धन्य हैं वे जो नम्र हैं
2 सितम्बर 2021धन्य हैं वे जो दयावन्त हैं
9 सितम्बर 2021धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं
सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पांचवा अध्याय है: धन्यवाणियाँ
प्रथम चार धन्य वाणी सब एक चेले की आवश्यकताओं का वर्णन करती हैं। “धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं” शृंखला में अन्तिम है (मत्ती 5:3-6)। यीशु ने सर्वप्रथम कहा, “धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है”(पद 3)। मन का दीन होने का अर्थ है स्वयं की आत्मिक आवश्यकता और परमेश्वर पर निर्भरता को जानना (भजन 34:6; सपन्याह 3:12)।
यह धन्य वाणी दूसरे की ओर ले कर जाता है। मन के दीन लोग अपनी दरिद्रता पर शोक करते हैं (मत्ती 5:4)। सर्वप्रथम वे अपने पापों पर शोक करते हैं, फिर सभी पापों पर शोक करते हैं। यह धन्य शोक है, क्योंकि परमेश्वर उन लोगों को सान्त्वना देगा जो पाप पर शोक करते हैं। भजन 119:136 कहता है, “मेरी आंखों से जल-धाराएं बहती रहती हैं, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था का पालन नहीं करते। “याकूब भी शोक करने के लिए बुलाता है। “हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो. . . . शोकित होओ, विलाप करो और रोओ” (याकूब 4:8-9)।
दूसरी धन्य वाणी तीसरी की ओर ले कर जाती है: वे जो अपनी आत्मिक दरिद्रता को जानते और शोक करते हैं वे नम्र होंगे। नम्र होना अहंकार, ईर्ष्या और स्वार्थी महत्वाकांक्षा का विपरीत है (2 कुरिन्थियों 10:1; याकूब 3:13-14; 1 पतरस 3:15-16)। नम्रता आत्म-अभिमान के विपरीत है जो कि स्वार्थीपन से उत्पन्न होती है। क्योंकि नम्र लोग अपनी आत्मिक दरिद्रता को जानता और उस पर शोक करते हैं, वे स्वयं को ऊंचा करने से मना करते हैं।
तो फिर “धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं” केन्द्रीय धन्य वाणी है (मत्ती 5:6)। यदि चेले अपने पाप और निर्बलता जानते होंगे, वे परमेश्वर से उनकी धार्मिकता की आवश्यकता को पूरी करने को भी कहेंगे।
“भूख और प्यास” ऐसा रूपक है जो आज उतना समझ में नहीं आता है जैसा यीशु के दिनों में समझ में आता था, जब भोजन और पानी अपर्याप्त होता था और लोग प्राय: भूखे और प्यासे होते थे। हमारी संस्कृति में, भोजन और पानी प्रचुर मात्रा में है, इसलिए हम तात्कालिकता से चूक जाते हैं जिसका अभिप्राय यीशु को था। भूखे, प्यासे लोग, तत्काल रूप से, भोजन प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। तो धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे होने का, फिर अर्थ है हमें तत्काल रूप से धार्मिकता का पीछा करना चाहिए।
पवित्रशास्त्र में धार्मिकता के कई अर्थ हैं। पौलुस ने कानूनी धार्मिकता पर बल दिया जो हमें ख्रीष्ट के प्रायश्चित के कार्य के द्वारा प्राप्त होती है। जो कि निश्चित रूप से मत्ती में प्रस्तुत है। वह यीशु को “बहुतों के छुटकारे का मूल्य” (20:28) कहता है और वह स्वयं प्रायश्चित का वर्णन करता है (27:38-46)। परन्तु मत्ती 5 में, यीशु मुख्य रूप से चेलों की व्यक्तिगत धार्मिकता का वर्णन करता है, जिन्होंने हत्या, क्रोध और व्यभिचार को एक किनारे रखा। वे अत्याचारियों को देते और अपने शत्रुओं से प्रेम करते (पद 22-48)। प्यासे चेले अगले कुछ धन्य वाणियों की दया, शुद्धता और मेल कराने वाले को भी पाने भी चाह करते हैं (पद 7-9)।
पवित्रशास्त्र में भूख और प्यास की भाषा भली-भाँति जानी जाती है। परमेश्वर कहता है, “हे सब प्यासे लोगों, पानी के पास आओ ! और जिनके पास रूपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ !. . . . बहुतायत से पाकर आनन्दित हो जाओ” (यशा 55:1-2)। यीशु प्रस्ताव देता है, “जो मेरे पास आता है, भूखा न होगा,और वह जो मुझ पर विश्वास करता है, कभी प्यासा न होगा” (यूहन्ना 6:35)।
धार्मिकता की भूख हमारे जीवन में परमेश्वर के राज्य करने के लिए लालायित होना है (मत्ती 6:33)। यह परमेश्वर के वचन के लिए और ईश्वरभक्त लोगों की संगति के लिए प्यासा होना है। पवित्रशास्त्र में, धार्मिकता के कई पहलू हैं। प्रथम, व्यक्तिगत धार्मिकत है, जिस पर हमने अभी बल दिया। यह भूख हमें हमारे पाप को पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से जड़ से उखाड़ने एवं और अधिक यीशु के समान बनने की ओर ले जाती है। यह पवित्रीकरण है।
परन्तु क्योंकि हमारी धार्मिकता की खोज हमेशा कम पड़ जाती है, हम ख्रीष्ट की धार्मिकता के बारे में सोचते हैं, जो हमें प्रदान होती है जब हम उस पर विश्वास करते हैं। यह धर्मी ठहराया जाना है। धर्मी ठहराया जाना कानूनी धार्मिकता प्रदान करता है, ताकि विश्वासी अन्तिम दिन में न्याय करने वाले परमेश्वर के सामने खड़े हो सकें। धर्मी ठहराना सारे पापों और दोष को साफ कर देता है, हमारे पवित्रीकरण का स्तर चाहे कुछ भी हो।
तीसरा, चेले सामाजिक धार्मिकता की लालसा रखते हैं, परमेश्वर द्वारा समाज को साफ करने के लिए। धार्मिकता की भूख चेलो को परमेश्वर के ध्येय को व्यापार, शिक्षा, राजनीति और बहुत कुछ में बढ़ावा देने में अगुवाई करती है। इसके आगे, हम यीशु के पुनर्आगमन के दिन को देखते हैं, जब वह सृष्टि को सही करेगा, शैतान परास्त किया जाएगा, और परमेश्वर की धार्मिकता पृथ्वी को भर देगी।
प्रिय पाठक, क्या आप धार्मिकता की भूख रखते हैं? क्या आप पवित्रता का पीछा करते हैं? व्यक्तिगत रूप से? समाज में? या फिर क्या आप धार्मिकता के एक छोटे से टुकड़े से सन्तुष्ट हैं—न्याय और प्रेम के कुछ क्षण? क्या आपकी एक विरक्त दिनचर्या, अरुचिकर, कर्तव्यनिष्ठ जीवन है, जहाँ आप एक आलसपूर्ण ग्रीष्म के दिन के समान प्रत्येक बीतते सालों में मेल बनाते और मन्द प्रवाह के साथ बह रहे हैं? सच्चे चेले परमेश्वर की धार्मिकता के प्रति लालायित होते और उसका पीछा करते हैं। मैं आशा करता हूँ आप ऐसा करते हैं, ताकि हमारे प्रभु की धार्मिकता तक पहुंचें।