परमेश्वर का अनन्त प्रेम

हमारी मानवीय सीमाओं के कारण, हमारा झुकाव प्रेम को केवल समय और स्थान के सन्दर्भ में समझने की ओर होता है। लगभग अपने आप ही, हम परमेश्वर के प्रेम की तस्वीर सृष्टि के सन्दर्भ में बना लेते हैं। फिर भी हम भूल जाते हैं कि प्रेम को सृजा नहीं गया था। इससे पहले कि परमेश्वर ने अपने लोगों को बनाया उसके प्रेम का उद्देश्य क्या था?