा के रूप में सन्दर्भित किया है। और अधिक विशेष रूप से, प्रोटेस्टेंट और धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञानियों ने उस प्रक्रिया को सन्दर्भित किया है जिसके द्वारा परमेश्वर ने स्वयं को पवित्रशास्त्र में मौखिक पूर्ण उत्प्रेरणा के रूप में प्रकट किया है। मौखिक पूर्ण उत्प्रेरणा का विचार यह है कि परमेश्वर ने अपने विशेष प्रकाशन के लेखन को मानवीय लेखकों द्वारा उनसे सम्बन्धित ऐतिहासिक सन्दर्भों में इस प्रकार से निर्देशित किया है कि पुराने और नए नियम के पवित्रशास्त्रों में एक भी शब्द ऐसा नहीं है जो ईश्वरीय उत्प्रेरणा द्वारा नहीं दिया गया हो। इसलिए, प्रत्येक शब्द में उस परमेश्वर का पूरा ईश्वरीय अधिकार होता है जिसने उसे साँस दी। बाइबल परमेश्वर का उत्प्रेरित वचन—विशेष प्रकाशन का एकमात्र स्रोत है। जैसा कि बाइबल की अचूकता पर शिकागो वक्तव्य पुष्टि करता है, “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र और उसके सभी भाग, मूल के शब्दों तक, परमेश्वरीय उत्प्रेरणा द्वारा दिए गए थे।” प्रेरणा के अतिरिक्त, ईश्वरविज्ञानी पवित्रशास्त्र में परमेश्वर के प्रकाशन की प्रकृति को समझाने के लिए अन्य महत्वपूर्ण शब्दों का उपयोग करते हैं। इन शब्दों में पवित्रशास्त्र की त्रुटिहीनता और अचूकता सम्मिलित हैं। त्रुटिहीनता हमें बताती है कि बाइबल कभी भी त्रुटि नहीं सिखाती है, और अचूकता का अर्थ है कि यह त्रुटि नहीं सिखा सकती है।
पवित्रशास्त्र में परमेश्वर का प्रकाशन साहित्यिक शैलियों की विविधता में होता है। वह गद्य, कविता, कानूनी संहिताओं, बुद्धि, नबूवत, ऐतिहासिक वृतान्तों, शिक्षा देने वाले पत्रों और भेदसूचक दर्शनों में अपने वचन को प्रकट करता है। पवित्रशास्त्र में परमेश्वर के प्रकाशन में प्रगति है। वह क्रमिक रूप से प्रकट होने वाले वाचा के युगों में स्वयं को प्रकट करता है। उसने नबियों के माध्यम से अपने वचन को क्रमिक रूप से प्रकट किया। पुराने नियम के नबियों ने परमेश्वर के न्याय और उद्धार की घोषणा की और नबूबत की। पुराने नियम के युग में भविष्यसूचक और ऐतिहासिक न्याय और उद्धार ने ख्रीष्ट के कष्टों और उसके पश्चात् की महिमाओं का पूर्वाभास कराया। जब यीशु समय की परिपूर्णता में आया, तो उसने अपने व्यक्तित्व और कार्य में पुराने नियम के हर तैयारी और पूर्वानुमान सम्बन्धी आयाम को पूरा किया। यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान का सन्देश चुने हुए लोगों के उद्धार के लिए विशेष प्रकाशन का केन्द्र है। नये वाचा के युग में, परमेश्वर ने सुसमाचार के सेवकों को इस प्रकाशन के सन्देशवाहक होने के लिए नियुक्त किया है, जिनके सुसमाचार के प्रचार के द्वारा वह विश्वास करने वालों को बचाने के लिए प्रसन्न होता है (1 कुरिन्थियों 1:21)।
प्रभु यीशु स्वयं, एक ही समय में, परमेश्वर के सामान्य और विशेष प्रकाशन दोनों हैं। वे देह में प्रकट परमेश्वर हैं। प्रेरित यूहन्ना ने इसे स्पष्ट रूप से कहा है जब उन्होंने लिखा, “वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच में निवास किया” (यूहन्ना 1:14)। यीशु विशेष प्रकाशन हैं क्योंकि वह परमेश्वर का जीवित वचन (लोगोस) है। वह सामान्य प्रकाशन का भाग है क्योंकि वह वास्तव में मनुष्य है। सुसमाचार के प्रेरितीय प्रचार में ख्रीष्ट और उसके क्रूस पर चढ़ाये जाने के प्रत्यक्षदर्शी विवरण सम्मिलित हैं (1 यूहन्ना 1:1–3; 2 पतरस 1:16–20)।
क्योंकि पवित्र आत्मा पवित्रशास्त्र का ईश्वरीय लेखक है, इसलिए वह एक ऐसे अभिकर्ता के रूप में कार्य करता है जिसके द्वारा हम उसके द्वारा प्रकट की गई बातों की सही समझ तक पहुँच सकते हैं। आत्मा के प्रकाशित करने वाले कार्य के अतिरिक्त, लोग बाइबल में परमेश्वर के प्रकाशन का उद्धार देने वाले समझ तक नहीं पहुँच सकते थे।
उद्धरण
ईश्वरविज्ञानियों ने परमेश्वर के वचनों को—जो पहले बोले गए और बाद में लिखे गए—उसका विशेष प्रकाशन कहा है, जबकि उन्होंने उसके सृष्टि और ईश्वरीय प्रावधान के कार्यों को उसका सामान्य प्रकाशन कहा है। सामान्य प्रकाशन वैसे सामान्य है (वे ईश्वरविज्ञानी जानते हैं कि वे किस विषय में बात कर रहे हैं), जबकि विशेष प्रकाशन बहुत अधिक विशिष्ट, विस्तृत और व्यापक है। आज, सामान्य प्रकाशन प्रकृति में हमारे चारों ओर है, जबकि हमारे पास बाइबल में विशेष प्रकाशन है। विशेष प्रकाशन परमेश्वर के लोगों को सामान्य प्रकाशन में उसके चरित्र के विषय में प्रकट की गई प्रत्येक बात और उससे भी अधिक बहुत कुछ बताता है।
डब्ल्यू. रॉबर्ट गॉडफ्रे
“सामान्य प्रकाशन”
टेबलटॉक पत्रिका
परमेश्वर का एक रहस्यमय आयाम है जिसे हम नहीं जानते। परन्तु, हम किसी छिपे हुए परमेश्वर की खोज करने हेतु अन्धकार में नहीं छोड़ दिया गया है। परमेश्वर ने भी स्वयं को प्रकट किया है, और यह मसीही विश्वास का मूल है। मसीहियत एक प्रकट किया गया धर्म है। सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने स्वयं को प्रकृति के गौरवशाली रंगमंच में स्पष्ट रूप से प्रकट किया है। इसे हम ‘प्राकृतिक प्रकाशन’ कहते हैं। परमेश्वर ने स्वयं को मौखिक रूप से भी प्रकट किया है। उसने बातें की हैं, और हमारे पास बाइबल में उसका वचन है। यहाँ हम विशेष प्रकाशन के विषय में बात कर रहे हैं — वह जानकारी जो परमेश्वर हमें देता है जिसका हम स्वयं कभी पता नहीं लगा सकते
आर.सी. स्प्रोल
“परमेश्वरीय अबोधगम्यता”
टेबलटॉक पत्रिका
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।