राज्य के जीवन के लिए नियमावली: पहाड़ी उपदेश (मार्च 2023)
1 अक्टूबर 2024राज्य के नागरिकों का चरित्र
4 अक्टूबर 2024राज्य का मार्ग
मुझे स्मरण नहीं है कि मैंने पहली बार यह दावा कब सुना था कि “कलीसिया पाखण्डियों से भरी है,” परन्तु मुझे स्वयं से यह पूछना अवश्य स्मरण है: क्या यह सच है? क्या कलीसिया वास्तव में पाखण्डियों से भरी हुई है? वर्षों से जैसा कि मैंने इस आरोप पर विचार किया है, और इस बात पर भी विचार किया है कि कितनी बार कुछ मसीही इस आरोप को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करते हैं, और मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि यह आरोप न केवल झूठा है परन्तु पूरी रीति से अनुपयोगी और अनुचित है।
यह बात निश्चित रूप से सत्य है कि कलीसिया में ऐसे लोग हैं जो स्वयं को मसीही कहते हैं, जो वास्तव में, सच्चे मसीही नहीं हैं। और जबकि यह वास्तव में सच है कि हम कभी-कभी पाखण्डी रूप से कार्य कर सकते हैं, हम परिभाषा के अनुसार पाखण्डी नहीं हैं। एक मसीही और एक पाखण्डी के मध्य में कई भिन्नताएँ पाई जाती हैं। एक पाखण्डी एक अभिनेता है, तथा एक दो-मुँहा ढोंगी है। एक पाखण्डी ऐसा व्यक्ति होता है जो वह होने का दिखावा करता है जो वह कभी नहीं बनना चाहता। मसीही पाखण्डी नहीं हैं—हम पश्चातापी पापी हैं। जब हम पाखण्डियों के जैसे व्यवहार भी करते हैं, हम पवित्र आत्मा के द्वारा कायल किए जाते हैं, हम अपने पाप को अंगीकार करते हैं और पश्चाताप करते हैं और प्रयास करते हैं कि हम फिर कभी पाखण्डी रूप से कार्य न करें, शब्द न बोलें या विचार न सोचें। दूसरी ओर, पाखण्डी कुछ ऐसा होने का दिखावा करते हैं जो वे हैं नहीं, यहाँ तक कि अपने पाखण्ड के लिए खेदित होने का भी दिखावा करते हैं। मसीही के रूप में, हम जानते हैं कि हम पापी हैं, परन्तु पाखण्डी दिखावा करते हैं कि वे नहीं हैं। पाखण्डी और मसीही दोनों पाप करते हैं, परन्तु केवल पाखण्डी ही दूसरों को इसे जानने से रोकने का प्रयास करते हैं। पाखण्डी केवल उन लोगों से प्रेम करते हैं जो उनसे प्रेम करते हैं, परन्तु मसीही उनसे भी प्रेम करते हैं जो उनसे बैर करते हैं। सच्चे मसीही प्रभु के दिन की उपासना की प्रतिक्षा नहीं कर सकते, परन्तु पाखण्डी लोग घर पर रहने का कोई न कोई भी बहाना ढूँढ़ते हैं। एक पाखण्डी पूछता है, मैं कितना कम योगदान कर सकता हूँ और फिर भी लोग मुझे ध्यान दें? एक मसीही पूछता है, मैं बिना दिखे कितना अधिक योगदान कर सकता हूँ? पाखण्डी मुख्य रूप से उन बातों से प्रेम करते हैं जो परमेश्वर उनके लिए कर सकता है, परन्तु मसीही उस बात के लिए परमेश्वर से प्रेम करते हैं जो वह है। मसीही के रूप में, हम किसी भी पाखण्ड से घृणा करते हैं जो हमारे ह्रदय, उद्देश्यों या कार्यों में दुबका बैठा हुआ है, परन्तु पाखण्डी अपने दिखावे में आनन्द लेते हैं, यह आशा करते हुए कि किसी को पता नहीं चलेगा कि वे वास्तव में क्या हैं।
पहाड़ी उपदेश में, यीशु ने हमें न केवल शिक्षा दी कि हमें कैसे कार्य करना है परन्तु यह भी कि परमेश्वर के राज्य के नागरिक के रूप में हम कौन हैं। उसने हमें समझाया कि राज्य का जीवन केवल हमारे बाहरी कार्यों के विषय में नहीं है परन्तु हृदय के व्यवहार और अभिप्राय के विषय में है। उसने हमें बताया कि क्योंकि हम जगत की ज्योति और पृथ्वी के नमक हैं, हमें अपने भले कार्य करने हैं जिससे कि संसार उन्हें देखे और स्वर्ग में हमारे पिता की महिमा करे, परन्तु हमें अपने अच्छे कार्य दिखने के लिए नहीं करना चाहिए। पूरे पहाड़ी उपदेश में, यीशु ने हमें राज्य के मार्ग की शिक्षा दी। उसने हमें शिक्षा दी कि एक सच्चे मसीही होने का क्या अर्थ है, जिसके धर्मी कार्य उन फरीसीयों से अधिक हैं क्योंकि फरीसीयों के कार्य परमेश्वर के राज्य और महिमा के स्थान पर, स्वयं के लिए, उसके स्वयं के राज्य के लिए, और स्वयं की महिमा के लिए पाखण्डी रूप से किए जाते हैं।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।