फाटक - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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फाटक

एक क्षण के लिए कल्पना करें कि आप, शमौन पतरस के समान, एक साधारण विश्वासयोग्य यहूदी हैं जो “इस्राएल की शान्ति” की प्रतीक्षा कर रहे हैं और आप यीशु की सार्वजनिक सेवकाई के समय में जी रहे हैं। आपने बहुत कुछ होते हुए देखा है: आश्चर्यकर्म, अद्भुत कार्य, और कुशल शिक्षा। यह यीशु कौन है? यह अवश्य ही एक नबी से बढ़कर होगा। वह तो मूसा से भी महान् है। पतरस इस अनिवार्य निष्कर्ष पर पहुँचता है: यीशु अवश्य ही मसीहा होगा, अर्थात् वह प्रतिज्ञात राजा और अभिषिक्त जन जो पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य को पुनःस्थापित करेगा। यीशु कहता है, हाँ, और “तू पतरस है और इसी चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे” (मत्ती 16:18)।

“फाटक” शब्द एक चित्रण को लाता है—वास्तव में कई चित्रणों, अनुभवों, और अर्थों (associations) को, जिन्हें अधिकाँश आधुनिक पाठक नहीं समझेंगे। जब पतरस इस भविष्यसूचक शब्द पर मनन करता है, तो उसकी कल्पना में दो राज्यों के मध्य एक आत्मिक युद्ध का चित्रण आएगा। एक राज्य घेरा हुआ है, मृत्यु और अन्धकार से निर्मित है और एक विशाल बन्द फाटक से सुरक्षित है; दूसरा राज्य जीवित पत्थरों से निर्मित है और उसके चारों ओर खुले फाटक हैं, और यह बाहर खड़ी भीड़ को उसकी शान्ति और ज्योति का आनन्द उठाने के लिए निमन्त्रित करता है।

सम्भवतः आपने इतने भव्य रूप से कल्पना नहीं की होगी; बाइबल में “फाटकों” का सर्वेक्षण हमारी सहायता करेगा कि हम परमेश्वर के विजयी राज्य को उत्तम रीति से देख पाएँ।

जब नरक के “फाटकों” के चित्रात्मक वर्णन को समझने की बात आती है तो आधुनिक पाठक हानि की स्थिति में होता है। चित्रण प्रायः दिन प्रतिदिन के अनुभव पर आधारित होते हैं, और अधिकाँश आधुनिक नगरों में यथार्थ रूप से फाटक नहीं होते हैं। जब हम “फाटक” शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में तुरन्त अनेक बातें नहीं आती हैं जैसे कि प्राचीन पाठक के मन में आयी होंगी। प्राचीन नगरों को सुरक्षा की आवश्यकता होती थी, इसीलिए अधिकाँश नगरों में शहरपनाह होती थी (व्यवस्थाविवरण 3:5)। इन दीवारों के फाटक केन्द्रीय प्रवेश और निकास के स्थान का कार्य करते थे, और इसलिए ये भेंट करने और वार्तालाप करने के लिए उपयुक्त स्थान हुआ करते थे (2 शमूएल 15:2; भजन 69:12), ये केन्द्रीय विपणन स्थान (2 राजा 7:1), सार्वजनिक घोषणाएँ और वैधानिक उद्घोषणाओं का स्थान (रूत 4), और समुदाय के उत्सव के लिए उत्तम स्थान हुआ करते थे (न्यायियों 5:11)। संक्षिप्त में, प्राचीन जगत का मुख्य मिलने का स्थान नगर के केन्द्र में नहीं, वरन् नगर के किनारे फाटकों के पास होता था। इस प्रकार से फाटक नगर का चित्रण करते हैं; ये नगर के लोग, संस्कृति, स्तर, प्रमुखता, और जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए, जब परमेश्वर अपने लोगों को सुरक्षा और शान्ति और सम्पन्नता की प्रतिज्ञा करता है, तो वह उनसे एक ऐसे नगर की प्रतिज्ञा करता है जिसकी दीवारें ऊँची और फाटक दृढ़ हैं (प्रकाशितवाक्य 21:9-27)।

यह रुचिकर है, कि परमेश्वर जिस स्वर्गीय नगर का चित्र बनाता है, उसके फाटक खुले हुए हैं। “हे फाटको, अपने, अपने सिर ऊँचे करो! हे सनातन द्वारो, ऊँचे हो जाओ कि प्रतापी राजा प्रवेश करे” (भजन 24:7)। यहाँ भजनकार परमेश्वर के निवास स्थान के विषय में बात कर रहा है, और एक नगर का चित्रण उपयोग करता है। जब राजा नगर में प्रवेश करता है, तो उसका स्वागत करने के लिए फाटकों को खोला जाता है। इस स्वर में उल्लास और विजय व्यक्त हो रहा है। “सेनाओं का यहोवा” नगर में प्रवेश कर चुका है (भजन 24:10); वह उसकी दीवारों की रक्षा करेगा और उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। प्रकाशितवाक्य इससे भी अधिक बल देता है। नए यरूशलेम की ऊँची दीवारों में एक दर्जन फाटक हैं (जो कि अत्यधिक हैं), और ये फाटक “दिन के समय कभी बन्द न होंगे, क्योंकि वहाँ रात्रि न होगी” (प्रकाशितवाक्य 21:25; यहोशू 2:5 देखें)। वास्तव में, फाटक सर्वदा खुले हैं, जो सब को स्वतन्त्र और अबाधित पहुँच प्रदान करते हैं जिससे कि “वे जातियों के वैभव और सम्मान को उसमें लाएँगे” (प्रकाशितवाक्य 21:26)। इतने सारे फाटक! और वे सर्वदा खुले हैं? यह आश्वासन, सुरक्षा, शान्ति और आपसी सौहार्द का एक अद्भुत और खुल्लमखुल्ला प्रदर्शन है।

इसके विपरीत, नरक के फाटक बन्द हैं। शैतान चाहता है कि हम सोचें कि यह सामर्थ्य का चिन्ह है, परन्तु वास्तव में ये फाटक भय के कारण बन्द हैं। “अधोलोक के फाटक [ख्रीष्ट और उसकी कलीसिया] पर प्रबल न होंगे।” इस चित्रण में, शैतान का नगर घेरा हुआ है, और उसके फाटक स्वर्ग की सेनाओं और परमेश्वर के लोगों के सामने लड़खड़ा रहे हैं (प्रकाशितवाक्य 12 देखें)। उचित रीति से समझे जाने पर, नरक एक दृढ़ गढ़ या सम्पन्न नगर नहीं है; यह एक बन्दीगृह है (20:7), और जब इस नगर-रूपी बन्दीगृह का अन्ततः विनाश किया जाएगा, उसके शैतानी नागरिकों को “आग की झील” में फेंका जाएगा, जिसके कारण वे परमेश्वर के धन्य लोगों को कभी हानि नहीं पहुँचा पाएँगे (20:10)। परमेश्वर की स्तुति हो! हे प्रभु, शीघ्र आ! “हे फाटको, अपने, अपने सिर ऊँचे करो! हे सनातन द्वारो, ऊँचे हो जाओ कि प्रतापी राजा प्रवेश करे” (भजन 24:7)।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

थॉमस कीन
थॉमस कीन
डॉ. थॉमस कीन वाशिंगटन डी.सी. में रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में नए नियम के सहायक प्राध्यापक और शैक्षिक अध्यक्ष हैं।