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25 सितम्बर 2024क्षमा न किए जाने वाला पाप
यूहन्ना 6 में, यीशु के शिष्य टिप्पणी करते हैं कि उनके शब्द “कठोर वचन” थे। पास्टरों से प्रायः पूछा जाता है, “क्षमा न किए जाने वाला पाप क्या है?” इस प्रश्न पर यीशु के उत्तर को स्मरण करें:
“मनुष्य का हर पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी। और जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा उसका यह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरोध में कुछ बोलेगा क्षमा नहीं किया जाऐगा।” (मत्ती 12:31-32)
क्षमा के विषय में यह एक अद्भुत घोषणा है। यह कितना अचम्भि करने वाला कथन है। परमेश्वर, यह राजसी, गौरवशाली प्राणी, जिसके पास अधिकार और सामर्थ्य है, जिसका राज्य सभी पीढ़ियों तक बना रहता है, पापियों को क्षमा करता है। क्रूस से भी, हम यीशु को हमारे लिए पिता से विनती करते हुए सुनते हैं, “उन्हें क्षमा कर, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं” (लूका 23:34)।
फिर भी यहाँ एक विरोधाभास प्रतीत होता है: “मनुष्य का हर पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी।” हम इस असत्याभास (paradox) को कैसे समझें? डी.ए.कार्सन सुझाव देते हैं कि हम पहले कथन को बाहरी रूप से लें। ऐसा कोई भी पाप नहीं है जिसे क्षमा न किया जा सके। यह वही है जो हम पवित्रशास्त्र में देखते हैं। दाऊद के व्यभिचार, हत्या, धोखे और पाखण्ड के विषय में सोचें। फिर भी उसे क्षमा कर दिया जाता है। पतरस तीन बार ख्रीष्ट को नकारता है। पौलुस कलीसिया को सताता है। 1 कुरिन्थियों 6 में वर्णित यौन अपराधियों, लालची, मूर्तिपूजकों, बदनाम करने वालों, चोरों, पियक्कड़ों और ठगों पर विचार करें। उन्हें ख्रीष्ट पर विश्वास के माध्यम से क्षमा किया जाता है। बाहरी रीति से, ऐसा कोई भी पाप नहीं है जिसे क्षमा नहीं किया जा सकता है।
आन्तरिक रीति से, यदि आप पवित्र आत्मा को दूर करते हैं, यदि आप अपने पाप को स्वीकार करने से मना करते हैं, यदि आप स्वयं को ख्रीष्ट की दया पर नहीं डालते हैं, तो उस पाप को क्षमा नहीं किया जा सकता है। कोई अन्य योजना नहीं है जिसके अन्तर्गत क्षमा प्रदान की जा सकती है। यदि आप सत्य सुनते हैं और पवित्र आत्मा आपके लिए सत्य को प्रमाणित करता है और आप अपने हृदय को कठोर बनाते हैं, पश्चाताप करने से मना करते हैं, तो कोई क्षमा नहीं है। ऐसा कोई वैकल्पिक ढंग नहीं है जिसके द्वारा क्षमा प्राप्त की जा सके।
बाइबल सिखाती है कि पवित्र आत्मा सभी प्रतिरोधों पर विजय प्राप्त करता है और परमेश्वर के लोगों को पश्चाताप करने और विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है। इस अप्रतिरोध्य अनुग्रह के बिना, कोई भी कभी भी ख्रीष्ट के पास नहीं आता। यह भी सच है कि पाप की सामान्य कायलता का विरोध किया जा सकता है। रोमियों 1 के शब्दों में, सत्य को दबाया जा सकता है। हम आत्मा की कायलता को दूर कर सकते हैं। सत्य को अनदेखा किया जा सकता है, जिससे कि व्यक्ति को हानि होगी। मत्ती 12 में यही ख्रीष्ट की चेतावनी है।
यहाँ एक प्रतिज्ञा और एक चेतावनी है। प्रतिज्ञा यह है कि सभी प्रकार के पापों को क्षमा किया जाएगा। चेतावनी यह है कि कभी भी पाप के प्रति कायलता का विरोध न करें। इस खण्ड का सुभ सन्देश यह है कि कोई भी व्यक्ति क्षमा किए जाने के लिए अयोग्य नहीं है, परन्तु यदि हम परमेश्वर के वचन के प्रति अपने हृदयों को कठोर कर लेते हैं और पवित्र आत्मा के कार्य को दूर कर देते हैं, तो हम अपश्चातापी बन सकते हैं। यशायाह 55 के शब्दों में, “जब तक यहोवा मिल सकता है, तब तक उसकी खोज में रहो” (यशायाह 55:6)।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।