एल्डरों की बहुलता का महत्व - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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एल्डरों की बहुलता का महत्व

मिलान में रहते हुए, मुझे स्फोर्ज़ा दुर्ग (Sforza Castle) के चारों ओर चलना अच्छा लगता है। यह दुर्ग पन्द्रहवीं शताब्दी में बनाया गया था, और यह सैकड़ों वर्षों के लिए यूरोप के सबसे बड़े गढ़ों में से एक था। उसकी विशाल दीवारें, जो सौ फुट से भी ऊँची हैं, बाहरी परिखा (moat) के ऊपर ईंटे की गगनचुम्बी सुनामी की जैसी हैं, जिससे कि वह दुर्ग लगभग अभेद्य बन गया था। एक ऐसा समय था जब ये दीवारें पूरे नगर के चारों ओर थीं, और नागरिकों को आक्रमणों से बचाती थी और उन्हें सुरक्षा की अनुभूति देती थीं। मध्यकालीन जगत में, बिना दीवारों का नगर लगभग अकल्पनीय था। यह असुरक्षित होता और टिक नहीं पाता था।

किसी प्राचीन नगर की विशाल दीवारें कलीसिया में एल्डरों (प्राचीनों) की बहुलता (plurality) की आवश्यकता का चित्रण प्रस्तुत करती हैं। जिस प्रकार दुर्ग की दीवारें और दृढ़ फाटक नगर की रक्षा करने में सहायता करती थी जिससे कि नागरिक जीवन सम्पन्न हो, उसी प्रकार कलीसिया में विश्वासयोग्य अध्यक्षों की बहुलता परमेश्वर के राज्य में जीवन को बनाए रखने के लिए सहायता करती है। वह कलीसिया असुरक्षा की स्थिति में है जिस में वरिष्ठ पास्टर अकेला एलडर है या वह कलीसिया के अगुवों से अधिक अधिकार रखता है क्योंकि वह कलीसिया सामर्थ्य, व्यक्तित्व, और द्वन्द्व के खतरों में पड़ जाती है। पिछले कुछ वर्षों में कई प्रभावपूर्ण सुसमाचारवादी (evangelical) कलीसियाओं को मात्र देखकर ही यह पता लगाया जा सकता है कि यह बात सत्य है। अधिकतर प्रकरणों में, आखिरकार गिरावट का कारण यह था कि एल्डरों के समूह में अधिकार साझा नहीं किया गया था।

कम से कम चार बाइबलीय और व्यावहारिक कारण हैं कि एल्डरों की बहुलता आवश्यक क्यों हैं? पहला, यह कलीसिया को अधिक जवाबदेही प्रदान करता है। बाइबल के अनुसार, विश्वासी अपने सिद्धान्त और जीवन के लिए जवाबदेही हैं। उनके विश्वास और जीवन को पवित्रशास्त्र के अनुसार होना चाहिए। स्थानीय कलीसिया के एल्डरों के पास यह गम्भीर उत्तरदायित्व है कि वे मण्डली के सदस्यों को जवाबदेही रखें। इब्रानियों का लेखक कहता है, “अपने अगुवों की आज्ञा मानो और उनके अधीन रहो, क्योंकि वे तुम्हारे प्राणों की यह जानकर चौकसी करते हैं, कि उन्हें उसका लेखा देना है। उन्हें यह कार्य आनन्द के साथ करने दो, न कि आहें भरते हुए, क्योंकि इस से तुम्हें कोई लाभ न होगा” (इब्रानियों 13:17)। ध्यान दें कि यह पद अगुवों के विषय में बहुवचन में बात करता है। मसीही केवल एक अगुवे के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। यह साझा की गयी जवाबदेही झुण्ड को आत्मिक शोषण और दुर्व्यवहार से सुरक्षित रखेगी, जो कि उस स्थिति में अधिक सरलता से हो सकता है जहाँ सब लोग एक पुरुष के प्रति जवाबदेह हैं।

इसके साथ, स्वयं पास्टर भी एल्डरों के प्रति जवाबदेह है। कलीसिया के प्रशासन के लिए बाइबलीय ढाँचा एक वर्गीकृत प्रणाली नहीं है जिसमें वरिष्ट पास्टर कलीसिया के एल्डरों के ऊपर एक बिशप है। नए नियम में “बिशप” (जिसे “अध्यक्ष” भी अनुवाद किया जाता है) और “एल्डर” (जिसे “प्रिसबुतिर” भी अनुवाद किया जाता है) समानार्थी शब्द हैं। उदाहरण के लिए, जब पौलुस तीतुस को निर्देश देता है कि “प्रत्येक नगर में प्राचीनों को नियुक्त करे” (तीतुस 1:5), तो वह इन प्राचीनों की योग्यताओँ का वर्णन उनको अध्यक्ष कहते हुए करता है: “क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना आवश्यक है” (तीतुस 1:7)। वह एक ही कार्यभार के लिए दो शब्दों को उपयोग करता है। उसी रीति से इफिसुस की कलीसिया के अगुवों को विदाई देते हुए पौलुस ने “कलीसिया के प्राचीनों को अपने पास बुलवाया” (प्रेरितों के काम 20:17)। उसने फिर उन्हें परमेश्वर की कलीसिया के “अध्यक्ष” या “बिशप” कहकर सम्बोधित किया (प्रेरितों के काम 20:28)। इन शब्दों को पवित्रशास्त्र में कभी भी अधिकार के विभिन्न स्तरों का या एक अगुवे द्वारा कलीसिया को संचालित करने का वर्णन करने के लिए उपयोग नहीं किया जाता है। इसका अर्थ है कि पास्टर अन्य एल्डरों के साथ मण्डली को संचालित करता है, न कि उनके ऊपर। वह स्वयं एक ऐसा एल्डर है जो “प्रचार और शिक्षा-कार्य में” परिश्रम करता है (1 तीमुथियुस 5:17)। यद्यपि उसके पास परमेश्वर के वचन को ठीक-ठीक उपयोग में लाने के लिए बाइबलीय प्रशिक्षण है, उसके मत अन्य एल्डरों के मत से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है; न ही उसके पास यह अधिकार है कि वह समूह के निर्णय को रोक सकता है। उसे अन्य एल्डरों के साथ तालमेल करते हुए कार्य करना चाहिए, अर्थात् उनकी अगुवाई का आदर करना चाहिए और उनकी संयुक्त बुद्धि के अधीन होना चाहिए। कलीसिया में इस बात के लिए स्थान नहीं है कि एक अगुवा दूसरे पर प्रभुता जताए। कलीसिया का एकमात्र “स्वामी” प्रभु यीशु ख्रीष्ट है। केवल वही है जो देह का सिर है (इफिसियों 1:20-22)।

दूसरा, एल्डरों की बहुलता कलीसिया को उसके कार्य में सफल होने की सम्भावना को बढ़ाती है। स्वर्ग में जाने से पूर्व, यीशु ने कलीसिया को निर्देश दिया:

स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाओ और सब जातियों के लोगों को चेले बनाओ तथा उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और जो जो आज्ञाएँ मैंने तुम्हें दी हैं उनका पालन करना सिखाओ। और देखो, मैं युग के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ।” (मत्ती 28:18-20)

हमारे प्रभु के अनुसार, कलीसिया के कार्य का लक्ष्य चेले बनाना है। कलीसिया के कार्य का साधन स्थानीय कलीसिया में वचन और कलीसियाई विधियों की सेवकाई है। ख्रीष्ट ने इसी रीति से अपने छुड़ाए गए लोगों को एकत्रित करने, उनकी आराधना ग्रहण करने, उनके विश्वास को बढ़ाने, और प्रेम में स्थापित और स्थिर समुदाय में जोड़ने का निर्णय लिया है (रोमियों 12; इफिसियों 4; फिलिप्पियों 1:27-2:11)।

परन्तु स्थानीय कलीसिया में एल्डरों की बहुलता के बिना, इनमें से कुछ भी सम्भव नहीं है। वचन की सेवकाई केवल वचन के सेवक पर ही निर्भर नहीं होती है। प्रेरितों ने मण्डली की देखरेख के लिए एल्डरों को (प्रेरितों के काम 14:21-23; फिलिप्पियों 1:1; याकूब 5:14 देखें) दयालुता से देह की सेवा करने के लिए डीकनों को नियुक्त किया (प्रेरितों के काम 6:1-7)। जब तक ये पदाधिकारी अपने परमेश्वर-प्रदत्त भूमिकाओं को न निभाएँ, पास्टर प्रार्थना, प्रचार, और शिक्षा देने के कार्य के प्रति पूर्ण रीति से समर्पित नहीं रह पाएगा। उस स्थिति में वह अवश्य ही प्रशासनीय कार्यों में फस जाएगा और उन कार्यों में लग जाएगा जिन्हें अन्य एल्डरों को और डीकनों को करना चाहिए। इस से अधिक हानिकारक बात यह है कि वह कलीसिया के कार्य को अपने स्वयं के दर्शन के अनुसार परिभाषित करने लग सकता है और सेवकाई को अपने वरदान और व्यक्तित्व पर निर्मित कर सकता है। जब ऐसा होता है, तो इसके आत्मिक परिणाम विनाशकारी होते हैं। परन्तु, जब किसी कलीसिया में विश्वासयोग्य पदाधिकारियों की बहुलता होगी, तो इसके परिणाम बहुत भले होते हैं: “परमेश्वर का वचन फैलता गया और चेलों की संख्या अत्यधिक बढ़ती गई” (प्रेरितों के काम 6:7)।

तीसरा, एल्डरों की बहुलता कलीसिया को सत्य को बनाए रखने में अधिक सहायता करती है। इफिसुस के एल्डरों से बात करते हुए पौलुस ने कहा:

अपनी और अपने पूरे झुण्ड की रखवाली करो जिसे मध्य पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है, कि तुम परमेश्वर की उस कलीसिया की रखवाली करो जिसे उसने अपने ही लहू से खरीदा है। मैं जानता हूँ कि मेरे जाने के बाद फाड़ने वाले भेड़िये तुम्हारे मध्य आएँगे, और झुण्ड को न छोड़ेंगे . . . चेलों को अपने पीछे खींच लेने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी बातें करेंगे। इसलिए जागते रहो। (प्रेरितों के काम 20:28-31)।

सभी एल्डरों के पास स्थानीय कलीसिया में वचन और कलीसियाई विधियों की शुद्धता को बनाए रखने का उत्तरदायित्व है। उन्हें सतर्कता से सुसमाचार की रक्षा करना चाहिए जिससे कि प्रत्येक पीढ़ी उसे पुनः प्राप्त कर सके। हम एक ऐसे समय में रहते हैं जब लोग “खरी शिक्षा को सहन नहीं [करते हैं] परन्तु अपने कानों की खुजलाहट के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार ही अपने लिए बहुत से गुरु बटोर लेंगे” (2 तीमुथियुस 4:3)। स्थानीय कलीसिया में एल्डरों का समूह यह सुनिश्चित करने में सहायती करता है कि मण्डली सैद्धान्तिक रीति से बनी रहे और किसी एक अगुवे के ईश्वरविज्ञानी झुकाव या व्यक्तिगत विचारों द्वारा भटकाई न जाए। जैसे कि नीतिवचन कहता है, “सलाहकारों की बहुतायत से विजय निश्चित है” (नीतिवचन 11:14)।

चौथा, एल्डरों की बहुलता ख्रीष्ट के झुण्ड को अधिक पास्टरीय देखभाल प्रदान करती है। पुराने नियम में परमेश्वर के लोगों की देखभाल करने के लिए अनेक प्राचीनों को नियुक्त किया गया था। मूसा के पास जो आत्मा था प्रभु ने उसका एक भाग सत्तर प्राचीनों को दिया जिससे के वे उसका बोझ उठाने में सहायता करें (गिनती 11:16-17)। उसी रीति से, नई वाचा की कलीसिया में पास्टरीय देखभाल करने में एल्डर लोग सेवक की सहायता करते हैं। पतरस लिखता है: “इसलिए मैं तुम्हारे मध्य प्राचीनों को प्रोत्साहित करता हूँ कि अपने मध्य स्थित परमेश्वर के झुण्ड की रखवाली करो” (1 पतरस 5:1-2)। एल्डरगण इसे अनेक रीतियों से करते हैं। वे परिवारों से मिलने और अनुशासन के द्वारा झुण्ड की रखवाली करते हैं। वे कलीसिया के जवानों को शिक्षा देने में सहायता करते हैं और सुसमाचार प्रचार और प्रसार को सक्रिय रीति से बढ़ावा देते हैं। वे बाइबलीय सम्मत्ति देते हैं और अस्वस्थ और मरने वाले लोगों की सेवा करने में सहायता करते हैं। संक्षेप में, वे यह सुनिश्चित करते हैं कि झुण्ड स्वस्थ है और कि कलीसिया में सब कुछ उचित रीति से और सही क्रम से हो रहा है। किसी एक व्यक्ति के पास कलीसिया का निर्माण करने के लिए सभी वरदान नहीं हैं। एल्डरों की बहुलता मण्डली को विभिन्न वरदान युक्त लोगों को कलीसियाई अगुवाई में लाने के द्वारा अधिक पास्टरीय देखभाल प्रदान करती है जिससे कि वे पास्टर के गुणों की सहायता कर सकें और उसके निर्बलताओं की पूर्ति कर सकें।

मैं स्वयं एक पास्टर होने के नाते, मैं उन अनेक ईश्वरभक्त एल्डरों के लिए प्रभु के प्रति आभारी हूँ जिनके साथ मैंने अमरीका और इटली दोनों स्थानों में बीस वर्षों तक सेवा की है। मैं उन रीतियों के लिए धन्यवादी हूँ जिनमें होकर उन्होंने मुझे मेरे सिद्धान्त और आचरण के लिए मुझे जवाबदेही रखा, जिसके कारण जब मुझे आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने साहस करके मुझसे सुधार की बातें कहीं। मैं कलीसिया के कार्य के प्रति उनके समर्पण के लिए धन्यवादी हूँ, जिसमें होकर वे सर्वदा मुझे स्मरण दिलाते हैं कि अनुग्रह के साधारण साधन के द्वारा ख्रीष्ट के प्रचार करने से ही कलीसिया का कार्य पूरा होगा। मैं सुसमाचार और धर्मसुधारवादी विश्वास वचन और अंगीकार कथनों के प्रति उनके समर्पण के लिए धन्यवादी हूँ, जिसके कारण वे मुझे सहायता करते हैं कि मैं ईश्वरविज्ञानीय रीति से सही मार्ग पर रहूँ और यीशु से ध्यान न भटका दूँ। मैं झुण्ड की पास्टरीय देखभाल और आत्मिक भलाई के लिए अपने वरदानों को उपयोग करने की इच्छा के लिए धन्यवादी हूँ, जिसके द्वारा वे ख्रीष्ट के समान दास-अगुवाई का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। पवित्रशास्त्र की प्रतिज्ञा के अनुसार, जब प्रधान रखवाला आएगा, वे “अजर महिमा का मुकुट पाएँगे” (1 पतरस 5:4)। उस दिन तक, राजा यीशु विश्वासयोग्य एल्डरों की बहुलता के माध्यम से प्रत्येक स्थानीय कलीसिया में अपने राज्य की दीवारों को और दृढ़ करता रहे।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

माइकल जी. ब्राउन
माइकल जी. ब्राउन
रेव्ह. माइकल जी. ब्राउन इटली के मिलान में किएसा रिफॉर्माटा फिलाडेल्फिया कलीसिया के पास्टर और यू.आर.सी.एन.ए के मिशनरी हैं। उन्होंने कई पुस्तकों को लिखा है, जिनमें सेकरेड बॉन्ड: कवनेन्ट थियोलजी एक्सप्लोर्ड, क्राइस्ट ऐण्ड द कन्डिशन, और लेक्टियो कन्टिन्युआ शृंखला में 2 तीमुथियुस की एक टीका सम्मिलित हैं।