पवित्रशास्त्र से प्रेम करना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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पवित्रशास्त्र से प्रेम करना

लोग मुझे मोहित करते हैं। जब भी मैं नए लोगों से मिलता हूँ, चाहे वह मेरे समुदाय में हो या यात्रा करते समय, तो मैं चाहता हूँ कि मैं लोगों के विषय में अधिक से अधिक जान सकूँ। चाहे वे वाहन चालक हों या खाना परोसने वाले, परचून भण्डार के कर्मचारी या कलीसिया के आगन्तुक, मुझे लोगों से उनकी कहानियाँ सुनना अच्छा लगता है, कि वे कहाँ से हैं, उनके परिवार कहाँ से हैं, और उनकी आत्मिक यात्राएँ कैसी रही हैं। इसका एक कारण कि मुझे केन्द्रीय फ्लॉरिडा की संस्कृति और समुदाय से इतना प्रेम क्यों है, वह यह है कि हमारे समुदाय और हमारी कलीसिया में विश्व के प्रत्येक स्थान से लोग हैं। मुझे विशेषकर अच्छा लगता है हमारी कलीसिया के सदस्यों के साथ बैठकर सुनना कि उनके जीवन में परमेश्वर ने कैसे अनुग्रह दिखाया है। और जबकि पास्टरीय सेवकाई बहुत कठिन हो सकती है, स्थानीय कलीसिया में सेवकाई का एक महान् आनन्द है परमेश्वर के लोगों को जानना और सीखना कि परमेश्वर ने उनके जीवन में क्या-क्या किया है।

जब हम लोगों के विषय में सीखते हैं, तो हम और अधिक गहराई से उनकी सराहना करने लगते हैं। जब हम जानते हैं कि लोग कहाँ से हैं और हमारे साथ बैठने से पहले वे कहाँ से होकर आएँ हैं, हम स्वाभाविक रीति उनसे अधिक प्रेम करने लगते हैं और उनकी चिन्ता करने लगते हैं। यह केवल लोगों के विषय में ही सत्य नहीं है, परन्तु जीवन में किसी भी वस्तु के विषय में जिसकी हम चिन्ता करते हैं, जैसे कि कोई पुस्तक, नगर, ऐतिहासिक स्थल, चित्र, या संस्था। जिन बातों में हमारी रुचि है, हम उनके विषय में और अधिक सीखना चाहते हैं, जिसमें उनका इतिहास और पृष्ठभूमि सम्मिलित है, और अधिकाँश प्रकरणों में, हम जितना अधिक सीखते हैं, उतना ही हम उस वस्तु को अधिक सराहते हैं।

क्योंकि हम पवित्रशास्त्र से प्रेम करते हैं, हम बाइबलीय स्थल को पढ़कर उसके विषय में भी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के विषय में प्रश्न अवश्य पूछते हैं। और हम जितना अधिक अध्ययन करते हैं, उतना ही अधिक हम पवित्रशास्त्र के सामाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भ के विषय में जानना चाहते हैं। हम बाइबलीय और प्राचीन इतिहास, भूगोल, और पुरातत्व विज्ञान के विषय में वह सब कुछ सीखना चाहते हैं जो हम सीख सकते हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि हम बाइबल की अद्वितीयता को घटाना चाहते हैं। हम जानते हैं कि बाइबल परमेश्वर द्वारा उत्प्रेरित वचन है और सब विश्वास और जीवन के लिए हमारा एकमात्र अचूक अधिकार है। हम जानते हैं कि केवल पवित्रशास्त्र ही त्रुटिहीन है। फिर भी, कई प्रकरणों में, हम पूर्ण रीति से नहीं समझ सकते हैं कि पवित्रशास्त्र के किसी खण्ड में क्या हो रहा है जब तक हम उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में न जाएँ। मूल रीति से हम केवल इसलिए नहीं अध्ययन करते हैं कि हम पवित्रशास्त्र के ज्ञान में बढ़ें परन्तु इसलिए कि हम परमेश्वर के उत्प्रेरित वचन के लिए प्रेम में बढ़ें जब हम परमेश्वर की कहानी को समझते हैं और उस महिमामय रीति को समझते हैं जिसमें होकर परमेश्वर ने अपनी योजना के अनुसार और अपनी महिमा के लिए विश्व के इतिहास को आयोजित किया है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

बर्क पार्सन्स
बर्क पार्सन्स
डॉ. बर्क पार्सन्स टेबलटॉक पत्रिका के सम्पादक हैं और सैनफोर्ड फ्ला. में सेंट ऐंड्रूज़ चैपल के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा करते हैं। वे अश्योर्ड बाई गॉड : लिविंग इन द फुलनेस ऑफ गॉड्स ग्रेस के सम्पादक हैं। वे ट्विटर पर हैं @BurkParsons.