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दाऊद के विषय में जानने योग्य 5 बातें

इस्राएल के राजा, दाऊद को बहुत सी बातों के लिए जाना जाता है, जैसे कि गोलियत के सामने उसके उद्भुत विश्वास के लिए, बतशेबा और उसके पति के विरुद्ध उसके जघन्य पापों के लिए, और स्तुति और पश्चात्ताप के भजनों के लिए। यहाँ दाऊद के विषय में पाँच और बातें हैं जिन्हें आपको जानना चाहिए।

1. दाऊद एक अयहूदी के वंश से था।

दाऊद यहूदा के गोत्र से यिशै का पुत्र था, परन्तु उसकी वंशावली शुद्ध नहीं थी। यीशु के समान, उसके पारिवारिक इतिहास में बड़े-बड़े पापी और यहाँ तक एक अयहूदी स्त्री भी थी (उत्पत्ति 38; रूत 4:17)। वह अयहूदी स्त्री उसकी परदादी रूत थी, जो कि वह उल्लेखनीय मोआबिन थी जिसने अपनी यहूदी सास से कहा था, “तेरे लोग मेरे लोग होंगे और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा” (रूत 1:16)। यह बात हमें स्मरण दिलाती है कि परमेश्वर के घराने में महानता केवल “शुद्ध” वंशावली के लोगों तक ही सीमित नहीं है, ठीक वैसे ही जैसे कि “शुद्ध” वंशावली के लोगों के लिए महानता निश्चित भी नहीं है।

2. दाऊद एक अप्रत्याशित राजा था।

इस्राएल का पहला राजा अपने शारीरिक रूप के कारण अलग से दिखाई देता था—शाऊल बहुल लम्बा था (1 शमूएल 9:2)—परन्तु दाऊद उस रीति से उसके समान देखने में विशेष नहीं था। वह आठ पुत्रों में से सबसे छोटा था, और जब शमूएल शाऊल के स्थान पर नए राजा को अभिषिक्त करने के लिए सबसे पहले यिशै के घर आता है, वह निश्चित्त है कि नया राजा दाऊद का सबसे बड़ा भाई एलीआब होगा (1 शमूएल 16:6)। परन्तु परमेश्वर उससे कहता है कि वह उसकी लम्बाई और बाहरी रूप को न देखे, क्योंकि परमेश्वर लम्बाई के आधार पर राजाओं को नहीं चुनता है। परमेश्वर तो हृदय को देखता है, और दाऊद दूसरों से विशेष था क्योंकि वह परमेश्वर के “मन के अनुसार व्यक्ति” था (1 शमूएल 13:14)। फिर भी, यिशै दाऊद के सातों भाइयों को दाऊद के सामने लाता है—और वे सब अस्वीकार किए जाते है—और उसके बाद ही दाऊद को—जो भेड़े चरा रहा था—बुलाया गया (1 शमूएल 16:10-13)।

3. दाऊद हृदय से चरवाहा था

शाऊल की सेना में सैनिक बनने से पहले दाऊद का कार्य था अपने पिता के झुण्ड की रखवाली करना। यह आश्चर्य की बात है कि उसने अपने झुण्ड की रक्षा करने के लिए सिंह और भालू मारे, न केवल दूर से गोफल के द्वारा परन्तु कभी-कभी “दाढ़ी पकड़कर” उन्हें मारने के द्वारा (1 शमूएल 17:35)। ऐसा प्रतीत होता है कि वह वास्तव में भेड़ों की आवश्यकताओं को जानता था और उनके लिए चिन्ता करता था, और यह गुण उसमें तब भी बना रहा जब वह लोगों की चरवाही कर रहा था (भजन 78:70-72)। दाऊद का चरवाही का हृदय और चरवाही करने के अनुभव ने उसे एक चित्रण दिया कि परमेश्वर सिद्ध रीति से अपने लोगों की चिन्ता कैसे करता है, और इस बात को दाऊद भजन 23 में उत्कृष्ट रीति से व्यक्त करता है। हम यह भी देखते हैं कि जब बतशेबा के साथ दाऊद के पाप के विषय में नातान उससे बात करता है, तो वह बात को समझाने के लिए दाऊद को एक निर्धन और उसकी भेड़ की बच्ची की कहानी सुनाता है (2 शमूएल 12)।

4. दाऊद ने सुलैमान के मन्दिर को बनाने का प्रयास किया।

जब दाऊद अन्ततः राजा के रूप में यरूशलेम में स्थापित हो गया, तो उसने देखा कि वह स्वयं तो देवदार के बने हुए भवन में रह रहा था, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है। इसलिए उसने परमेश्वर के लिए भवन बनाना आरम्भ किया, परन्तु परमेश्वर ने उसे रोक दिया। इसके स्थान पर, परमेश्वर दाऊद से कहता है कि वह दाऊद  के लिए घर बनाएगा—निस्सन्देह एक और भौतिक भवन नहीं, परन्तु एक राजवंश जो उस जन में परिपूर्ण होगा जो सदा सर्वदा के लिए राज्य करेगा (2 शमूएल 7:1-17)। इसलिए मन्दिर बनाने का कार्य दाऊद के पुत्र सुलैमान पर आ गया। हम बाद में सीखते हैं कि दाऊद को मन्दिर बनाने से रोकने का एक कारण था कि वह एक युद्ध करनेवाला पुरुष था और उसने लहू बहाया था (1 इतिहास 28:2-3)। फिर भी, दाऊद ने लगभग सब कुछ को तैयार किया जिससे कि सुलैमान कार्य को पूरा कर सके (1 इतिहास 22:5)।

5. दाऊद एक श्रेष्ठ पुत्र की प्रतीक्षा करता था।

दाऊद ने बड़े आनन्द और कृतज्ञता के साथ परमेश्वर द्वारा की गई अनन्त घर की प्रतिज्ञा को ग्रहण किया (2 शमूएल 7:18-29)। दाऊद ने इस बात को समझा कि उसका एक वंश उसका प्रभु भी होगा, जिसे वह भजन 110 में व्यक्त करता है: “यहोवा ने मेरे प्रभु से कहा, ‘मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न बना दूँ।’” यीशु इस भजन को इस बात के लिए प्रमाण के रूप में उपयोग करता है कि दाऊद समझता था कि उसका एक भावी शारीरिक पुत्र (यहोवा परमेश्वर के साथ) उसका “प्रभु” भी होगा, अर्थात् वह किसी शारीरिक सन्तान से अति महान् होगा (मरकुस 12:35-37)।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।