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मत्ती के सुसमाचार की पहला पद हमें यीशु के विषय में तीन महत्वपूर्ण बातें बताती है जो आगे की बातों का एक बड़ा सार प्रस्तुत करती है।
1. मत्ती यीशु की विषय में है जो ख्रीष्ट है।
मत्ती की पुस्तक यीशु “ख्रीष्ट” के विषय में है, अर्थात् पुराने नियम का प्रतिज्ञा किया हुआ अभिषिक्त जन, मसीहा के विषय में (1 शमूएल 2:10; भजन 2:2; दानिय्येल 9:25; मत्ती 1:16-18; 2:4; 16:16, 20; 22:42; 23:8-10 भी देखें)। मत्ती का सुसमाचार पुराने नियम में प्रकट उद्धार की कहानी को आगे ले जाता है और, सबसे उचित रूप से, नये नियम में हमारा द्वार है। मत्ती बार-बार पुराने नियम का उल्लेख करता है, यहाँ तक कि उसकी शैली पुराने नियम के समान है।
परन्तु मत्ती केवल उस कहानी के अगले भाग से कहीं अधिक है; यह उसकी पूर्तिकरण है—एक बात जिस पर अधिक बल दिया गया है। मत्ती ने दस बार बताया कि यीशु के जीवन में जो कुछ हुआ वह नबियों ने जो कहा था उसकी पूर्तिकरण है (मत्ती 1:22; 2:15; 2:17; 2:23; 4:14; 8:17; 12) :17; 13:35; 21:4; 27:9)। इसी प्रकार, अध्याय 8-9 में दस आश्चर्यकर्म हैं जो दिखाते हैं कि यीशु के पास अपने लोगों को नबियों द्वारा प्रतिज्ञा की गई चंगाई और उद्धार दिलाने की पूरी सामर्थ्य है (मत्ती 8:17, यशायाह 53:4 यशायाह 35:5)। मत्ती ने यीशु के आश्चर्यकर्मों पर विवरण देने के अपने विशिष्ट रीति से इसे उजागर किया, “हर प्रकार की बीमारी और हर प्रकार की दुर्बलता को दूर करता फिरा” (मत्ती 4:23; 9:35; 10:1)। उसके लिए केवल यह कहना पर्याप्त नहीं था, “हर बीमारी और दुर्बलता,” क्योंकि वह यह रेखांकित करना चाहते थे कि कुछ भी उनकी सामर्थ्य को विफल नहीं कर सकता है—इसलिए, वह विशेषण को दो बार दोहराते हैं, “हर प्रकार की बीमारी और हर प्रकार की दुर्बलता को दूर करता फिरा।” यीशु द्वारा की गई चंगाईयों के सम्बन्ध में “दाऊद की सन्तान” नाम के बार-बार उपयोग से (मत्ती 9:27; 12:23; 15:22; 20:30) वह दर्शाता है कि उसका राज्य पूर्ण आशीष और अपने लोगों के लिए छुटकारे का है। वास्तव में, वह अभिषिक्त सेवक है (मत्ती 12:18-21, यशायाह 42:1-3 का उद्धरित करते हुए), ख्रीष्ट, लम्बे समय से प्रतीक्षित मसीहा, नबियों द्वारा बताई गई सभी बातों की पूर्तिकरण हैं।
2. मत्ती दाऊद के पुत्र, यीशु के विषय में है।
यीशु ख्रीष्ट प्रतिज्ञात दाऊद का पुत्र भी हैं, वह पुत्र जिसके राज्य का कभी अन्त न होगा (शमूएल 7:13; भजन 89:3; यशायाह 9:7)। मत्ती उसकी राजसी वंशावली को प्रदान करता है (मत्ती 1:2-17), उसके वंशज का पता तीन स्तरों में लगाता है—अब्राहम से दाऊद तक, दाऊद से यकुन्यायह तक और उसके भाईयों से लेकर बेबीलोनी को निर्वासित होते समय तक, और फिर यकुन्याह से लेकर युसुफ तक, दाऊद का पुत्र, जो मरियम का पति था, जिससे यीशु का जन्म हुआ। बेबीलोनी निर्वासन पर विशेष ध्यान देकर, जिसका उसने दो बार उल्लेख किया है (मत्ती 1:11, 12), मत्ती दर्शाता है कि दाऊद से किए गए परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ बेबीलोनी निर्वासन के साथ समाप्त नहीं हुईं। मत्ती ने इस प्रकार 2 राजा के अन्तिम शब्दों को उठाया है, जो हमें बताते हैं कि दाऊद की वंशावली (सिदकिय्याह के पाँच पुत्रों की हत्या के बाद भी) यकुन्याह (जिसे यहोयाकीम भी कहा जाता है) के माध्यम से बेबीलोन में निर्वासन के अन्तराल संरक्षित किया गया था; यिर्मयाह 24:1; 2 राजा 24:6-17; 25:27-30)। 2 राजा की पुस्तक मसीहा के राज्य की आशा करते हुए समाप्त होती है, हमें बताने रे द्वारा कि यहोयाकीम को बन्दीगृह से मुक्त कर दिया गया था और उसे बेबीलोन में रहने वाले अन्य सभी राजाओं से ऊपर एक राजगद्दी दी गई थी। मत्ती उस खण्ड की पूर्तिकरण के साथ समाप्त होता है, जिसमें दिखाया गया है कि दाऊद की सन्तान यीशु को स्वर्ग और पृथ्वी पर सभी अधिकार दिए गए हैं (मत्ती 28:18)।
3. मत्ती अब्राहम के पुत्र यीशु के विषय में है।
मत्ती हमें बताता है कि यीशु अब्राहम का पुत्र है, जिसका अर्थ केवल यह नहीं है कि यीशु अब्राहम का वंशज है, वपन् वह अब्राहम का प्रतिज्ञात वंशज है, जिसमें पृथ्वी के सभी राष्ट्र धन्य होंगे (उत्पत्ति 22:18; 26:4). यीशु द्वारा लाए गए उद्धार तक “सभी राष्ट्रों” की पहुँच को बहुत ही सूक्ष्मता से वंशावली (मत्ती 1:2-6) में चार स्त्रियों का उल्लेख करके प्रस्तुत किया गया है: जिनमें से तीन अन्यजाति हैं (तामर, राहब और रूत) और अन्तिम स्त्री जो एक अन्यजाति की पत्नी है (हित्ती ऊरिय्याह, 2 शमूएल 11:3)। फिर, यीशु के जन्म के पश्चात्, हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अन्यजातियों के ज्योतिषियों (बुद्धिमान लोग) को एक तारे के माध्यम से बुलाया है जिससे वे यहूदियों के राजा के रूप में जन्मे हुए व्यक्ति की आराधना कर सकें (मत्ती 2:1-12, यशायाह 60:1-7 की ओर संकेत करते हुए)। जब इस राजा के लिए अपनी सार्वजनिक सेवकाई आरम्भ करने का समय आता है, तो यह “अन्यजातियों की गलील” में किया जाता है क्योंकि यह “सभी देशो” का उद्धार है जो वह लाता है (मत्ती 4:12-17, यशायाह 9:1–2 को पूर्ण करते हुए)।
यीशु के सबसे पहले आश्चर्यकर्मों में एक रोमी सूबेदार के सेवक को चंगा करने (मत्ती 8:5-13) और बाद में एक कनानी स्त्री की बेटी की चंगाई सम्मिलित है जो बुरी रीति से दुष्टात्मा-ग्रस्त थी (मत्ती 15:21-28)। चार हजार लोगों को खाना खिलाना (जिसके विषय में मरकुस 7:31 इंगित करता है कि गलील की झील के पूर्वी किनारे पर दिकापुलिस पर था) से पता चलता है कि यीशु ने अन्यजातियों के बीच वही किया जो उसने पाँच हजार लोगों को खाना खिलाकर यहूदियों के लिए किया था (मत्ती 14:13-21; 15:32-38)। जैतून उपदेश में यीशु ने प्रकट किया कि अन्त आने से पहले स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार को सभी राष्ट्रों के लिए एक साक्षी के रूप में पूरे विश्व में उद्घोषित (प्रचार) किया जाना चाहिए (मत्ती 24:14)। पुस्तक यीशु की इस आज्ञा के साथ समाप्त होती है कि उसके प्रेरितों को सभी राष्ट्रों को चेला बनाना चाहिए, जो हमें अब्राहम से की गई प्रतिज्ञा की पूर्णता की ओर संकेत करता है (मत्ती 28:18-20)।
यीशु मसीहा है, दाऊद का पुत्र और अब्राहम का पुत्र है — आपको मत्ती के सुसमाचार के विषय में इन 3 बातों को जानना चाहिए।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।