मसीही जीवन की बुनियादी बातें

एक मसीही क्या है? एक कलीसिया का भाग होने का क्या अर्थ होता है? हम अनुग्रह में कैसे बढ़ सकते हैं? हम अन्त तक मसीही जीवन कैसे जी सकते हैं? हम इन प्रश्नों का उत्तर कैसे देते हैं इसका हमारे मसीही जीवनों की दिशा पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। इस श्रृंखला में, डॉ. सिन्क्लेयर बी. फर्गसन बड़ी सावधानी से मसीही जीवन की आधारभूत बातों को समझाते हैं और यह जानने में हमारी सहायता करते हैं कि एक मसीही होने का क्या अर्थ है और परमेश्वर की महिमा के लिए एक भरपूर जीवन कैसे जीएँ।


एक मसीही बनना

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प्रत्येक विश्वासी मसीही जीवन की बुनियादी बातों पर सोच-समझकर विचार करने से लाभ प्राप्त कर सकता है। उन सबसे अधारभूत प्रश्नों में से एक जो हमें स्वयं से पूछना चाहिए वह यह है कि, एक मसीही होने का क्या अर्थ है?

एक मसीही होना

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मसीही होने का क्या अर्थ है? यद्यपि प्रत्येक विश्वासी इस प्रश्न का उत्तर कुछ अलग रीति से दे सकता है, तथापि पवित्रशास्त्र हमें यह समझने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है

कलीसिया से सम्बन्ध रखना

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पश्चिमी संस्कृति व्यक्तिवाद का महिमामण्डन करती है, जिससे कि सामुदायिक संदर्भ में सम्बन्ध रखने और कार्य करने की अवधारणा, कई मायनों में, खो गई है। क्या मसीहियत व्यक्तिवाद के विचार के अनुकूल है?

अनुग्रह के साधन: परमेश्वर का वचन

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सभी मसीहियों को अपने विश्वास में बढ़ने की इच्छा होनी चाहिए। परन्तु यह वृद्धि कैसे होती है? परमेश्वर ने हमें इस लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए कौन से संसाधन प्रदान किए हैं?

अनुग्रह के साधन: प्रार्थना

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मसीही विश्वासी प्रार्थना में सर्वशक्तिमान परमेश्वर तक पहुँच में सक्षम होने के अद्भुत सौभाग्य को जानते हैं। फिर भी, प्रायः इस वरदान को हल्के में लिया जाता है, इसे गलत समझा जाता है, या इसकी उपेक्षा की जाती है। हमारी मानवीय दुर्बलताओं और

अनुग्रह के साधन: बपतिस्मा

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जब मसीही बपतिस्मा के बारे में विचार करते हैं, तो प्रायः इस बात को लेकर मन में तर्क-वितर्क और विवाद आता है कि इसे कैसे दिया जाना चाहिए और इसे किसे दिया जाना चाहिए। परन्तु हमारे लिए यह समझना सबसे महत्वपूर्ण है

अनुग्रह के साधन: प्रभु भोज

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प्रभु भोज की स्थापना यीशु ने अपनी मृत्यु और उसके बाद उसके पुनरुत्थान से पहले की थी। यद्यपि मसीही इस विधि से परिचित हैं और सम्भवतः उन्होंने कई बार प्रभु भोज लिया भी होगा, फिर भी क्या इस संस्कार का अर्थ वास्तव में काफी गम्भीरता से समझा गया है?

शत्रु का सामना करना

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मसीही बनने का अर्थ अंधकार के राज्य से ज्योति के राज्य में आना है। जब ऐसा होता है, तो मसीही विश्वासियों को एक नया शत्रु और विरोधी भी मिलता है: शैतान। जब शैतान की बात आती है तो मसीहियों के लिए इस विषय में दो रीतियों में से एक में त्रृटि करना आसान होता है।

परमेश्वर की इच्छा का पता लगाना

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“मेरे जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा क्या है?” अधिकतर मसीहियों ने कभी न कभी यह प्रश्न पूछा होगा। विकल्पों, अवसरों और निजी विचारों के चौराहों की एक अन्तहीन व्यूह-रचना से भरे संसार में, मसीही एक ऐसा मार्ग कैसे चुन सकते हैं

कठिनाइयों में धीरज धरना

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मसीही विश्वासियों को इस जीवन के क्लेशों और कठिनाइयों से छूट नहीं मिली है। वास्तव में, वे प्रायः ख्रीष्ट को ग्रहण न करने वाले लोगों की तुलना में अधिक कष्टों का अनुभव करते हैं। जब मसीही इस वास्तविकता को समझने में असफल रहते हैं,

एक मसीही गवाह के रूप में चलना

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मसीहियों को संसार में रहने परन्तु उसके न होने के लिए बुलाया गया है। परन्तु हम अपने विश्वास से समझौता किए बिना इस संसार में कैसे जी सकते हैं? और हमारा विश्वास हमारे आस-पास के लोगों पर एक अनन्तकालीन प्रभाव कैसे डाल सकता है

अन्त तक धीरज धरना

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इब्रानियों के लेखक ने विश्वासियों को विश्वास की दौड़ जारी रखने और विरोध, सताव और निराशा के बीच प्रभु यीशु ख्रीष्ट के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए समझाने और प्रोत्साहित करने के लिए लिखा था।