धन्य हैं वे जो दयावन्त हैं
9 सितम्बर 2021धन्य हैं वे जो मेल कराने वाले हैं
16 सितम्बर 2021धन्य हैं वे जिनके मन शुद्ध हैं
सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का सातवां अध्याय है: धन्यवाणियाँ
शुद्धता सभी संस्कृतियों को अलग-अलग रीतियों से चिन्हित करती है। समाजशास्त्री हमें बताते हैं कि प्रत्येक जनजाति या समूह रीति-विधियों और व्यवहार से सम्बन्धित अपनी अपेक्षाएं विकसित करता है। शुद्धता की बात करते हुए, न तो यीशु और न ही बाइबल विचित्र और अपरिचित क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। परन्तु जिस रीति से यीशु और सम्पूर्ण बाइबलीय साक्षी शुद्धता की बुलाहट को खोलते हैं और उसकी सराहना करते हैं, आश्चर्यजनक और विशिष्ट प्रमाणित होती है। हमारा यह पूछना अच्छा होगा कि कैसे मत्ती 5:8 के शब्द अन्य नैतिकताओं के समानान्तर है परन्तु कैसे वे सांचे को तोड़ते और सुसमाचार की एकल सुन्दरता को प्रमाणित करते हैं। यह धन्य वाणी, अन्यों के समान, न केवल नैतिक अवस्था चरित्र की विशिष्टताओं की पुष्टि करती है परन्तु इसे सीधे एक विशेष उपहार से जोड़ता भी है। इस स्थिति में, “मन के शुद्ध” वे हैं जो “परमेश्वर को देखेंगे।” हम विचार करेंगे दो विशेष तत्वों पर जो बात करते हैं प्रमाणित मार्ग और पुरस्कार की।
सर्वप्रथम, परमेश्वर को देखना ख्रीष्ट के सुसमाचार का उपहार है। बहुत पहले, मूसा परमेश्वर की महिमा को देखने की इच्छा को जानता था (निर्गमन 33:18), और दाऊद ने केवल इस “एक वर” के लिए प्रार्थना की, कि “मैं अपने जीवन भर यहोवा के भवन में ही निवास करने पाऊँ, जिससे यहोवा की मनोहरता निहारता रहूँ और उसके मन्दिर में उसका ध्यान करता रहूँ” (भजन 27:4)। बाइबलीय साक्षी इतनी निरन्तरता से इस तथ्य की ओर इंगित करती है कि हम परमेश्वर के लिए ईश्वरीय रीति से अभिकल्पित इच्छा से बनाए गए हैं कि प्रारम्भिक मसीहियों ने हमारी महान आशा को परमेश्वर के “आनन्दप्रद दर्शन” के रूप में बताया। और सुसमाचार प्रतिज्ञा को प्रमाणित करता है कि परमेश्वर का यह दर्शन (विज़ियो डेई) दिया जाएगा जब पुरानी बातें बीत जाएंगी और ऐसा अन्तत: कहा जा सकेगा: “देखो, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उनके मध्य निवास करेगा। वे उसके लोग होंगे तथा परमेश्वर स्वयं उनके मध्य रहेगा” (प्रकाशितवाक्य 21:3)। सिंहासन से एक ऊंची ध्वनि प्रकाशितवाक्य के पाठकों को परमेश्वर की उपस्थिति को देखने (“देखो!”) के लिए पुकारती है, क्योंकि वह निकट होगा। हम मत्ती 17:1-8 में सीखते हैं कि यह मध्यस्थ के कारण, स्वयं यीशु के कारण है, कि हम परमेश्वर की महिमा को देख सकते हैं। उसका कार्य, हमारे स्थान पर और हमारे परिवर्तन में भी, अपेक्षित शुद्धता को लाता है और परम प्रधान परमेश्वर की सुन्दरता को दृश्य करता है (यूहन्ना 1:18, 2 कुरिन्थियों 4:6)। केवल उसी में हमारे पास पाप से डरने का कोई कारण नहीं है और हर कारण है उसकी महिमा को निडरता से देखने का (मत्ती 17:7-8)।
द्वितीय, यह देखने की क्षमता परमेश्वर की उदारता और करुणा को दिखाता है जो हमें गोद लेता है और जो स्वयं हमारी आशा और इच्छा है। सुसमाचार व्यवहारिक शुद्धता की प्ररूपी अपेक्षाओं को लेता और उन्हें पुन: आकार देता है। मांग की गयी शुद्धता स्वर्गीय महिमा और आशिषों की ओर ले जाती है, न कि साधारण मानवीय स्वीकृति या सामाजिक सम्पत्ति को। सुसमाचार हमें परमेश्वर देता है। इसलिए प्रेरित जिसने यीशु ख्रीष्ट को दमिश्क के मार्ग पर महिमान्वित रूप से प्रदर्शित होते देखा बाद में इफिसुस के मसीहियों से बात करेगा कि परमेश्वर के अनुग्रह से जो परिपूर्ण है “सब कुछ पूर्ण करता है” (इफिसियों 1:23) और इसलिए, तुम प्रार्थनापूर्वक और विश्वास के साथ आशा करो कि उसमें “तुम परमेश्वर की समस्त परिपूर्णता तक भरपूर हो जाओ” (3:19)। हमारे उद्धार में स्वयं हमारे उद्धारकर्ता के उपहार से कम कुछ भी सम्मिलित नहीं है। परमेश्वर मात्र सुसमाचार का लेखक नहीं है—परमेश्वर सुसमाचार का लक्ष्य है।
“मन के शुद्ध” वे हैं जो देखते हैं कि हम परमेश्वर की दृष्टि के लिए और केवल उसके द्वारा अन्तत: सन्तुष्ट होने के लिए बने हैं। अन्य उपहार अच्छे हैं; यह अकेला पुरस्कार है जो अन्तत: धन्य है। यीशु के द्वारा प्रस्तुत की गयी और दी गयी शुद्धता में बढ़ने का एक आवश्यक पहलू वह अतृप्त समझ है कि हम हमारे लिए उसके द्वारा स्वयं को देने को छोड़कर किसी अन्य भलाई या पुरस्कार में आनन्दित नहीं होंगे। दाऊद के साथ, “मन के शुद्ध” प्रभु से कह सकते हैं, “तू मेरा प्रभु है; तुझे छोड़ मेरी भलाई कहीं नहीं” (भजन 16:2)।