कलीसिया और सेवा - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
परमेश्वर को जानना
26 दिसम्बर 2024
त्रिएकता
30 दिसम्बर 2024
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कलीसिया और सेवा

परिचय
कलीसिया उन लोगों की सभा है जिन्हें ख्रीष्ट में परमेश्वर द्वारा संसार में से बुलाया गया है। यीशु ख्रीष्ट कलीसिया का राजा और प्रधान है। तदनुसार, उसने कलीसिया को अपनी वाचा की आशीषों का क्षेत्र बनाने के लिए चुना है—जिसमें सभी पोषण और सुधार सम्मिलित है। पवित्रशास्त्र कलीसिया को विभिन्न शीर्षकों और गुणों से सन्दर्भित करता है। जबकि यीशु कलीसिया का महान् नबी, महायाजक और राजा है, परमेश्वर ने कलीसिया में अन्य कार्यभार से सम्बन्धित सेवकों को नियुक्त किया है जिनके द्वारा वह अपने लोगों को आराधना और सेवकाई के लिए तैयार करता है। वह अपने वचन, कलीसियाई-विधियों, प्रार्थना और अनुशासन की सेवा के माध्यम से सन्तों की चरवाही करने के लिए एल्डरगण को बुलाता है, और वह स्थानीय कलीसिया के सदस्यों की शारीरिक और भौतिक आवश्यकताओं की देखभाल करने के लिए डीकनगण को बुलाता है। कलीसिया को परमेश्वर द्वारा वचन, कलीसियाई-विधियों, प्रार्थना और अनुशासन की सेवा के माध्यम से आराधना करने और महान् आदेश को पूरा करने के लिए बुलाया गया है। संसार में कलीसिया का मिशन इसके सदस्यों के सामूहिक श्रम पर आधारित है।

व्याख्या
कलीसिया परमेश्वर के शाश्वत उद्देश्य के अनुसार अस्तित्व में है। जगत की उत्पत्ति से पूर्व, परमेश्वर ने प्रत्येक भाषा, गोत्र, लोगों और राष्ट्र में से अपने लिए लोगों को छुड़ाने की एक योजना बनाया (प्रकाशितवाक्य 7:9)। वह उन्हें संसार से बुलाता है और फिर उन्हें स्वर्ग और पृथ्वी पर एक आराधना करने वाले समुदाय के रूप में एकत्रित करता है। हिन्दी शब्द कलीसिया यूनानी शब्द ἐκκλησία (एक्लेसिया) से निकला है। एक्लेसिया शब्द का अनुवाद “बुलाए गए” हैं। परमेश्वर अपने लोगों को संसार से बाहर बुलाता है और अपने अनन्त राज्य में प्रवेश कराता है। और, एक्लेसिया शब्द “बुलाए गए” का आशय “एक साथ एकत्रित होने” से है। मण्डली और सभा शब्द एक्लेसिया शब्द के हिन्दी अनुवाद हैं। यह परिभाषा पुराने और नए नियम दोनों में पवित्रशास्त्र की शिक्षा को सम्मिलित करती है। नए नियम के पहले शहीद स्तिफनुस ने अपने अन्तिम भाषण में, मूसा के विषय में कहा कि यह वही है जो “जंगल में सभा [एक्लेसिया] के बीच था” (प्रेरितों के काम 7:38)। प्रेरित पौलुस ने कलीसिया के “एकत्रित होने” के तत्व के महत्व पर प्रकाश डाला जब उसने लिखा, “जब तुम एक कलीसिया [एक्लेसिया] के रूप में एकत्र होते हो” (1 कुरिन्थियों 11:18)।

पुराने नियम में, परमेश्वर कलीसिया को विभिन्न नामों और शीर्षकों से सम्बोधित करता है। कभी-कभी एक्लेसिया को “इस्राएल”, “सिय्योन की पुत्री” (भजन 9:14; यशायाह 62:11; मीका 4:8), “यरूशलेम की पुत्री” (2 राजा 19:21; श्रेष्ठगीत 2:7; विलापगीत 2:13; सपन्याह 3:14), “यरूशलेम,” “याकूब” (भजन 14:7; 53:6; यशायाह 9:8; 27:9; यिर्मयाह 10:25), “सिय्योन” (यशायाह 33:6; 52:7–8; 59:20), और “परमेश्वर का नगर” (भजन 46:4; 87:3) कहा जाता है। नए नियम में, कलीसिया को “ख्रीष्ट की दुल्हन”, “परमेश्वर के लोग”, “परमेश्वर का घराना” (इब्रानियों 3:1–6; 10:21), “परमेश्वर का मन्दिर” (1 कुरिन्थयों. 3:16–17; इफिसियों 2:21), “परमेश्वर की सन्तान” और “इस्राएल” (गलातियों 6:16) कहा गया है। ये नाम और रूपक परमेश्वर के लोगों की विविध विशेषताओं और उनके बीच उनके कार्य को दर्शाते हैं।

बाइबल न केवल कलीसिया को विभिन्न शीर्षक देती है, वरन् उसके विविध दृष्टिकोणों के अनुसार भी बोलती है। कभी-कभी इसका सन्दर्भ विश्वव्यापी कलीसिया से होता है—अर्थात्, स्वर्ग और पृथ्वी पर सभी समय में विश्वासियों का एक देह—और कभी-कभी स्थानीय कलीसिया से—अर्थात्, किसी एक भौगोलिक स्थान में कोई भी मण्डली से। नए नियम में कई प्रेरितीय पत्र विशेष नगरों या क्षेत्रों में विशिष्ट स्थानीय कलीसियाओं को सम्बोधित किए गए हैं। उदाहरण के लिए, प्रेरित पौलुस ने रोम, कुरिन्थ, इफिसुस, कुलुस्से और थिस्सलुनीके की कलीसियाओं को, साथ ही गलातिया क्षेत्र के कई स्थानीय कलीसियाओं को व्यक्तिगत पत्र लिखे। कभी-कभी, पवित्रशास्त्र अदृश्य कलीसिया के सन्दर्भ में कलीसिया शब्द का उपयोग करता है—जो लोग उद्धार के लिए यीशु ख्रीष्ट से जुड़े हुए हैं। और कई अन्य समयों में, पवित्रशास्त्र दृश्यमान कलीसिया का संकेत देता है – विश्वासियों और उनके बच्चों की भीड़, जिनमें से कुछ के पास सच्चा विश्वास है और कुछ के पास नहीं है। इसके अतिरिक्त, पवित्रशास्त्र कलीसिया को उसके अस्तित्व के प्रकाश में संग्रामरत कलीसिया और विजयी कलीसिया के रूप में देखता है। संग्रामरत कलीसिया में वे विश्वासी सम्मिलित हैं जो अभी भी पृथ्वी पर रह रहे हैं, जबकि विजयी कलीसिया में वे विश्वासी सम्मिलित हैं जो अपने स्वर्गीय प्रतिफल को प्राप्त कर चुके हैं।

नए नियम का कलीसिया परमेश्वर के राज्य की पूर्णता तक की सबसे पूर्ण अभिव्यक्ति है। यह ख्रीष्ट के व्यक्ति और कार्य की नींव पर बना है (1 कुरिन्थियों 3:11)। हमें पवित्रशास्त्र में ख्रीष्ट का पूर्ण प्रकाशन देकर, प्रेरित ख्रीष्ट फिर से आने तक नई वाचा के कलीसिया की नींव का भाग बन गए हैं (इफिसियों 2:20)। प्रेरितीय युग के समापन पर, सुसमाचार के सेवक पूर्ण प्रेरितीय प्रकाशन के प्रकाश में पुराने और नए नियम के पवित्रशास्त्रों का प्रचार और शिक्षा देकर प्रेरितीय वचन को आगे बढ़ाते हैं। कलीसिया की प्रेरितीय नींव के कारण, नीकिया का विश्वास वचन कलीसिया की चार विशेषताओं को सही ढंग से वर्णन करता है: यह “एक, पवित्र, विश्वव्यापी और प्रेरितीय कलीसिया” है।

प्राण और देह के उद्धारकर्ता के रूप में, प्रभु यीशु ख्रीष्ट ने अपनी कलीसिया को एल्डरगण और डिकनगण का दान दिया है (फिलिप्पियों 1:1; 1 तीमुथियुस 3:1-7, 8-13; 4:14; 5:17; तीतुस 1:5; 1 पतरस 5:1, 5)। अपनी स्वयं की पूर्णता में होकर, ख्रीष्ट ने अपने लोगों की देखभाल का दायित्व प्रेमपूर्ण सेवा के माध्यम से कलीसिया के अधिकारियों को सौंपा है। ख्रीष्टीय एल्डर को सन्तों को प्रेम में देह की उन्नति के लिए तैयार करने के लिए बुलाया जाता है (इफिसियों 4:11-16)। अपने झुण्ड के प्रधान चरवाहे के रूप में, यीशु ने अपनी कलीसिया की अगुवाई करने, सिखाने, प्रोत्साहित करने, सान्त्वना देने, चेतावनी देने और अनुशासन देने के लिए अधीनस्थ चरवाहों को नियुक्त किया है (यूहन्ना 21:15-19; 1 पतरस 5:1-5)। एल्डर को कलीसिया के सदस्यों की आत्मिक देखभाल के लिए अनुग्रह के साधनों को प्रदान करने के लिए बुलाया गया है। अनुग्रह के साधन परमेश्वर द्वारा नियुक्त उपकरण हैं जिनके द्वारा वह ख्रीष्ट और छुटकारे के लाभों को अपने लोगों तक पहुँचाता है।

क्योंकि सभी विश्वासी एक राजकीय याजकों का समाज हैं, इसलिए परमेश्वर ने कलीसिया के प्रत्येक सदस्य को ख्रीष्ट की देह में अन्य विश्वासियों की सेवा करने के लिए दान दिए हैं। सभी विश्वासियों को प्रार्थना में परमेश्वर तक पहुँच प्राप्त है। पवित्र आत्मा प्रत्येक विश्वासी में वास करता है, उनके मन और हृदय को परमेश्वर के वचन को समझने के लिए प्रकाशन देता है और उन्हें उसके अनुसार जीने के लिए समर्थ बनाता है। कलीसिया के सदस्यों द्वारा की गई सेवा के छोटे-छोटे कार्य भी ख्रीष्ट की देह के सदस्यों की सेवा में महत्वपूर्ण कार्य हैं। देह के प्रत्येक सदस्य की सेवकाई वाचा के समुदाय में जीवन का एक अनिवार्य भाग है।

उद्धरण
प्रेरित पौलुस कलीसिया के धर्मसिद्धान्त की व्याख्या करता है जिससे कि हम समझ सकें कि परमेश्वर ने क्या किया है और जिससे कि हम समझ सकें कि हम कौन हैं। और हमें यह समझने के लिए बुलाते हुए कि हम कौन हैं और हमें क्या करने के लिए बुलाया गया है, पौलुस कहता है कि हम कलीसिया हैं। हम वह कलीसिया हैं जिसे परमेश्वर ने जगत की उत्पत्ति से पूर्व से ही नियुक्त किया है। हम उसके लोग हैं; हम उसका घराना हैं, इसलिए कलीसिया को कलीसिया ही रहने दें।

आर.सी. स्प्राेल
“कलीसिया क्या है?”
टेबलटॉक पत्रिका

वेस्टमिंस्टर कन्फेशन ऑफ फेथ की भाषा में, कलीसिया में ‘चुने हुए लोगों की पूरी संख्या सम्मिलित है, जो ख्रीष्ट के अधीन एक में एकत्रित हुए हैं, या होंगे’ (25.1)। इसे अन्यथा एक अदृश्य कलीसिया के रूप में जाना जाता है। दूसरे अर्थ में, कलीसिया विश्वासियों का समूह है (1 कुरिन्थियों 12:27; इफिसियों 2:21–22; प्रकाशितवाक्य 21:2, 9), जिसमें संसार भर के वे लोग सम्मिलित हैं जो बाहरी रीति से विश्वास का दावा करते हैं, साथ ही उनके बच्चे भी (WCF 25.2)। इसे अन्यथा दृश्यमान कलीसिया के रूप में जाना जाता है।

डेरेक थॉमस
“कलीसिया”
टेबलटॉक पत्रिका

इसका क्या अर्थ है कि यीशु ही कलीसिया का एकमात्र प्रधान है? इसका अर्थ यह है कि वह अपने वचन और आत्मा के द्वारा अपनी कलीसिया पर शासन करता है। उसने अपने प्रेरितों के माध्यम से कलीसिया के हाथों में बाइबल दी है। बाइबल हमें बताती है कि ख्रीष्ट हमसे क्या विश्वास करवाना चाहता है और ख्रीष्ट हमसे कैसा जीवन जीने की अपेक्षा करता है। यीशु ने विश्वासियों में वास करने के लिए अपना आत्मा भी भेजा है। ख्रीष्ट ने अपने वचन में उनके लिए जो मार्ग निर्धारित किए हैं, उन पर चलने के लिए विश्वासियों को सुसज्जित करना आत्मा की प्रसन्नता और प्रतिबद्धता है (यशायाह 59:21 देखें)।

गाइ वाटर्स
“कलीसिया का प्रधान”
टेबलटॉक पत्रिका

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

लिग्निएर संपादकीय
लिग्निएर संपादकीय
हम डॉ. आर. सी. स्प्रोल का शिक्षण संघ हैं। हम इसलिए अस्तित्व में हैं ताकि हम जितने अधिक लोगों तक सम्भव हो परमेश्वर की पवित्रता को उसकी सम्पूर्णता में घोषित करें, सिखाएं और रक्षा करें। हमारा कार्य, उत्साह, और उद्देश्य है कि हम लोगों को परमेश्वर के ज्ञान और उसकी पवित्रता में बढ़ने में सहायता करें।